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धर्म की राजनीति और आर्थिक विकास Politics of religion and economic development




दोस्तों आप आने वाले बुरे दौर के लिए तैयार रहिए, आपको मीडिया या कहीं और किसी और तरीके से नहीं पता चलेगा कि देश में क्या हो रहा है, क्योंकि मीडिया सिर्फ अब एक तरफ से आपके लिए एक मनोरंजन का साधन बन चुका है, कोई भी न्यूज़ चैनल आप देख लीजिए आपको देश से संबंधित खबरें कहीं दिखेंगी  नहीं, जिनकी आंख अभी भी नहीं खुली है उनको मैं बता दूं कि हमारा देश बहुत बड़ा है हमें नहीं पता चल पाता कि सीमा पर क्या हो रहा है,? हमें नहीं पता चल पाता कि हमारे अलग-अलग राज्यों की स्थितियां क्या है,? हमें नहीं पता चल पाता आखिर क्यों ऐसा हो रहा है, 

इसका सीधा सा मतलब है सरकार की नाकामियों को छुपाना और पुरानी सरकारों पर इल्जाम लगाना,  सरकार कोशिश कर रही है कि अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके, पर जिस तरह के निर्णय लिए गए हैं जैसे पहले LOCKDOWN और उसके बाद अब तालाबंदी खुल रही है,  जिसे हम  UNLOCKDOWN कहते हैं, मैं आपको बता दूं  कोरोना  महामारी काल में सबसे ज्यादा नुकसान व्यापारियों को उठाना पड़ा है, खासकर उनको जो कि नया स्टार्टअप लेकर बाजार में आए थे अब वह ठप पढ़  चुका है , और बदतर स्थिति में आपको बताता हूं ऑटोमोबाइल सेक्टर एवं  सर्विस सेक्टर भी इस्से अछूता नहीं रहा है, लाखों नौकरियां जा चुकी है और अब आने वाले समय में और लाखों नौकरियां जाने वाली है, विदेशों में जब तक मांग बढ़ेगी नहीं तो हम उत्पादन की क्षमता कैसे बढ़ा देंगे तो इसका सीधा मतलब है  जिन लोगों को कंपनी के द्वारा घर में बैठे रहने के लिए कहा गया है, उन  लोगों की नौकरी अब खतरे में आ चुकी है, 
जिनके पास टेक्निकल नॉलेज है वह इस कोरोनावायरस महामारी काल को शायद झेल जाएंगे और जब अर्थव्यवस्था का असर पड़ेगा वह उसे भी झेल लेंगे दिक्कत तो उन्हें  होंगी जिन्हें कोई तकनीकी ज्ञान नहीं है, और यह लगभग 75फीसदी है, क्या उन्हें तकनीकी ज्ञान दिया जा सकता है, हां पर सरकार की मंशा ऐसी नहीं लगती सरकार का ध्यान है कि मीडिया और अन्य माध्यमों से आपका ध्यान भटकता रहे आप चाह कर भी वह सब ना कह  पाए जो आप कहना चाहते हैं, क्योंकि अगर आप सरकार के खिलाफ बोलेंगे तो आपको डर लगा रहेगा  कहीं आपको भी तो देशद्रोही ना  कह दे, 

सरकार धर्म का आडंबर ओढ़े हुए हैं, इसका मतलब यह है कि अगर आप सरकार के खिलाफ बोल रहे हो तो आप धर्म के खिलाफ भी बोल रहे हो खासकर हिंदू धर्म के खिलाफ, इन्होंने अपनी खुद की तस्वीर इस तरह बना ली है कि यह कई लोगों के लिए धर्म के ठेकेदार बन चुके हैं इसका मतलब है कि धर्म की रक्षा यही  कर सकते हैं, ऐसी सोच और मानसिकता बनाकर लोगों के दिमाग को शुन्य किया जा रहा है, हमारे धर्म की रक्षा हम खुद कर सकते हैं, पर सरकार यह क्यों कहना चाहती  हैं कि आपका धर्म खतरे में है, इसका सीधा मतलब है कि आपकी स्वतंत्र सोच में एक कट्टरवादी सोच का बीज बोना, जिससे आप इनको हमेशा समर्थन दें चाहे यह  जो भी गलती करें, 

धर्म के नकाब को ओढ़कर  माफ कर देना, मुझे ऐसे कहने को मजबूर होना पड़ा क्योंकि लोग अपने दिमागी सोच में सोये हुए हैं, वे सरकार के खिलाफ कहीं भी आवाज नहीं उठा रहे हैं कई लोग सोचेंगे कि हां किसी पार्टी से संबंधित होगा तभी ऐसी बात कर रहा  हैं, तो मैं आपको बता दूं मैं अभी किसी पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं हूँ,
जो सच छुप रहा है और उससे आप लोगों का ही भविष्य खतरे में है, तो उसकी चिंता मुझे भी होगी क्योंकि मैं भी इस देश का नागरिक हूं, और मुझे भी अपने भविष्य की चिंता है, आप लोग खुद एक बार सोचें क्यों सरकार आपके सामने ऐसे माहौल को तैयार कर रही है, जब सरकार को चिंता होती है सत्ता वापसी की तो लोगों को उनकी मूलभूत सुविधाओं से दूर करके ऐसे मुद्दों की ओर धकेला  जाता है जिनसे  उनको कोई मतलब नहीं है, यहां उनकी बातें नहीं होती और इन मुद्दों को इसलिए चलाया जाता है ताकि लोग व्यस्त रहें और सरकार से सवाल पूछना छोड़ दें,


जब कभी आपको महसूस हो कि स्वतंत्र समाज में आप की सुध लेने के लिए कोई नहीं है, आप महसूस करेंगे कि आप इस दुनिया में अकेले , यहां मैं बात करूंगा उन कोरोना पीड़ित मरीजों की, उन आर्थिक रूप से कमजोर गरीब वर्ग की, बेरोजगारों की, और जिनका व्यवसाय खत्म हो चुका है उन व्यापारियों की, आखिर हम लोग यह जानना चाहते  भी नहीं है, तभी तो आप उन न्यूज़ चैनल को सुबह से शाम तक लगातार देखते रहते हैं जिनमें आप लोगों की खबरें ना के बराबर होती है, 

देखिए आपके दिमाग से खेलने का तरीका क्या होता है मैं आपको समझाता हूं मेने दो धर्म को उदहारण के तौर पे लिया है अगर मैं आपसे कहूं आप हिंदू हो? या मुसलमान हो? तो आप अपने धर्म को बताएंगे और फिर मैं आपसे सवाल करूं कि आप मुसलमानों के प्रति क्या विचार रखते हो या फिर एक मुसलमान से पूछूं कि आप  हिंदुओं के प्रति क्या विचार रखते हो तो लोगों के मुख्य रूप से यही विचार होंगे 1 2 3 तीन तरह के विचार तीन लोगो के द्वारा इस तरह है

1.यह वह व्यक्ति होंगे जो कहेंगे कि हां हम सब एक साथ एक स्वतंत्र देश में रहते हैं हम सब सभी धर्म का सम्मान करते हैं, धर्म में भेदभाव हम नही करते ।  
2. इन लोगों को लगता है कि हां थोड़े बहुत मुसलमान ऐसे काम करते हैं या फिर हिंदू ऐसे काम करते हैं जिससे देश में अशांति का माहौल है 
3. यह वह लोग हैं जो कट्टरता का नकाब ओढ़े हुए हैं यह मुसलमानों को कट्टर दुश्मन मानते हैं, और दूसरी और मुसलमान हिंदुओं को कट्टर दुश्मन मानते हैं



धर्म के नाम पर कट्टरता का जो नकाब है  वह विचार हर हिंदु और मुसलमान के मन में गढ़ा जा रहा है, यह सिर्फ एक धर्म की बात नहीं है यह कई धर्म के साथ होता है पर मैं मुख्यतः दो धर्म इसलिए ले रहा हूं ताकि आप समझ सके, 
कट्टरता सबके मन में बसी है मेरे आपके हम सबके और उस कट्टरता को जगाने का काम करते हैं, कुछ मंत्रियों के द्वारा कहे गए शब्द हमारे द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही अगर धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देना शुरू कर दे तो आखिर उसे क्या फायदा होगा ?  
जितनी ज्यादा समाज में नफरत बढ़ेगी समाज के लोग अलग-अलग भागों में विभाजित हो जाएंगे और उनको उनके विचारों को समेटने का काम करता है धार्मिक कट्टरता । 


धार्मिक कट्टरता हर धर्म के हर वर्ग के हर आदमी के अंदर मौजूद होती है और उसे जगाने का काम करता है, भेदभाव करना, धर्म के नाम पर वोटों से खेलना जिसमें खोकर एक व्यक्ति अपनी मूलभूत सुविधाएं बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, स्वास्थ्य सुविधाएं जैसे मुद्दे भूल जाता है, वह सरकार का समर्थन इसलिए करता है क्योंकि वह जानता है कि सरकार उसके साथ है, पर धर्म की नकाब के आगे वह सब भूल जाता है कि वह असल जिंदगी में चाहता क्या है, आर्थिक गरीबी से ऊपर उठना, रोजगार, विकास इन्हीं मुद्दों में तो हम इन्हें जीतते हैं, फिर यह मुद्दे हम खुद ही क्यों भूल जाते हैं, आज के दौर में हमने एक शख्सियत की छवि इतनी ज्यादा मजबूत कर दी है अपने दिमाग में कि अब आप लोग उस शख्सियत से सवाल नहीं पूछते, आप पूछते हो सवाल सिर्फ विपक्ष से जिसके पास आपका कोई जवाब है नहीं और जिसके पास जवाब है उसके सामने आपकी पूछने की हिम्मत नहीं है ! 


यहां बड़ी बड़ी शख्शियत धूमिल हो गई 
कुछ राख  बन गई और कुछ मिट्टी में विलीन हो गई  
अमर होने का ख्वाब सभी देखते थे 
पर अमर कोई हो ना सका 
बदलाव की आंधी के आगे 
कोई भी शख्स रुक ना सका 

मैं बदलाव की आंधी को महसूस करता हूं इसलिए मैं अपने शब्दों में कहता हूं, आप खुद को नहीं बदल सकते मत बदलिए पर इस बदलाव की आंधी में शामिल जरूर हो 

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