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राजनीति से बिजुर्गो का सेवानिवृत्त Elderly retirement from politics


"राजनीति से बुजुर्गों को सेवानिवृत्त  हो जाना चाहिए 
आखिर कब तक उस बूढ़ी संसद का अपमान करते रहेंगे हम 
बेरोजगार युवाओं को नौकरी आखिर कब देंगे हम "
देश बदल रहा है युवाओं साथ में आओ 
नौकरी तो बहुत कर ली, कभी 
राजनीति में भी हाथ आजमाओ

देश बदलना है तो हिम्मत, ताकत और जज्बा होना चाहिए
बेरोजगार हो तो खुद को कोसने की बजाय,
राजनीति में आकर देश बदलना चाहिए,
"बता दो हर उस बुजुर्ग को, जो शरीर से बेजान रहता है
धर्म राजनीति की चाल से, खून के छींटे छुपा कर बैठा है,
जुर्म की गलियों में कई सारे दागदार हैं, 
हम तो फिर भी सिर्फ एक बेरोजगार हैं, 
आपका क्या विचार है,  क्या आप तैयार है,।।  

आपको अगर रोजगार चाहिए, 
राजनीति से इन बुजुर्गों को हटाइए,
इन बुजुर्गों को है जरूरत घर में आराम करने की, 
अब बारी आपकी है, राजनीति में शुरुआत करने की

एक युवा की सोच दूसरा युवा ही समझ सकता है 
बेरोजगार को रोजगार वही दे सकता है,
बता दो इन अनपढ़ जाहिल गवारों  को 
हटा दो इन्हें इनके पद से बैठाओ समझदारों को, 
पढ़े-लिखे के ऊपर जब अनपढ़ रौब जमाता है 
वह पढ़ा लिखा भी खुद से पूछे " अरे इन्हें समझ कहां आता है,

धर्म कर्म  से आगे बढ़ो, समाज की सोचो और लड़ो 
जीतो चुनाव इनके गढ़ में, और जीत का परचम लहराओ 
देश को नए प्रगति पथ पर ले जाओ,

यह बुजुर्ग नेता है साजिश करना यह जानते हैं 
इनकी नौकरी छीनना आसान नहीं, यह हम भी मानते हैं
इनके मनोवैज्ञानिक चक्रव्यूह को तोड़ने की योजना बनानी होगी 
युवाओं के अंदर चुनाव लड़ने की चिंगारी जगानी होगी,
चुनाव को नौकरी की तरह समझोगे तभी सफलता पाओगे,
अगर जीत गए तो सीधे ऊंचे ओहदे पर पहुंच जाओगे, 

देश की तकदीर एक बेरोजगार युवा ही निर्धारित करता है, 
अनपढ़ बुजुर्गों को समझाना होगा, 
एक युवा से ही देश की अर्थव्यवस्था, और देश बदलता है  !!



यहां में किसी बुजुर्ग का अपमान नहीं कर रहा हूं, मैं यहां उन बुजुर्गों का जिक्र कर कह रहा हूं जिन्होंने खून के धब्बों से अपने आप को छुपा कर राजनीति में कदम रखा है, इनमें से ज्यादातर अनपढ़ नासमझ है जिन्हें नहीं पता कि सरकारी तंत्र से जनता का कैसे भला करना है, हम ऐसे लोगों को चुनाव जितवा देते हैं जिन्हें जनता के कामों से कुछ लेना देना नहीं होता इन्हें सिर्फ और सिर्फ बड़े व्यापारियों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेताओं और कुछ गंभीर अपराधियों के साथ उनके हितों के लिए ही चुनाव में रहना होता है, 

इन्हें पता है 5 साल बाद इनकी सत्ता रहे या ना रहे पर जनता के द्वारा जमा किया गया मेहनत से टैक्स यह 5 साल तक भरपूर मात्रा में बेवजह जगहों पर बर्बाद करते हैं, मुझे पता है एक अनपढ़ की व्यवस्था एक अनपढ़ ही समझ सकता है तो इसका यह मतलब नहीं कि आप की व्यवस्था एक अनपढ़ सही तरीके से समझ सकेगा, जो आपकी भाषा में बात करता है, जो आपका मित्र भी  हैं, क्या वह ईमानदार हो सकता है ?
क्या वह देश हित की बात कर सकता है ?

जब से देश हमारा आजाद हुआ है हम अनपढ़ नेताओं को ही चुनाव जितवा दिया रहे हैं और खासकर उन बुजुर्ग नेताओं को लेकर आते हैं जो बीमार रहते हैं, और चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले वह अपना इलाज कराने विदेश जाते हैं, क्या आपके अंदर कोई गुस्सा नहीं है क्या आपके अंदर कोई रोष नहीं है आप ऐसे कैसे नेता चुन लेते हो जो आपके ऊपर राज करते हैं, जी ने न्यायिक व्यवस्था का कोई ज्ञान नहीं है, जो अपराधिक मामलों में खासकर गंभीर अपराधों में भी पकड़े गए हैं, यह सारे नेता एक समान हो चुके हैं, 

देश में पढ़े लिखे युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है, आज मैं कल कोई और सवाल पूछेगा, सवाल मेरा आपसे ही है  आप जो एक मतदाता है, आप अपना चुनाव उस उम्मीदवार को दें जिसको कोई वोट नहीं देना चाहता (नोटा) इस उम्मीदवार को तब तक जीत आते रहें जब तक आपके सामने कोई पढ़ा-लिखा नेता चुनाव में सामने नहीं आता, भले ही वह नया हो उसे राजनीति का ज्ञान ना हो पर उसके ज्ञान की वजह से आपकी इलाके का विकास होना संभव है, आप किसान हो, व्यापारी हो कोई सरकारी या प्राइवेट ने का नौकरी में कर्मचारी हो आप जो कोई भी हो यह समझने की कोशिश करें आपके हित हमेशा एक पढ़ा-लिखा नौजवान युवा ही कर सकता है है 


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