हर वक्त कहता है, हर वक्त रहता है,
यह पैसा है पैसा है, कैसा ये पैसा है
सबकुछ जो देता है, यह पैसा है पैसा है
यह माया है पैसे की, बदलती हैं ऐसे की
जलती है दुनिया, जलते हैं लोग, जैसे कि
जो उनका है वो पा लिया, जैसे हो चुरा लिया
चैन छीन लिया उनका,
लगता हो जैसे जलन के तेजाब से उन्हें नहला दिया
यहां हर कोई चाहता है, चुराना चाहता है
पैसों के लालच में इंसानियत मिटाता है
है अंदर ही अंदर, लालच भरा समंदर
जलते हैं जलकर, पैसों के बल पर
लालच की अंतहीन सीमाएं, पैसों से सपने पूरे हो पाएं
है अनेकों चिंताएं, बगैर पैसे के ना जलती चिताएं
हां सबकुछ चाहिए, यहां पैसा ही भाई है
अपने कसाई हैं, मेरी मेहनत की कमाई है
यहां सबकुछ है पैसों के बल पर
इंसानियत चाहता है, इंसानों से जलकर
पैसों के बल पर ताकत, घमंड, औकात
अपनाता हुआ इंसान, और उसी रास्ते पर चलकर
खत्म होता जा रहा है अस्तित्व,
विलीन होता जा रहा है हर एक तत्व
ये पैसों की माया है, मन भरमाया है
कितना भी खर्च क्यों ना हो जाए पर
मन अभी तक नहीं भर पाया है
मनुष्य का जीवन में सिर्फ एक ही लक्ष्य रह गया है, ज्यादा से ज्यादा पैसे जमा करना और उनसे अपनी जरूरतें पूरी करना, पर यह जरूरतें तब असीमित हो जाती हैं जब मनुष्य को लालच, घमंड और अहंकार पैसों के बल पर उसके मन में मानवता को समाप्त करता चला जाता है,
क्या हर कोई पैसो के पीछे भाग रहा है, कुछ जो जीवन जीने के लिए पैसों को अहम मानते हैं, और कुछ वे लोग हैं जो किसी भी हाल में पैसों को पाना चाहते हैं, इनके सामने कुछ भी आड़े नहीं आता चाहे वह धर्म हो, चाहे वह राष्ट्रवाद हो, जो चाहे वह मानवता हो इनके लिए सिर्फ पैसा ही सब कुछ है, क्योंकि यह जानते हैं पैसों की ताकत जिसके पास होगी उसके आगे किसी की नहीं चलेगी
अगर हम किसी को समझना चाहे तो उसे समझने में भी थोड़ा समय चाहिए होता है, पैसों के लालच में कई नए रिश्ते जुड़ जाते हैं और वही कई सारे भरोसे टूट जाते हैं, बचते हैं सिर्फ वही लोग जो जानते हैं आखिर हम कितने काबिल हैं,
पैसों की जरूरत सभी को है क्योंकि आज का दौर ही ऐसा है कि बगैर पैसों के कोई कुछ हासिल नहीं कर सकता, परंतु लालच घमंड से ऊपर इंसान को अपनी इंसानियत हमेशा जीवित रखना चाहिए, क्योंकि हम जो जरूरत किसी से महसूस आज नहीं कर रहे हैं शायद हमें वह जरूरत किसी और से भविष्य में महसूस हो जाए,
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