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सच्चाई की क्रांति Revolution of truth

 



अगर कदम बढ़ा दिए तो पीछे क्यों हट रहे, 
 तुम्हारी सोच पे तुम्ही नहीं अकेले यहां चल रहे, 
 तुम्हीं नहीं वो जल रहे, तुम्हीं नहीं वो चल रहे, 
 विचारों की क्रांति में कदम सभी के बढ़ चले, 

 गुलामी की जंजीरें विचारों की लकीरें
 सीमित करे विचारों को धीरे धीरे, 
 ये हमारी है सोच, ये हमारा है दोष, कोई विषय ही नहीं 
 पर विषम परिस्थिति में भी विरोध का है दौर 

 तुम्हारे साथ चलने वाले विचारों को बदलने वाले
 खुद को समझने वाले, वर्तमान बदलने वाले, 
 विचारों की दलीलें, मश्वरों से मिले, 
सच की दीवारों पे गड़ी हुई है, झूठ की कीलें 

 मैं जब भी सच को समेटता हूं देखता हूं
 ख्वाब ख्वाब ख्वाब है सच की जो तलाश है
 गुनाह बेहिसाब है फिर भी क्यों वो माफ है
 गुनाह का खौफ है गुनहगार बेखौफ है
 सच की आवाजों में गुनहगार का रौब है

  तुम डरोगे इनके सामने झुकोगे, मरोगे 
 अगर कदम बढ़ा दिए तभी लड़ सकोगे, 
 हिम्मत की बात है यहां हिम्मत का साथ है 
झूठे भी डरते हैं, जो सच्चाई के साथ है

यहां बदलाव की आवाज अगर बुलंद करोगे 
विद्रोह की क्रांति में तुम यही कहोगे,
सच्चाई के साथ जो सच की आवाज उठाता चला है,
 जो कहता चला है,  वह हर वक्त रहा है सच के ही साथ,
  वो हर वक्त बना है सच की आवाज,

[]  डर उन्हें लगता है जो झूठ की परतों पर चेहरे छुपाए हुए हैं,  सच्चाई का विरोध करने वालों को ये हमेशा गले लगाए हुए हैं []

 इस कविता के माध्यम से मेरी सिर्फ और सिर्फ यही संवेदना है,  आप कोई भी हो किसी भी परिस्थिति में हो हमेशा अपनी मानसिकता के आधार पर ही निर्णय लेना चाहिए,  भले ही आप पर लोग हंसे  पर वहां भी आपको एक खुशी यह मिलेगी जो निर्णय आपके द्वारा लिया गया था वो आपकी खुद की मर्जी का था,  जो अपने जिंदगी में सच्चाई और सच को अपना के चलते हैं उनकी जिंदगी में उनके दोस्त ज्यादा और दुश्मन कम होते हैं,  जो सच्चाई का दिखावा करके झूठ बोलकर लोगों  को बेवकूफ बनाते हैं,  वे अपनी पूरी जिंदगी में बाहरी चेहरे की खुशी का दिखावा करते करते अपने जीवन को स्माप्त कर देते हैं,  पर अंदर ही अंदर वो कितने दुख और दर्द को झेल रहे होते हैं यह उन्हीं को पता होता है, 
 आपके द्वारा स्वयं से लिए गए निर्णय,  शायद एक नए बदलाव की बुनियाद समाज में रख सकता है,  अगर हम आज भी उन्हीं लोगों के साथ चलते रहे,  उनके विचारों को अपनाते रहे जो अपने जीवन में सफल हो चुके हैं,  और अगर मान लीजिये की भविष्य में कभी उस मुकाम तक पहुंच भी जाते हैं,  तो बाकी लोगों की नजरों में हम सिर्फ एक तरह से उस पहले व्यक्ति की परछाई के रूप में ही जाने जाएंगे, 
 आपकी सोच आपके विचार अगर आप नियंत्रित कर सकते हैं तो आप सिर्फ खुद ही का बदलाव कर रहे हैं,  अपनी विचारधारा से मिलते जुलते विचारों को अपनाइए और उनको  समझने की कोशिश कीजिए, 

 हम खुद को एक मामूली  इंसान मान बैठे हैं इसलिए हमारी विचारधारा हमारी सोच ऐसी बन चुकी है,  अगर हम ठान ले कि हमारी विचारधारा जैसी आज है वैसी कल भी रहेगी,  और जो मुझे सही लगता है वही मेरे लिए हितकारी होगा तभी मैं एक सही और एक बदलते समाज की कामना कर पाऊंगा,  दूसरों के विचारों को समझने की कोशिश करो हमेशा,  इससे हमें यह जाने को मिलता है कि आखिर वह व्यक्ति हमसे भविष्य में क्या चाहता है, 
 इंसान के दिमाग को पढ़ना लगभग नामुमकिन सा है, पर  कुछ बुद्धिजीवी इस दुनिया में भी ऐसे हैं जो अपने फायदे के लिए कुछ चुनिंदा लोगों को रोजाना शिकार बनाते जा रहे हैं, 

 शराब का शौक़ीन शराब के ऊपर ही जाएगा, वैसे ही  जी बुद्धिजीवी इन छोटी-छोटी भीड़ को नियंत्रित करके अपनी रोजाना की कमाई तैयार करते हैं,  हमें समझने की जरूरत है इन लोगों को,  अगर आप अभी तक नहीं समझ पाएं है इन बुद्धिजीवियों को की आखिर कौन है,  इसका मतलब यह है कि आप अभी तक उस गुलामी की जंजीरों में बंधे हुए हो,  और आप की विचारधारा भी नियंत्रित इन्हीं लोगों के माध्यम से हो रही है,   राजनीतिक अंधभक्त एक बहुत बड़ा उदाहरण है, 

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