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नेताओं की भर्ती Recruitment of politician





क्या हो अगर राजनेताओं को पेपर देकर सत्ता हासिल करनी पड़े ? यह एक सवाल भी है हमारे सिस्टम में हम न जाने ऐसे कई सारे बदलाव कर सकते हैं,  जिससे हम देश को बदल सकते हैं!
 अभी कुछ दिन पहले ही मैंने एक न्यूज़ देखी तो उसमें बिहार के कुछ छात्रों ने एक चिट्ठी में चुनाव आयोग को लिखा था कि जब हमें बगैर पेपर दिए पास किया जा सकता है तो सरकार को बगैर चुनाव लड़े क्यों नहीं तो इसी बात पर मुझे एक अपने दोस्त की एक बात याद आई कि " क्या हो अगर इस देश में अगर हम नेताओं को पेपर के माध्यम से पास या फेल करें जो जितनी ऊंचे पद का दावेदार होगा उसे उतना ज्यादा पढ़ा लिखा होना आवश्यक है "  
अगर हम इस तरह का कोई बदलाव लाते हैं तो मैं 100% यह कहूंगा कि देश की  संसद में एक या दो ही ऐसे व्यक्ति होंगे जिन पर कोई क्रिमिनल केस या फिर कोई F.I.R.(FIRST INFORMATION REPORT) होगी, मेरी सारी बातें किसी ना किसी और इशारा करती है !
पहली बात इनका पढ़ा लिखा होना आवश्यक है , दूसरी बात इनका कोई भी क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं होगा , तीसरा कोई भी बिल अगर संसद में लाया जाएगा तो उस पे सभ्य तरीके से चर्चा होगी , चौथा देश की राजनीति आम आदमी के ऊपर ध्यान केंद्रित करके ही बनाई जाएगी ना कि धर्म जाति जैसे अन्य मुद्दों में भेदभाव करके , पांचवा जितने भी बेरोजगार लोग हैं जो भी पढ़े लिखे हैं वो इन पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगे इससे देश में जो लोग जिस कार्य को करने की क्षमता रखते हैं वह लोग सही पदों पर होंगे हां पर आपके मन में एक सवाल और आ सकता है जो हमारी सरकारें नौकरियों में आवेदन की प्रक्रिया से लेकर सिलेक्शन तक एक-दो साल लगभग लग ही जाते हैं तो यह तो हमारे विधायकों और प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के चयन की बात हो रही है तो उसमें कितना समय लगेगा ,
 वह तो कोई नहीं बता सकता और हां जैसे राज्य सरकारों मैं कई सरकारें नौकरियों में घपले होते हैं एवं घोटाले निकलते हैं उससे तो साफ है कि कोई भी पक्षयह आकर कह देगा किइस में धांधली हुई है हमारे देश में जो पुरानी व्यवस्था चली आ रही है उसमें लोगों को बरगला के उनको फुसला के अनेक सरकारों ने 5 वर्षों के कार्यकाल से बढ़ाकर 10 साल और फिर 15 साल इस तरह राज क्या है यह सिर्फ केंद्र के शासन की बात नहीं कर रहा हूं मैं राज्य सरकारों में तो कई ऐसे मुख्यमंत्री हुए हैं जिन्होंने लगभग तानाशाही राज किया है और हम सिर्फ मूकदर्शक बनकर उनको सुनते हैं और देखते हैं बस हमारे पास उस दिन ताकत होती है जब यह गिड़गिड़ाते हुए हुए हमसे चुनाव का एक वोट मांगते हैं ,
कई लोगों का दिल पसीज जाता है और वह यह सोचते हैं इस बार किसी न किसी वजह से काम रुक गया पर अगली बार विकास जरूर होगा विकास नाम का लड़का तो 5 साल के अंदर 5 बार हो गया होगा पर असली विकास वह 5 साल बाद भी उतना ही रहेगा और आने वाले 5 सालों मैं उतना ही रहेगा उसकी हाइट नहीं बढ़ेगी ना कद बढ़ेगा वह दिखेगा उम्र से ज्यादा पर असल में 5 साल का ही रहेगा सरकारें क्या है आती रहेगी जाती रहेगी यही सोच इंसान के अंदर बसी रहेगी  'आप ' ' में ' हम सब यह बदलाव ला सकते हैं चुनाव से ठीक पहले अगर दिमाग से काम लोगे तो देश में बदलाव ला सकते हैं !!


ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहे धन्यवाद 

मेरे विचारों को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद 

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