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धर्म के प्रति कट्टरता Bigotry

सीरिया के गृह युद्ध में, हजारों लाखों शरणार्थियों का पलायन अपने देश से यूरोप के देशों की ओर, क्या यह सिर्फ एक इत्तेफाक हो सकता है या फिर एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा ?
दरअसल आप सब जानते ही होंगे कि कई सारे यूरोप के देशों में शरणार्थियों की संख्या, वहां की आम नागरिकों के जनजीवन को प्रभावित कर रही हैं, और इसी वजह से उन देशों में भी विद्रोह शुरू हो चुका है जो शरणार्थियों को शरण दे रहे हैं,  शिया सुन्नी की लड़ाई ने एक अच्छे खासे शहर को तबाह कर दिया, हमने ISIS का आतंकवाद देखा है, जोकि बेगुनाह नागरिकों की जान बेहद मर ममता  से लेते थे, और अपने आप को धर्म के प्रति समर्पित जताते थे, क्या वह कट्टरवादी विचारधारा नहीं थी ? उस वक़्त भी कई देश कट्टर विचारधारा को मानने से कतरा रहे थे, आप आज भी उन सबूतों को देख सकते हो,

हर कोई अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ मानता है पर उस धर्म में भी कई कट्टरवादी विचारधारा मौजूद है, कट्टरवादी विचारधारा धर्म में नहीं होती लोगों की सोच में होती है, और यही सोच और विचारधारा धर्म  को भी बदनाम करती है, जो व्यक्ति अपने धर्म के प्रति कट्टरवादी नहीं है पर वह उन कट्टरवादी विचारधारा व्यक्तियों के प्रति अपना समर्थन जताता है, इसका मतलब यह है कि वह व्यक्ति अपने धर्म की विचारधारा में कट्टरवादी सोच को जिंदा रखना चाहता है, 

अब यहां बात करते हैं कि जो भी शरणार्थी थे उनमें से अधिकतर शरणार्थियों का पलायन यूरोप के देशों में ही क्यों हुआ ? क्या मुस्लिम बहुल देश उन्हें स्वीकार नहीं कर रहे थे ?
क्या उनकी आबादी इतनी ज्यादा थी कि मुस्लिम बहुल देशों में वह नहीं रह सकते थे ? क्या उन्हें अच्छे जीवन की अभिलाषा थी जो कि यूरोप के देशों में ही ज्यादातर मिलता है ?
यहां मैं आपका ध्यान थोड़ा खींचना चाहूंगा, गृह युद्ध की आग में शरणार्थियों को सबसे ज्यादा सुरक्षित स्थान यूरोप क्यों लगा ? या फिर उन्हें धकेला जा रहा था यूरोप की तरफ ताकि यूरोप के देशों में जहां कम आबादी के देश है वहां वह भी अपना जीवन आसानी से जी सकें ?
दुनिया में सबसे बड़ा जमीन का टुकड़ा रूस के पास है पर फिर भी रूस ने उन शरणार्थियों को आने क्यों नहीं दिया या फिर वह शरणार्थी वहां क्यों नहीं गए ?चीन भी एक अच्छा विकल्प था पर चीन के मामले में मुस्लिम बहुल देश शांत क्यों रहते हैं ? उईगर मुसलमानों के प्रति हमदर्दी वे क्यों नहीं जताते ? 

अगर आप नहीं समझ पा रहे हैं तो फिर मैं आपको समझाने की कोशिश करूंगा यह सभी एक तरह से कुछ चुनिंदा देशों की चली आ रही राजनीति का हिस्सा बन चुके हैं, 
सबसे अच्छा जीवन जीने के लिए आपको पता होगा कि सऊदी अरब, कतर और ऐसे कई अन्य मुस्लिम बहुल देश है जो कि काफी ज्यादा विकसित है और उनकी मुद्रा की कीमत भी कहीं ज्यादा है, शायद यह देश अपने नागरिकों या फिर अपने धर्म के लोगों को अपनाना नहीं चाहते, इसी वजह से यूरोप के कई देशों के बॉर्डर पर कई सारे शरणार्थी आज तक फंसे हुए हैं, 
कट्टरवादी विचारधारा इसे ही कहते हैं कि आप अपने ही धर्म के लोगों को समझाने की बजाय उनकी विचारधारा का समर्थन करने लग जाते हैं, 

यह दुनिया के कई हिस्सों में हो रहा है, पर मुस्लिम बहुल देश इन मुद्दों में शांत रहते हैं, उन्हें वह मुद्दे सही लगते हैं जिन मुद्दों में कट्टरवादी विचारधारा भरी पड़ी हो, अलग-अलग देश अपने अपने प्रभुत्व को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं, वे इस ओर ध्यान नहीं दे रहे कि आखिर उन्हीं के धर्म के लोग दूसरे देशों में किस तरह प्रताड़ित किए जा रहे हैं, वे उन्हें अपनाना नहीं चाहते वे बस वह उनकी निंदा करना चाहते हैं और उनसे वह अपना फायदा ढूंढते हैं,
जो लोगों को मौत और गरीबी की हालत में मरता हुआ छोड़ चुके हैं, वे उसे ही कहते हैं कि आप अगर जिंदा रहना चाहते हो तो उग्र आंदोलन में शामिल हो क्योंकि आज आपका धर्म खतरे में है, 

शरणार्थी बन्ना किसी को पसंद नहीं है पर वह शरण ढूंढता है हर उस सुरक्षित स्थान में जहां उसको और उसके धर्म की रक्षा मिल सके, कई सारे मुस्लिम देश पर शरण देने वाला कोई नहीं, क्योंकि यह लोग शरणार्थियों से ज्यादा धर्म की रक्षा करने पर जोर देते हैं,

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