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एक अंधभक्त की कहानी Story of a blind devotee


तू भक्त था भक्त है भक्त ही रहेगा 
आईना देख कर बस यही कहेगा 
जय जयकार हो जय जयकार हो
हर एक बार हो जय जयकार हो 
तू चिल्लाएगा दोहराएगा एक बात को
 हजार बार बताएगा तू रटाएगा तू सुनाएगा 
तू बस वही REPEAT करता जाएगा 
अंधभक्ति से ऐठा है आंखें मूंद बैठा है 
नई किरण का पता नहीं 
यह उनकी है तेरी कोई ख़ता नहीं 

तू पीछे पड़ा है तू रटता चला है  दोहराता  चला है 
बतलाता चला है गहराता चला है अंधेरा यहां 
फैलाता चला है तू पहरा यहां 
फेक न्यूज़ का जाल है बुनता  
ऐसी खतरनाक चाल यह चुनता  
जानता है यह सब फिर भी बेफिक्र बैठा है 
समानता का नकाब ओढ़े तमाशा यह देख रहा है 

तू  भक्त की कतार  में मत पड़ 
एक दिन बिखर जाएगा टूट जाएगा 
दूसरों को आखिर में बस यही बतलाएगा 
गलत था गलत हूं गलत ही रहूंगा 
भक्त बन कर बस यही कहूंगा 
मैं ना जानता बस IT CELL को  ऑफिस मानता 
आप दोहराओगे कट्टर भक्त पढ़ रहे हैं 
क्या उन्हें भी सुनाओगे मन की बात 
मन आपका जो कोई बदल नहीं सकता 
आप जो चाहे बोल दे आपका कहा ना कहा 
कुछ भी बदल नहीं सकता 




कट्टरवादी सोच से कभी देश का विकास नहीं हो सकता हम अपने दिमाग से सोचने की बजाए दूसरों के दिमाग से सोच रहे हैं यह कट्टर भक्त की कहानी है जिसके पास सिर्फ कट्टरवादी मानसिकता है और इसका क्या मतलब है वह किसी की बात सुनना नहीं चाहता वह आपको अपने जवाब नहीं देगा उसके पास कुछ चुनिंदा सवाल है जिनके जवाब  भी उसी के पास है और वह उन्हीं  जवाब को सुनने की क्षमता रखता है अगर आपका जवाब उससे  अलग हुआ तो वह आपको गद्दार की नजरों से देखेगा ऐसी मानसिकता है एक कट्टरवादी व्यक्ति की !!

ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहे धन्यवाद 

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