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आत्मा का सफर journey of the soul


ब्रह्मांड के चारों ओर देख रहा हूं,
यहां घना काला साया है ,
मृत्यु के बाद की कल्पना कर रहा हूं,
यह रास्ता आखिर मुझे कहां ले आया है

 डर लगता है मेरा मन भयभीत  भी होता है,
क्योंकि अकेला हूं यहां,
इस अंधेरे से मैं डरता हूं,
आखिर इस भटकती आत्मा में मैं जा रहा हूं कहां

 सवाल अनेक है, क्योंकि शरीर जो त्याग दें उसकी यादें भी अनेक हैं
 मेरी आत्मा को याद है, इस जन्म और मृत्यु का भी उसे एहसास है
 यह ब्रह्मांड है, दिशाएं नहीं है यहां,
यह धरती नहीं है जहां चली जाए आत्मा यहां वहां

 शायद मैं यहां भटक रहा हूं, इस ब्रह्मांड को समझ रहा हूं
 ढूंढ रहा हूं उस रोशनी को, जिस पर पहले भी चला हूँ
 जो अपने थे जुड़े हुए, समाज के रिश्तो से थे जो बंधे हुए
 जानते हैँ  वो बस मेरे शरीर को, नहीं मानते आत्मा के अस्तित्व को

 मेरे थे जो किए कर्म, जितने भी मैंने लिए जन्म
 उन कर्मों पर निर्भर मेरी आत्मा और एक नया जीवन
 इंसानी कल्पना से परे, जीवन जीते इंसान डरते मौत के खौफ से 
 एहसास है इन्हें भी, मृत्यु पास है इनके भी

 मेरी तरह इन्हें भी इस ब्रह्मांड की दिव्य शक्तियां डराएंगी
 मौत के बाद किए हुए कर्मों का एहसास कराएंगी
 जो पहचान जितने जन्मों मे बनी थी, 
उन सभी शरीरों को त्याग चुका हूं मैं 
 जो शोहरत जो पैसा कमाया था, वही छोड़ चुका हूं मैं 

 सिर्फ आत्मा के रूप में ही असल ब्रह्मांड को मैं देख पाया था
 जहां दिव्य रोशनी की कतार में, सहमें कई खड़े हैं
 जानते हैं वे यहां न्याय से नहीं बच सकते
 जो न्याय क्या है जीवन में, ब्रह्मांड में कहीं छुप नहीं सकते

 रोशनी की कतार में, सभी के कर्मों का हिसाब होगा
 जो छुपा रहे थे जीवन में अपनों से समाज से अपने कर्मो को 
 पूरा जीवन यहां उनका एक खुली किताब सा होगा !!

 मृत्यु के बाद आत्मा क्या सफर तय करती है, आखिर किस तरह से हमारी किए गए कर्म हमारी दिशा तय करते हैं, आत्मा के इस अंतिम सफर में यहां कोई आपके साथ नहीं होगा, जितनी भी धन-दौलत संपत्ति यश, नाम अपने यहां कमाया है वह सिर्फ आपका शरीर ही भोगेगा, आत्मा के सफर में आप कुछ भी अपने साथ में लेकर नहीं जाओगे, यही है जीवन की सच्चाई,

 हम जीवन में लालच जलन द्वेष ये सारी अनेकों भावनाएं लेकर अपने जीवन को आगे बढ़ाते चले जाते हैं, पर हम यह नहीं जानते कि हमारी मानसिक चेतना से परे क्या इस अंत समय में भी यह क्रोध जलन द्वेष हमारा साथ दे पाएगा ...... कुछ वर्ष ही सही जब जीवन मनुष्य का शेष रह जाता है तब वह इन बातों का आभास करता है और डरता है मृत्यु से !!

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