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झूठ और सच का खेल game of lie and truth

 
झूठ झूठ परोसते हैं, अपने अपनों को कोसते हैं 
हंसने वाले हंसते हैं, देखने वाले सोचते हैं 
क्या यही है सच, जो दिखाया अभी तक 
पहले भी तो बहुत कुछ किया हुआ है गलत, 
शायद इन्हें नहीं पता, इन्हें भी लग चुकी है बुरी लत 

गलत गलत दिखा रहा, समाज वही अपना रहा 
भेदभाव बढ़ता रहा, अंधेरे में कोई घर जलता रहा 
झूठी है खबरें, बढ़ती हुई कब्रें, 
हंसते हैं वो जो जानते हैं सबकुछ, 
बैठे हैं गुपचुप क्योंकि भरोसा नहीं है, 
झूठी अफवाहें वही सही है 

अफवाहों पर ध्यान, ले डूबेगा समाज को अधूरा ज्ञान 
काबिल खुदको ना काबिल दिखाएंगे, 
रोएंगे दुख में, नकली आंसू बहाएंगे  क्योंकि 
यह जानते हैं सबकुछ, छुपाते हैं सबकुछ 
हमदर्दी जताने के लिए, यह आंसू बहाते हैं कुछ कुछ 

परिवार था 12 सदस्य थे, फिर 10 थे और अब 4 रह गए 
बाकी सारे जो भी सच कहें, वो बीमार हो गए 
कहने वाले नही बचे, बचने वाले नहीं रहे  
आखिर सच बोलने वाले, इस धरती से कहां चले गए 

झूठ को झूठ, सच को सच साबित करना बेशक मुश्किल है 
नहीं कोई मंजिल है, कुछ भी कह पाना यहां नामुमकिन है 
वो हंसते हैं क्योंकि, झूठ को सच मानना अब मुमकिन है 
जब हर जगह झूठ हो तो, झूठ को सच मानना अब मुमकिन है,

 यहां कितनी भी ईमानदार बन जाइए आपकी जो सच्चाई है वह भी झूठ ही समझी जाएगी,  आज के दौर में हर जगह झूठों के पुलिंदों  मैं समाज जी रहा है,  धीरे-धीरे करके खत्म होती सच्चाई और जो सच्चाई बोलने वाले भी लोग होते हैं उनके मन में सच्चाई के प्रति नफरत भर जाना आज के दौर का यही एक सच है,   
आप अपने बारे में किसी को भी अगर सच कहते हैं तो वह आप से किनारा कर लेगा पर अगर वही आप झूठ  बोलते हैं तो आपको कई नए दोस्त नजर आएंगे,  यहां झूठे लोगों की कद्र की जाती है सच्चाई अगर  आप कह दें चाहे वह अपने अस्तित्व या अपने बारे में ही कोई ध्यान नहीं देगा,

आप कितना झूठ बोलकर अपनी पहचान समाज में बनाते हो ये दर्शाता है आपके चरित्र को, और जो लोग सच बोलकर जी रहे है,किसी झूठी जिंदगी से परे जीवन की सच्चाई को अपनाते हुए उनके स्वभाव और चरित्र की पहचान उनके असल जीवन को दर्शाती है ||

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