सामान्य जीवन में यह तो आम बात है, राजनीति में यह बहुत ज्यादा होता है, और इसके बगैर तो राजनीति चल ही नहीं सकती, अगर कोई सरकार सही से काम नहीं कर रही है तो विपक्ष उस पर इल्जाम लगाना शुरू कर देता है, यह सिर्फ एक राष्ट्र के लिए नहीं है यह विश्व की हर उस राजनीतिक पार्टी के लिए है, यह सिस्टम धीरे-धीरे करके खोखला होता जा रहा है और भविष्य में शायद राजनीतिक तंत्र भी बदल जाए, जिस तरीके से हम अपने नेताओं को अपने उम्मीदवारों को चुनते आ रहे हैं शायद उसमें बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है,
मैं किसी तानाशाह देश की बात नहीं कर रहा हूं मैं सिर्फ जहां स्वतंत्र रूप से चुनाव होता है और जनता को अपने हिसाब से किसी को भी वोट देने का अधिकार है, कई सारे इल्जाम बेवजह के होते हैं, जिनका मुख्य लक्ष्य होता है सिर्फ सत्ता हासिल करना, और कई सारे नेता अपने प्रति पक्ष या विपक्ष वालों पर ऐसे इल्जाम लगा देते हैं जिनका कोई वजूद नहीं होता, इससे नुकसान हर उस वोटर को होता है क्योंकि उससे उसके विकल्प छीन लिए जा रहे हैं, हर देश में लोगों को चुनाव नतीजों में काफी उम्मीद रहती है, क्योंकि इन्हीं चुनाव के नतीजों से आने वाले वर्षों की रूपरेखा तैयार होती है,
राजनीति में जो नेता चुनकर जाते हैं वह कोई महान शख्सियत या फिर कोई महान हस्ती नहीं होती, वह भी आखिर इंसान ही होते हैं, फिर भी उनके द्वारा संबोधित किए जा रहे संबोधन में हजारों लाखों लोगों की भीड़ जमा हो जाती है, पर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमें उस वक्त एक अच्छा वक्ता चाहिए होता है जो कि हमारी बातों को हमारे सामने रख सके, इसका मतलब यह है कि जो हमारे मन की बातें वह हम खुद से नहीं कह सकते पर वही बातें अगर कोई और आपके सामने कुछ इस अंदाज से रखें कि आपको ऐसा लगे कि हां वह आपके हितों की रक्षा करेगा, और इसी वजह से आप ऐसे उम्मीदवारों पर भरोसा कर लेते हो,
चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद यह जो पूरा माहौल होता है लगभग चार-पांच महीनों का यह एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है, त्यौहार उन लोगों के लिए जो लोग आम जनता के टैक्स या डोनेशन को पहले चुनाव प्रचार में उड़ाते हैं, चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने के बाद और जीतने के बाद वे लोग अपनी राजनीतिक पार्टी की जड़ों को मजबूत करने में जुड़
जाते हैं, असल में इन राजनेताओं के लिए अहम मुद्दा यह होता है कि किसी भी तरह से अपनी राजा की पदवी बचाए रखें,
हजारों साल बदले, सभ्यताएं बदली, नियम बदले, कानून बदले, पर एक चीज अभी भी वही है, वह है राजशाही तरीका किसी भी जनता पर नियंत्रण करने का, आपको लगता होगा कि राजा का वह दौर खत्म हो चुका है जिसमें एक परिवार राजशाही राज करता था, बस इसमें नाम बदला है राजशाही का फायदा राजनीतिक पार्टियां आज के दौर में खूब उठा रही है, आप पर वह सारे नियम कानून लागू होंगे जो सरकारों द्वारा बनाए गए हैं, पर जब सरकार में रहते हुए कोई नेता गैर कानूनी काम करता है, तो सरकार रातों-रात उन नियम कानूनों में बदलाव कर देती है, इसका सीधा सा मतलब है कि वह सरकार अपने मंत्रियों को बचाने के लिए कुछ भी कर सकती है,
आप एक स्वतंत्र देश में हो तो आप यह समझते होंगे कि आप एक मशीन बन चुके हो आपको सिर्फ चुनाव प्रक्रिया में ही बुलाया जाता है, आपके हित अहित तब नहीं पूछे जाते जब सरकार द्वारा बिल लाया जाता है, और जिसका असर आपके जीवन पर भी पड़ने वाला है इसका मतलब यह है कि आपको बस हर 5 साल, हर 6 साल, या फिर हर 4 साल बाद एक चुनाव प्रक्रिया से गुजरना है और सत्ता पक्ष और विपक्ष में चुनाव करना है, असल में ऐसे अहम मुद्दों में आप सिर्फ आराम फरमा रहे हैं, क्योंकि अगर आप गंभीर होते तो इस तरह की साजिश को आप जल्दी जरूर समझ जाते,
अपने देश के अहम मुद्दों को जाने पहचाने समझिए कि वह अभी तक क्यों नहीं पूरे हुए हैं, क्या इल्जाम लगाने से यह सारे मुद्दे सुलझ जाएंगे, एक राजनीतिक पार्टी दूसरी राजनीतिक पार्टी पर इल्जाम लगाती है पर चुनाव होने के बाद क्या वह उसकी जांच करवाती है ?
एक स्वतंत्र देश की यही पहचान है कि आपको सवाल पूछने की आजादी है, वरना अगर आप यही सवाल चीन या फिर कोई दूसरे देश में बैठकर कर रहे होते तो खुद ही सोचिए कि आपको आपका जवाब किस तरीके से मिलता,
तानाशाह देश में लोगों को देशभक्ति बनाकर रखा जाता है, ताकि जब भी वह सरकार से सवाल पूछे, तो सरकार यह कहे कि "हम अपने राष्ट्र को बचाने के लिए बाहरी ताकतों से मुकाबला कर रहे हैं, और इसमें हमें आपकी जरूरत है"
और इस तरीके से तानाशाह देश में एक तानाशाही नेता का लंबे समय तक राज रहता है, जब तक वहां की जनता उसकी तानाशाही से परेशान ना हो जाए !!
धन्यवाद
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