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बेरोज़गारी और अर्थव्यवस्था Unemployment and economy

 कई बंद पड़ी फैक्ट्रियों के ताले खुल चुके हैं और कई फैक्ट्रियों के ताले में जंग लग चुका है,  रोजगार की  जरूरतों को पूरा करने के लिए  एक इंसान किस स्तर तक अपने आप को गिरा देता है यह वही जानता है,  समाज में आज भी कई ऐसे लोग हैं जो अपनी योग्यता और क्षमता के अनुसार रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते, और जो इस काबिल नहीं वो ऊँचे ऊँचे पदों पे विराजमान हैं, वे अपनी योग्यता और क्षमता को उस स्तर तक नहीं पहुंचा पाते जिस पद पे वे कई वर्षों से आसन्न ग्रहण किए हुए हैं, समय आ गया है इन बुजुर्गों का रिटायरमेंट हो जाना चाहिए, 

 यहां ऊंची से ऊंची डिग्री हासिल करने वाले व्यक्ति की भी पहचान तब तक नहीं बन पाती जब तक वह किसी रोजगार से जुड़ जाए,  बढ़ती बेरोजगारी किसी देश की अर्थव्यवस्था और देश के भविष्य के लिए भी बहुत खतरनाक है, एक व्यक्ति अगर अस्थाई रूप से किसी फैक्ट्री या किसी कंपनी में काम कर रहा है,  तो उसे नहीं पता कि उसका कल एक तरह से निर्धारित है या नहीं,  हम आने वाले भविष्य से क्या कल्पना कर सकते हैं जो हम अपने आज के भविष्य को नहीं संभाल पा रहे हैं खुद ही सोच और विचार कीजिए क्या आप अगर  खुद बेरोजगार है तो आप क्या किसी दूसरे को रोजगार दे पाएंगे, 
 रोजगार का अर्थ सिर्फ यह नहीं कि किसी भी नौकरी को या फिर किसी भी व्यवसाय को शुरू कर देना,  रोजगार का अर्थ है उस नौकरी या फिर उस व्यवसाय से होने वाली  निश्चित आय, 

 बढ़ती मंदी और बेरोजगारी में अगर किसी के भी व्यापार पर असर पड़ना शुरू हो मतलब की लोग खर्च करने से ज्यादा बचत करने पर ज्यादा ध्यान दें तो इससे होने वाली अर्थव्यवस्था में भविष्य में भारी गिरावट आ सकती है, 
  अगर बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिलेगा और बेरोजगारों की संख्या में भारी बढ़ोतरी होती रहेगी तो इसका सीधा असर है किसी भी कंपनी के उत्पाद को खरीदने वालों में कमी आनी शुरू हो जाएगी,  इसका यह मतलब नहीं कि वह कंपनी बिल्कुल बंद हो जाएगी उस कंपनी का उत्पादन कम होगा तो वह भी अपने कर्मचारियों में भारी कटौती करेगी और उन लोगों का भी रोजगार खतरे में आएगा जो इन कम्पनी में लम्बे समय से कार्यरत थे, वे भी मंदी का शिकार और खुद बेरोज़गार की श्रेणी में आ जाएंगे, 
 हर छात्र की यही ख्वाहिश होती है की स्कूली शिक्षा खत्म होने के बाद वह किसी अच्छी नौकरी में कार्य करे खासकर की किसी सरकारी नौकरी में, और इसी उम्मीद से वह छात्र उच्च स्तरीय पढ़ाई के लिए आवेदन करता है,  वहीं दूसरी ओर सरकार चलाने वाले नेता और सिस्टम में बदलाव करने वाले नेताओं को सिर्फ और सिर्फ अपने वोट बैंक की राजनीति ही प्यारी लगती है, 
 बढ़ती बेरोजगारी की मुख्य वजह  बढ़ता भ्रष्टाचार अयोग्य उम्मीदवार को बगैर योग्यता अनुसार उसे किसी भी उच्च स्तरीय पद पर पहुंचा देना,  धीमी कार्य व्यवस्था और उससे उत्पन्न हुआ अधिक समय,  यह सारे परिणाम एक तरफ से बढ़ाते हैं समय एवं बेरोज़गारी के आंकड़े, 
 कोरोना महामारी के समय अनेकों लोगों की नौकरियां गई और उन लोगों की नौकरियां अभी तक वापस नहीं आई है, वे लोग अभी भी संघर्षरत हैं और रोजाना नए रोजगार की तलाश में है, 

   जो छात्र 2020 में स्कूल कॉलेज या विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण हुए हैं,  वे सिर्फ इसी उम्मीद से आगे की पढ़ाई और नौकरी की तलाश में थे कि भले ही अर्थव्यवस्था कितनी नीचे गिर गई हो पर उन्हें रोजगार कहीं ना कहीं मिल ही जाएगा,  पर इस महामारी ने उनके रोजगार  के सपने को भी छीन लिया, और आने वाले 1, 2 वर्ष तक तो जो छात्र स्कूल कॉलेज या विश्वविद्यालय  से उत्तीर्ण होंगे वे कहीं ना कहीं उन छात्रों के लिए भी चुनौती होंगे जो पहले से उत्तीर्ण हुए हैं और अभी भी रोजगार की तलाश कर रहे हैं, 
आप समझिये भविष्य को कि क्या हो रहा है और क्या होने वाला है,  हम कहीं ना कहीं उस और जा रहे हैं  जहां बढ़ती बेरोजगारी के चलते कई युवा सड़कों पर आकर आंदोलन करना शुरू कर देते हैं, 
 अगर सरकारें ये कह कर हाथ खड़े कर दे कि हम रोजगार नहीं दे सकते तो चुनावी वादे भी आम जनता से ना किया करें, 
 ये आम जनता के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है और उनकी उमीदों पे सरकार का ना खरा उतर पाना भी है, 

 अगर आप अभी भी बेरोजगार हो तो सवाल पूछो खुद से आप रोज़गार के काबिल हो या नहीं,  अगर हो तो रोज़गार कहाँ से मिलेगा ? कौन देगा ? क्या सिस्टम की भूमिका है रोज़गार सृजन करने में ?
या आपकी भूमिका है रोज़गार देने में ? समझिये इन सवालों को..... 

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