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एक और 'निर्भया' Another 'Nirbhaya'





उस परिवार के दर्द को समझकर देखो,
परखकर देखो, अपनेआप को वहां रख कर देखो
ये सिस्टम ये नेता अभिनेता बने बैठे हैं,
संगीन अपराधी है, फिर भी हैवानियत छुपाये बैठे है

गरीब की बिटिया को बेचने पे उतारू है,
इज़्ज़त लूटने के बाद,
खुद की इज्जत को छुपाने पे उतारू है,

रात को अग्नि में शरीर जला दिया, कलयुग का दौर है "मित्रों"
सिर्फ इंसान नही, यहां इंसानियत को जला दिया

"हिन्दू धर्म, रीती रिवाज, बदलता हुआ ये समाज,
आज एक निर्भया जली, कल दूसरी जलेगी
हवस के सबूत मिटाने के लिए,
इन दरिंदो के सामने किसी की ना चलेगी"

आप जिन्दा है, जिन्दा रहे, जिन्दा रहते आप मर चुके हो
इंसानियत बची है अगर, क्या हिन्दू धर्म समझते हो ?

जलती हुई लाश में आपके परिवार की भी लाश होगी,
बहन होगी, बेटी होगी, वो भी कोई रात होगी,
डरिये अपनेआप से किस समाज में जी रहे है आप
मौत तक प्रशासन साथ ना दे, मौत के बाद आग ना दे

उस निर्भया की आवाज़ सुनकर सहम उठता है मन
ऐसी अनेक निर्भया होंगी, जिससे डरता है मन

आनेवाले समाज और विचारों को अपनाने वालो,
डरो अपनेआप से, समाज से, विश्वास से
मिलाओ अपनी आवाज़, निर्भया की आवाज़ से ।।


क्या हमारे देश के मंत्री महोदय इतना सा भी नहीं कह सकते, "बलात्कारियों को" गोली मारो सालों को, चुनाव में तो बढ़ चढ़कर कह रहे थे देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को, यह चुप हो जाते हैं हर उस निर्भया के साथ हुए अत्याचार पर, यह चुप हो जाते हैं हर उस निर्भया के साथ हुए बलात्कार पर, 
हमारे देश में यही सबसे बड़ी दुखद परिस्थिति है कि हम ऐसे राजनेताओं को वोट देते हैं चुनाव में जो कि आप लोगों के लिए सोच भी नहीं सकते ना आप लोगों के लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था कर सकते हैं, क्या देश में अनेकों निर्भया ऐसे ही मरती रहेंगी ?
हमारे देश का कानून इतना मजबूत नहीं कि इन लोगों को इंसाफ दिला सके, बलात्कारियों को सलाखों के पीछे डाल सके और उनके जघन्य अपराधों के लिए उनको मृत्युदंड दे सके, आप लोग इन नेताओं को पूछते हो गलती दरअसल आप लोगों की है आप इन अपराधियों को वोट देते हो, 

आने वाले समय में इससे भी भयावह घटनाएं होने वाली है,
संभल जाओ देश को दागदार होने से बचाओ,
उस मां की बात सुनो उस परिवार की बात सुनो,
जो सरकारे शांत है उनके खिलाफ आवाज उठाओ !!

समाज में धीरे-धीरे करके यह परिस्थितियां बदलती जा रही है लोगों की मानसिकता बदलती जा रही है, लोगों की मानसिकता को रोकने के लिए एक ही तरीका है उनके लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान रखा जाए, जब कोई भी इस तरह की हरकतें करने के विचार से अपने दोस्तों के साथ कोई साजिश की शुरुआत करें, तो कम से कम उसे यह पता रहे कि उसका नतीजा क्या होने वाला है, 
कई लोग कहते हैं कि ऐसे लोगों को चौराहे पर गोली मारो कई लोग कहते हैं कि इन्हें तुरंत फांसी पर लटका दो, और कुछ लोगों का मानना है कि इन्हें सरकारी न्याय तंत्र से गुजरने दो, 
वह न्याय  तंत्र जो कई साल लगा देता है किसी को भी इंसाफ दिलाने में, इतने समय में उस परिवार को कितनी बार अदालत में आकर शर्मिंदा होना पड़ता होगा यह आप खुद सोच सकते हैं,



देश में रेप जैसे जघन्य अपराध होते रहेंगे, और हम सब मूकदर्शक बनकर बस देखते रहेंगे, हम इतना ज्यादा एक तरफ से सरकार के प्रति आश्वस्त हो गए हैं कि हमें लगता है कि जो भी है बस सरकार ही कर सकती, हमें यहां खुद आवाज उठानी होगी उन लोगों के खिलाफ जो इसका समर्थन कर रहे हैं, खासकर वे लोग जो कि सरकार में बैठे हैं यहां मैं सरकार से तात्पर्य करना चाहूंगा कि वह सरकारे जो  इन चीजों का समर्थन करती है जो शांत बैठी रहती है, जो कुछ नहीं कहती हैं ऐसे जघन्य अपराधों के खिलाफ, 
अगर यह नेता संसद में  अपने वोटों के हितों के लिए कोई भी बिल पास करा सकते हैं तो महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई बिल क्यों नहीं पास कर सकते?
दरअसल यह सब एक तरह से समर्थन करते हैं उन घटनाओं का क्योंकि इससे समाज में लोगों का ध्यान ऐसे विषयों के प्रति झुकाव रहेगा, अर्थात आपकी मानसिकता को एक तरह से अलग अलग विषयों की तरफ भ्रमित किया जाता है,

अगर देश में सब कुछ सही रहे तो नेता लोग वोट किससे मांगेंगे या खुद ही सोचें, कानून ना बनाने के मुद्दे यही है कि ऐसे मुद्दे जीवित रहे देश में,
अगर किसी निर्भया के साथ ऐसा जघन्य अपराध हुआ है तो उन बलात्कारियों को 1 महीने के अंदर ही सजा मिले ऐसा प्रावधान होना चाहिए, और सजा भी ऐसी होनी चाहिए जिससे कि दूसरे जो भी ऐसे बलात्कारी हो या फिर ऐसी मानसिकता रखते हो उनकी रूह कांप जाए ऐसी सजा को सुनकर, हमसे अच्छा तो जो कुछ मुस्लिम बहुसंख्यक देश है जहां महिलाओं की सुरक्षा के प्रति इतने कठोर कानून है कि बलात्कारियों की भी रूह कांप जाए,  जब हम सब कुछ बदल रहे हैं तो फिर समाज में इस व्यवस्था को क्यों नहीं बदल रहे,


अब खुद ही इन विषयों पर गंभीर विचार कीजिए और सोचिए कि देश की जनता की सुरक्षा का जिम्मा हमने किन नेताओं को सौंपा है, यह लोग पल्ला झाड़ लेंगे और कहेंगे कि विपक्ष में भी तो ऐसा ही होता था हां हमें पता है बरसों से यह प्रथा चली आ रही है ऐसे कई सारे निर्भया हो चुके हैं पर आने वाले निर्भया को को तो हम रोक सकते हैं,
ऐसी जघन्य अपराध वाली विचारधाराओं, मानसिकताओं को हमें समझना होगा उनको बताना होगा कि उनके द्वारा किए गए अपराध से वे बच नहीं सकते,
इन विषयों पर मीडिया कर्मी, विपक्ष के नेता और सत्ता पक्ष यह अहम भूमिका निभाते हैं पर आज के दौर में क्या हो रहा है, मीडिया को टीआरपी की पड़ी है विपक्ष को आगामी चुनावों मैं सीटों की पड़ी है (वोट बैंक) और सत्ता पक्ष को अपनी सत्ता बचानी है,  

आप लड़ते रहे नेताओं की शकुनी चाल  की वजह से एक दूसरे के साथ, पहले जाति में लड़ाया अब धर्म में लड़ा रहे हैं आप यह नहीं समझ पाते कि आपके साथ यह सिर्फ खेल खेल रहे हैं, यह पहले से कभी ना इन विषयों पर गंभीर थे, ना है, ना भविष्य में होंगे !! और उन्हें भी क्यों होना चाहिए आप तो खुद भी गंभीर नहीं है, अगर गंभीर हो तो अपने फेसबुक सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म में, इस मैसेज को शेयर करके या अपने द्वारा आप खुद से लिखे गए मैसेज को शेयर करके लोगों को बता सकते हैं कि हमें कानून की क्यों जरूरत है, वरना यह आगे भी चलता रहेगा,
आज की पीढ़ी बस यही तक सीमित है, में क्या कर सकता हु, मुझ अकेले से क्या होगा, कठोर कानून से क्या गुनाह कम हो जाएंगे? ऐसे अनेको सवालो से घिरा रहता है,

अगर देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कठोर कानून बनाये गए, तो सम्भवतः देश में एक सुरक्षा का माहौल बनेगा, कानून ऐसे होने चाहिए, की बलात्कार की विचारधारा भी एक व्यक्ति के मन में उत्पन्न ना हो ।।

धन्यवाद


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