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अंतिम न्याय व्यवस्था Final judicial system






विध्वंसकारी शक्तियों की चाहत रखता हूं, 
अधर्मी लालची को राख में तब्दील करता हूं, 

दिव्य शक्तियों से सुसज्जित आत्मा की तीव्र चमक 
गुनाहगार की आंखों में एक झलक 
मौत की सरसराहट से डरता है वो 
जो अधर्म से ना डरे, धर्म से डरता है वो
 मेरे तीव्र वारों से गुजरता है वो, 

शक्तियों से सुसज्जित दिव्य आत्मा विनाश के लिए तैयार है,
शरीर त्याग चुकी बुरी आत्माओं का नर्क में इंतजार है,
देवताओं की बनाई न्याय प्रक्रिया से गुजरना होगा, 
कितना भी अधर्मी क्यों ना हो, 
शरीर त्यागने पर आत्मा को दर्द सहना होगा ।।
 
नियम कानून ना मानने वाले, पैसों से न्याय चलाने वाले 
अधर्म को अपनाने वाले, लाशों से खून निचोड़ने वाले 
जलेंगे ये जलेंगे नर्क में जलेंगे, 
मरेंगे ये मरेंगे कभी ना कभी मरेंगे, 

उम्र की सीमा खत्म होते ही शरीर त्याग जाएगा, 
नर्क की सजा भुगतने नर्क में रह जाएगा, 
एक दूसरे की लाश से खून भी निचोड़ लेते हैं, 
"इतना लालची है मानव, हड्डियां गलने से पहले 
लाश की चमड़ी, खुद के शरीर में ओढ़ लेते हैं"
 
ऐसे अधर्मी के विनाश की कामना करता हूं 
दिव्य शक्तियों से सुसज्जित होकर विनाशलीला रचता हूं, 
मैं अनंत हूं, विशाल हूं, प्रचंड हूं, महाकाल हूं 
मैं जो भी हूं विध्वंसकारी हूं, शक्तिशाली हूँ

मानव के लिए भगवान हूं, मैं दिव्य शक्ति का ज्ञान हूं 
मौत का इंतजार रहता है, 
लाशों से खेलने वालों को मौत के बाद, 
मेरा ही इंतजार रहता है !!


आप विश्वास ना करें पर संसार के रचयिता ही सब कुछ है, आपके द्वारा आपके किए गए कर्मों के हिसाब से ही आपकी सजा का निर्णय होता है, अधर्म, जाति, हिंसा, संप्रदाय इन सब मुद्दों में जाकर आप अपना जीवन तो जी लोगे पर इस संसार में किसी की भी अनंत सीमा नहीं है, आपको भी कभी ना कभी इस संसार को अलविदा कह जाना है, लोग लालच, क्रोध, द्वेष  इन भावनाओं को बढ़ाते चले जा रहे हैं, इसका नतीजा क्या है आए दिन प्रतिदिन मानव के दिमाग में हिंसात्मक प्रभाव बढ़ता जा रहा है,

में, मेरे बाद मेरा पुत्र या पुत्री, ये विचार जब भी आप अपने दिमाग में लाते है तो समझ जाइए आपकी महत्वकांशा अनंत है, इंसान को एहसास उसके जीवन के अंतिम क्षण में ही पता चलता है, और तब तक बहुत देर हो चुकी होती है,

कुछ लोगों की मानसिकता को आप अपनी विचारधारा में इस तरह से आप जोड़ लेते हैं कि आपका जीवन सिर्फ उन्हीं के लिए समर्पित हो जाता है, इस कलयुग के दौर में धरती पर जन्मा हर मानव कोई भी यहां भगवान नहीं है, किसी को भी भगवान समझने की भूल ना करें अन्यथा आप लोग मानव जीवन और दूसरों के विनाश का कारण बनेंगे, 
भगवान की भक्ति भाव में लीन रहे हमेशा यह समझी कि सत्य क्या है असत्य को कभी ना अपनाएं और यह समझते जाएं कि इससे आपका हित है या अहित, 

धन्यवाद 

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