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विश्व में अस्थिरता instability in the world

क्या सबकुछ पारदर्शी है या फिर पर्दे के पीछे कुछ और बड़ा खेल होने वाला है,  मैं बात कर रहा हूं विश्व में हो रहे अस्थिरता के बारे में,  शायद कई लोग इन बातों को नजरअंदाज कर रहे होंगे या फिर  लोग इन मुद्दों को गंभीर नहीं मानते होंगे पर जिस प्रकार यूक्रेन और रशिया के बीच युद्ध शुरू हो चुका है,  उसी प्रकार विश्व में कई अन्य देश अपने देश के लोगों को आर्थिक अस्थिरता से भटकाने के लिए इन मुद्दों की तरफ जैसे कि युद्ध या फिर किसी और तरह के विवादों में उनका ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, 
 जो लोग इन गंभीर परिणामों को नहीं समझ पा रहे हैं उनके लिए एक उदाहरण यह है कि जो परमाणु शक्ति संपन्न कुछ देश है जहां तानाशाही चलती है वही देश आज के दौर में अस्थिरता को बढ़ावा दे रहे हैं,  आखिर इनके पीछे की वजह क्या है और इन सब कड़ियों को आखिर जोड़कर हम क्या नतीजा निकाल सकते हैं. 

 आर्थिक रूप से संपन्न कई तानाशाह देशों की जनता की गाढ़ी कमाई को दूसरे देशों में क़र्ज़ के तौर पर वे देते थे,  अब वही देश अपने दिए हुए कर्ज  को नहीं वसूल कर पा रहे हैं,  जिससे कि उनके जो देश में जनता की जमा पूंजी थी उस मूल रकम में गिरावट दर्ज की गई है,  और आम जनता को अगर इन बातों का पता चले कि वह अपने ही बैंक खातों से पैसा नहीं निकल सकते जो कि उन्होंने अपने जीवन भर में जमा पूंजी इक्कट्ठी  करके बैंकों में रखी है, इसका असर पूरे देश में दिखने लगता है धीरे धीरे, और तानाशाह को इन मुद्दों से जनता को भटकाने के लिए छोटा सा युद्ध पर्याप्त है जिससे लोगो के मन में देशभक्ति रहे, और वे सरकार की गलतियों को भूला देते हैं, 

 फिलहाल हम तो इतने हैं छोटे लोग हैं अपने पद के अनुसार या फिर अपनी सोच के अनुसार कि हम इन घटनाओं को सही रूप से आकलन नहीं कर सकते कि यह कब होने वाली है या फिर कब हो सकती है,  परंतु इन आने वाली घटनाओं की हल्की सी झलक कुछ जगहों पर दिखाई देगी जैसे कि शेयर बाजार या फिर आप अगर इसे देखना चाहे तो कुछ देशों के प्रति जो उनकी थोड़ी बहुत छोटी मोटी नोकझोंक है वह बढ़ता जाना, 
 रूस और यूक्रेन के बीच जो कि हल्की सी चिंगारी जो भड़की और उसने फिर इस युद्ध ने पूरे देश को अपने आगोश में ले लिया, और इसके बाद कई सारे आपने युद्ध कुछ पहले भी सुने होंगे  जो कि इतिहास में दर्ज है, और अब भी कई सारे तानाशाह देश इस तरीके से अपने रवैया पर अड़े हुए हैं कि उन्हें जो चाहिए वह उन्हें हासिल करने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार है, 

 क्या युद्ध की कोई एक तारीख को सकती है अगर हम आज के दौर पर बात करें तो शायद यह मुमकिन होने की संभावना कुछ ज्यादा ही है, और इसमें आप समझ सकते हैं कि जो देश शामिल हो सकते हैं वहां तानाशाही सरकारों का राज होता है, आम जनता की कोई सुनता ही नहीं है, आम जनता को राष्ट्र भावना के भरोसे ही जगाया जाता है और उनको राष्ट्र भावना के भरोसे ही उनपर जो कड़े नियम और कानून होते हैं वह  लगाए जाते हैं जिससे कि वह सरकार के विरोध में आवाज ना उठा सके, 
सरकार की भ्रष्ट तंत्र प्राणी पर भी आवाज ना उठा सके और अगर कोई आवाज उठाने की कोशिश करें तो फिर उसका नतीजा यह होता है कि या तो  वह व्यक्ति गायब हो जाता है या फिर उस व्यक्ति की पहचान ही समाज से गायब कर दी जाती है, 

 खराब होते 2 देशों के बीच के रिश्ते,  परेशान जनता और सरकार,   दूसरे देशों के प्राकृतिक संसाधनों पर नजर  और उनकी विकसित की गई तकनीकी  या फिर उनकी अर्थव्यवस्था बढ़ती हुई जिससे कि दूसरा जो देश है उसको डर सताता है खुद के अस्तित्व के रहने का,  इसी वजह से कई देशों द्वारा नई तकनीक विकसित की जा रही है ताकि वह एक दूसरे देश से आगे निकल सके और अपनी तकनीक के बलबूते पर कोई भी युद्ध जीत सके  ||

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