मित्रों आप सब जानते होंगे कि मुद्रा क्या होती है? हाल ही में विश्व युद्ध की आहट के मद्देनजर कई देशों के द्वारा रूस पर किए गए प्रतिबंध, और उनका असर रूस की मुद्रा पर भी दिखाई दे रहा है, रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करना जिसे कोई भी कल्पना आज के दौर पर नहीं कर सकता, क्योंकि कोई भी महाशक्ति का किसी छोटे देश पर नियंत्रण करने के लिए युद्ध करना विश्व युद्ध की तरफ विश्व को धकेलना है,
पर क्या मुद्रा का भी कोई विकल्प हो सकता हैं जिससे कि हम वस्तुओं का आदान प्रदान एक दूसरे के साथ कर सके, वह भी एक बाजार के भाव पर,
दरअसल कई हजारों वर्षों पहले जब मुद्रा का प्रचलन नहीं था तब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से वस्तुओं का आदान प्रदान करता था, इसका मतलब है यदि आपने अपने खेत में गेहूं ऊगा रखे हैं और दूसरे व्यक्ति के पास चावल का भंडार है, तो आप उस दूसरे व्यक्ति के साथ वस्तुओं का आदान प्रदान करते हैं मतलब कि आप उस व्यक्ति को गेहूं देते हैं और वह आपको चावल की कुछ बोरियां आपको देगा जिससे कि आपको चावल अगर खाने का मन है तो आप उस्से चावल ले सकते हैं,
अब आप यह सोचोगे कि उस वक्त चावल और गेहूं की कीमत कैसे तय की जाती थी, कि दोनों में से ज्यादा बहुमूल्य क्या है, तो हम हम यहां आते हैं मांग और उत्पादन में फर्क,
अगर चावल का उत्पादन गेहूं के उत्पादन से ज्यादा है तो उस चावल की कीमत गेहूं की कीमत से कम आंकी जाएगी क्योंकि 10 में से 8 लोगों के पास चावल है और दोनों के पास सिर्फ गेहूं है, और इस तरह आपकी गेहूं का मूल्य चावल के मूल्य से ज्यादा रखा जाएगा और आप गेहूं की 2 बोरियों के बदले चावल की 6 बोरी आसानी से ले सकते हैं,
समानांतर रूप से आज के दौर में हम देखें की किसी भी देश पर किसी भी तरह की आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाते हैं या फिर अगर तू देशों के बीच कोई युद्ध हो रहा हो, तो जो मुद्रा जो कि हम नोट के या फिर सिक्कों के रूप में आज हम हाथों में महसूस करते हैं, उनका मूल्य कुछ नहीं रह जाएगा, मूल्य उन चीजों का रहता है जो कि हमें प्रकृति से प्राप्त हुई होंगी और वह हमारी पृथ्वी पर बहुत कम मात्रा में आज मौजूद है,
हीरा, सोना, चांदी, यूरेनियम, और ऐसे अन्य बहुमूल्य मेटल, तांबे जिनकी जरूरत और उपयोगिता उस मौजूदा वक्त में बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, इसके अलावा गेहूं चावल अलग अलग किस्म की दालें और अन्य तरह की वस्तुएं भी इसमें शामिल की जाती है,
राजा महाराजाओं के दौर से सोने को सबसे ज्यादा एहमियत दी गई है और उसकी वजह आज भी है क्योंकि यह कई तरह से कई जगह और कई रूप में काम आता है, इस वजह से आज के दौर पर भी कई देशों के द्वारा सोने का अलग से भंडार किया जाता है,
जिन वस्तुओं की अहमियत आज हम नहीं करते कुछ चंद नोटों और सिक्कों की वजह से, वही वस्तुएं कई जगह आने वाले समय पर चाहे वह युद्ध हो जाए वह भीषण त्रासदी हो उन जगह सबसे ज्यादा काम आती है, क्रिप्टोकरंसी या फिर किसी और तरह की डिजिटल मुद्रा यह अस्तित्व तभी तक है जब तक कि आपके पास कोई संचार का साधन हो, और उसमें इंटरनेट का भी एक महत्व है जोकि सेटेलाइट के माध्यम से आपको मिलता है, और विश्व युद्ध या किसी तरह की भीषण त्रासदी जब आती है तो उसमें इन सब वस्तुओं का कोई महत्व नहीं रह जाता है, महत्व रहता है सिर्फ उन वस्तुओं का जो कि आपके सामने मौजूद है...
" इस पूरे ब्लॉक का एक यही साधारण सा अर्थ है, भीषण लड़ाई या फिर त्रासदी में भी किन चीजों का हमें महत्व रखना चाहिए वह हमें हमेशा ज्ञात होना चाहिए "
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