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चुनावी नेता या अभिनेता Election leader or actor


 यहां न्याय, न्याय नहीं धर्म है, ये तुम्हारा भ्रम है
 कहने में जो शर्म है, यही तुम्हारे कर्म है
 बुद्धिमान झुकते हैं ताकतवरों के आगे
 जो हमको समझाते वह खुद ही नहीं समझ पाते
 ज्ञानी होकर भी, किताबे पढ़कर भी
यह सही गलत नहीं परख पाते

 यहां जीत है धर्म, जीत है लक्ष्य हार से
 लाचार हैं व्यवहार से नेताओं के अहंकार से
 समानता नहीं बची है, साजिशें रची पड़ी है
 बदलते समाज में हजारों लकीरें बिछी पड़ी हैं
 आईने भी टूट जाते हैं इनके चेहरों पर इतने नकाब है
 आखिर ये नेता हैं सारे गुनाह करके भी ये माफ़ है

 इंसाफ के इंतजार में बेगुनाह कतार में
 यहां वक़्त बेकार है क्योंकि धीमी रफ्तार है
 भविष्य बदलने वाले खुद को ही बदल देते हैं
 आखिर यह भी तो इंसान है
 लालच घमंड झूठ के रास्ते पर चल देते हैं

  नेताओं के विचार में कभी भीड़ में कभी प्रचार में
 कुचलते हैं सच्चाई,  झूठ की परतें इन्होंने बिछाई
 आपका विचार इनका प्रचार, विचारधारा का प्रवाह 
बदलते हुए आपके विचार

 चुनाव से पहले चुनावी वादे,  सपनों में दिखे नेक इरादे
 चुनाव के बाद लोग झुकते हैं इनके आगे,
 वादे सिर्फ इंसान के लालच को बाहर लाने के लिए
 वादे सिर्फ चुनावी मुकाम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए
  यहां वादे हैं झूठे,  सच्चाई से रूठे 
 नेताओं के प्रचार में, सभी नेता है झूठे 

 असल जीवन में अभिनय सिर्फ नेता ही करते हैं 
पर्दे के पीछे की कहानी यही लिखते हैं

 आम जनता की जरूरत है चुनाव में उठने वाले कई सारे मुद्दे,  पर आपको नहीं पता कि आप के मुद्दे कहीं धूमिल होते जा रहे हैं और उन मुद्दों को उठाया जा रहा है जिन की जरूरत आपको नहीं है,  ज्यादातर देशों की समानांतर स्थिति है,  अब खुद पूछे खुद ही विचार हैं अपने विधायक को चुनते वक्त आपको अपनी जरूरतों को भी समझना होगा कि क्या आपको कुछ बदलाव नजर आया है, या फिर आप एक ऐसी विचारधारा की  तरफ मुड रहे हो जहां आपको सिर्फ और सिर्फ कट्टरता भरी निगाहों से देखा जाने वाला है, 
 आप आपके विचार आपके द्वारा किया गया किसी विधायक के लिए प्रचार यह सभी बातें आपको एहसास कराती है कि आपने किस व्यक्ति को चुना है और किन कारणों से चुना है,  जब हम हर जगह हर नौकरी में उच्च शिक्षित व्यक्ति को ही चुनते हैं तो फिर क्यों हम उन शिक्षित व्यक्तियों के ऊपर एक ऐसे व्यक्ति को पहुंचा देते हैं जो कि शिक्षा की गुणवत्ता को भी नहीं पहचान पाता,  सरकारें आती-जाती रहेंगी बदलाव होना था जो हो चुका और जो होने वाला है वह भी होता रहेगा पर कुछ ऐसा बदलाव देखिए जिसमें आप महसूस करेंगे कि आपका कीमती वोट व्यर्थ नहीं गया है, 

 देश में बदलाव लोगों की सोच से आता है और सोच अगर लोगों की स्वतंत्र होगी तो तभी वह सोच पाएंगे नई बातों के बारे में नए सवालों को उत्पन्न करेंगे और उन सवालों के जवाब जरूर ढूंढने की सोचेंगे, 

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