सबसे पहले मैं आपको बताता हूं यह साजिश के तौर पर खेला जा रहा हैं मजबूर करके हर बेरोजगार के जीवन के साथ, यह कैसे होता है मैं आपको समझाता हूं सबसे ज्यादा आपको यह राज्यों में देखने को मिलेगा, सरकार ने कुछ नए पदों पर रिक्तियां निकाली आपने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया और यहां से शुरू होता है पूरा खेल, पहले यह आपकी जेब से पैसे लेकर आपसे सरकारी नौकरी की रिक्तियों के आवेदन के पैसे भरवाते हैं, आपके द्वारा पैसे दिए जाने के बाद इनके पास अच्छा खासा पैसा आ जाता है, चाहे वह 30 व्यक्तियों के लिए ही आवेदन क्यों न बुलाए गए हो, इन्हें पता है देश में बेरोजगारों की संख्या इतनी ज्यादा है कि अगर यह टुकड़ों में रिक्तियों को लेकर आए,
उदाहरण के तौर पर किसी सरकार ने बैंक की रिक्तियों के लिए 100 पदों पर आवेदन मंगाए, तो आवेदनकर्ता लगभग 25 से 30 हजार से भी ऊपर के होंगे, और उन्हीं 100 रिक्तियों में आवेदन भर जाने के बाद कुछ ही महीने बाद सरकार फिर से 50 या 100 पदों पर और रिक्तियां निकालती है, तो दुबारा से वही 25 से 30 हजार युवा फिर से उन नई रिक्तियों के लिए आवेदन करते हैं, और मान लीजिए अगर एक आवेदन की कीमत ₹500 भी है तो आपकी जेब से ₹1000 आसानी से ले लिए जाते हैं,
अब आप समझने की कोशिश करें कि सरकार यह सारे कार्य एक साथ क्यों नहीं कर रही है, मतलब कि सारे पदों पर रिक्तियां एक साथ क्यों नहीं भरी जा रही है, इसका मूल कारण है बेरोजगार युवाओं से पैसे लेकर उनको एक उम्मीद की झलक दिखाई जाती है, कि "हां आपके लिए सरकारी नौकरियां अभी भी उपलब्ध है" और सरकार लगातार नयी सरकारी नौकरियों को लेकर आ रही है,
अब दूसरा तरीका में बताता हूं जब आप किसी नौकरी के लिए आवेदन करते हैं चाहे वह कम पदों की रिक्तियां हो या ज्यादा, जब उसमें धांधली होती है तो उसमें कुछ सरकारी तंत्र की मिलीभगत भी शामिल होती है, और कुछ सरकारी कर्मचारी इसमें सम्मिलित पाए जाते हैं, और आखिर जब इसका नतीजा आता है तो क्या होता है?
उन्हीं रिक्तियों को दोबारा से आवेदन कर्ताओं के सामने रखा जाता है, ताकि वह फिर दोबारा इन सरकारी रिक्तियों के लिए आवेदन करें और सरकारी नौकरी की तैयारियों में बस खोया रहे, सरकार भी समझती है कि युवाओं को अगर कहीं पर फसाए रख सकते हैं तो वह है सरकारी नौकरी का झांसा देकर, अगर आप किसी को सरकारी नौकरी नहीं दे सकते तो वह अपने आपको दिखाने का कोई हक भी नहीं है, किसी भी सरकारी नौकरी के लिए आवेदनकरता की कोई सीमा नहीं है कितने भी लोग इसके लिए आवेदन कर सकते हैं, और सरकार चाहती भी यही है ताकि हर एक बेरोजगार से राजस्व प्राप्त हो सके,
एक बेरोज़गार से पैसे लेने के बजाए सरकार के पास कई तरीके है राजस्व के, पर छात्रों से इसलिए पैसे लिए जाते है ताकि जो छात्र गरीब है वो बार बार सरकारी नौकरी के लिए आवेदन ना कर सके, कई सरकारी नौकरी के लिए जो आवेदन मंगाए जाते है खासकर बैंक की नौकरी के लिए, उनकी फीस ही इतनी ज्यादा होती है कि एक गरीब छात्र सोच समझ के आवेदन करता है,
सरकार क्या फ्री में रिक्तियां नही निकाल सकती?
जी बिलकुल, क्योंकि हमारे द्वारा दिया गया टैक्स सरकार के पास मौजूद रहता है, पर वो टैक्स का पैसा हमपे नही खर्च होगा।।
सरकार को एक गरीब बेरोजगार छात्र की बात सुन्नी चाहिए, सरकारी तंत्र को यह समझना चाहिए कि बेरोजगार देश का भविष्य है वही देश बदलेंगे, अगर उन्हें रोजगार नहीं मिला तो देश की अर्थव्यवस्था में भी उनका योगदान नहीं होगा,
अगर सरकारी नौकरी नहीं दे सकते तो कम से कम प्राइवेट नौकरी मिल जाए इस लायक तो बनाइए, स्कूल कॉलेजों में बदलाव की बड़ी जरूरत है शिक्षा नीति में बदलाव का कदम जो सरकार ने उठाया है वह काफी सराहनीय है पर अगर जो शिक्षा नीति अपनाई गई है उसमें छात्र अगर तकनीकी शिक्षा, खासकर की प्रशिक्षण हासिल करेगा तभी वह शिक्षा नीति कारगर साबित होगी,
देश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ने का मूल कारण क्या है ?
पहला युवाओं का सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षण जिसमें वह किसी प्रकार की प्राइवेट नौकरी या प्रशिक्षण लेने में असमर्थ रहते हैं , दूसरा कम प्रशिक्षित बेरोजगार युवक जो कि एक प्राइवेट कंपनी को ज्यादा खर्चीला लगता है,
हमें युवाओं का ध्यान सरकारी नौकरी से मोड़कर उन्हें प्राइवेट नौकरी की ओर भी आकर्षित करना होगा, और यह तभी हो सकता है जब उन युवाओं में प्रशिक्षण मौजूद हो उनको तकनीकी जानकारी हो और वह अपनी योग्यता के अनुसार उस नौकरी को हासिल कर सकें,
मैं, आप, हम सब कई लोगों की सोच होती हैं कि सरकारी नौकरियों मैं सुरक्षा होती है, मतलब आप किसी दिन काम करें या ना करें आपको नौकरी से नहीं निकाला जाएगा, मतलब सरकारी नौकरी सुरक्षा और काम का कम बोझ, यह जो लोगो में धारणा बन चुकी है ना भेदभाव की इसको हमें बदलना पड़ेगा इसको सरकार को भी बदलना पड़ेगा, और सरकार को भी बताना पड़ेगा कि हां अगर आप सरकारी नौकरी ले रहे हैं तो आपकी नौकरी भी वैसे ही होगी जैसे किसी प्राइवेट कंपनी में किसी कर्मचारी की होती है, इससे नौकरी में होने वाले भेदभाव कम होंगे और लोग नौकरी की गुणवत्ता की बजाय अपनी जो मेहनत है उस पर ज्यादा ध्यान देंगे, पर आखिर में हर कोई यह सवाल भी सोचेगा कि
प्राइवेट नौकरी भी कहां है ?
अर्थव्यवस्था की चरमराती हुई हालत, सरकारी नौकरियों में रिक्तियां साल दर साल कम होती जा रही है, इसके दो ही कारण है फिलहाल पहला सरकार नई तकनीकी को बढ़ावा दे रही है हर जगह जिसका स्वागत भी होना चाहिए, और वहीं दूसरी तरफ सरकार उन रिक्तियों को एक साथ चुनाव से पहले लाती है ताकि जो चुनाव के वक्त बेरोजगार युवक इस उम्मीद से वोट दे की अगली बार नौकरियां और बढ़ेंगी, आपके राज्य की क्या स्थिति है मुझे नहीं पता, पर मैं जिस राज्य में रहता हूं इस राज्य में बेरोजगार युवकों की हालत बहुत बुरी है, मैं खुद इस दौर से गुजर रहा हूं, आपके पास कई सारे माध्यम है आप अपनी आवाज उठाएं एक खुद का ग्रुप बनाएं, अगर आप खुद का नहीं बना सकते तो मेरे फेसबुक ग्रुप को ज्वाइन करें और अपनी बात लोगों के सामने रखें, संगठन जब मजबूत हो तो सरकारे अंदर तक हिल जाती हैं, आप कुछ भी कहोगे यह आपकी बात सुनेंगे, मानेंगे और लागू भी करेंगे क्योंकि हमारा वोट भी तो इनके लिए कीमती है !
दोस्तों आप आंदोलन नहीं कर सकते पर हमसे जुड़कर या फिर इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर तो कर सकते हो, नहीं भी करें तो भी कोई बड़ी बात नही होगी क्योंकि इसमें मेरा कुछ फायदा नहीं होने वाला है इसमें हर उस बेरोजगार को फायदा होगा जो राज्य या केंद्र की नौकरी की आस में बैठा है ,
धन्यवाद
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