ऑक्सीजन हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है यह हम स्कूल में से पढ़ते आ रहे हैं, पर आज देश और दुनिया की क्या स्थिति है आप जानते ही हैं, ऑक्सीजन की जरूरत क्या हमे अभी से महसूस होने लगी है या ये पहले से थी ?
शायद उस अंधी मीडिया को यह सब नजर नहीं आया, हमारे वैज्ञानिकों ने पिछले साल ही इस नए कोरोनावायरस को ढूंढ लिया था, पर हमारे नेताओं की संवेदनहीनता और मीडिया की संवेदनहीनता की वजह से आज हम कई लोगों को न्यूज़ चैनल पर मरता हुआ देख रहे है, सिस्टम अभी से लाचार हो चुका है जबकि अभी तो शुरुआत हुई नहीं है,
आज हर व्यक्ति धर्म से ऊपर उठकर सिर्फ अस्पतालों की बातें कर रहे हैं, पर क्यों हम इन विषयों को रोजाना की बहसों में जोड़ नहीं पाते, शायद इसकी एक वजह यह भी है कि हम सब इन खबरों के आदी हो चुके हैं या फिर हमें जो परोसा जा रहे हम उसी से संतुष्ट हो जाते हैं,
ऑक्सीजन जो हमारे पर्यावरण में काफी मात्रा में पाई जाती है इन छोटी सी जरूरतों को हम एक आम इंसान के लिए पूरा नहीं कर पा रहे हैं, आखिर इसके पीछे की क्या वजह है?
ऐसा नहीं है कि ऑक्सीजन की ज्यादा भरपूर मात्रा में किल्लत सिर्फ एक देश में ही हो रही है, इससे पहले गुरु ना वायरस की दूसरी लहर में कई अन्य देशों को भी ऑक्सीजन की किल्लत से जूझना पड़ा था और आज भी वे जूझ रहे हैं,
हमें हमारे नेताओं के द्वारा यह बताया गया कि आप बेफिक्र हो जाइए और खुलकर सांस लीजिए, क्योंकि इनका जो अर्थ था कि कोरोनावायरस खत्म हो चुका है वह इनके चुनाव प्रचार पर साफ दिखाई दे रहा था, यहां कई लोग भी बेफिक्र इस वजह से भी हो गए क्योंकि इन्हीं नेताओं की वजह से और इन्हीं मीडिया हाउसेस की वजह से लोगों के अंदर एक ऐसा आत्मविश्वास हो गया कि कोरोनावायरस लगभग देश में से जड़ से समाप्त हो चुका है,
मैं एक सेल्समैन हूं मैं जमीनी स्तर की दुर्दशा समझता हूं, मुझे पता है जब भी मैं उन लोगों से मिलता था तो उनके विचार उनके व्यवहार इसी वजह से बेफिक्री में आ गए थे कि जब भी नेता लोग बगैर फेस मास्क के जी रहे हैं तो हमें मास्क लगाने को क्यों मजबूर किया जा रहा है, अब हमारे द्वारा उनको विवश तो नहीं किया जा सकता, कड़े प्रतिबंध लगाना कड़े नियम कानून बनाना राज्य एवं केंद्र सरकारों का काम था, हमारा काम था सिर्फ उन नियमों को मानना,
ऑक्सीजन जो कि एक आम आदमी की जरूरत है उसमें कमी होने के पीछे भी लोगों का आत्मविश्वास है, आपसे निवेदन है कृपया मास्क लगाएं और अपने साथ-साथ अपनों को भी बचाएं,
सरकार की नीतियां कहां विफल होती है?
चुनाव प्रचार में भारी भीड़ बुलाकर, कोरोना प्रोटोकॉल की अनदेखी करके, सरकारी नीतियों के खिलाफ जन विद्रोह और आंदोलन, एवं सरकार के कई उच्च स्तरीय मंत्रियों के द्वारा अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए, खुद को गुमशुदा या लापता घोषित कर देना,
अब देखते होंगे कि जो कई नेता होते हैं या फिर कई जो मीडिया हाउसेस होते हैं, जो कि आज चलाए जाते हैं कई उद्योगपतियों के द्वारा उनकी मानसिकता में सिर्फ और सिर्फ अमीरों की और या मध्यम वर्ग की स्तर की पत्रकारिता करने तक का ही नजरिया होता है, इन नेताओं और मीडिया हाउसेस की विचार एक जैसे होते है, अगर नेता लोग मास्क पहनना छोड़ दें तो कुछ नहीं पर आम जनता मास्क पहनना छोड़ दे तो यह कहते हैं कि आम नागरिकों की गलतियों की वजह से ही यह फैल रहा है, शायद ये अपना सहयोग इस कार्य में भूल जाते हैं, कोरोनावायरस को फैलाने में इनका कितना बड़ा योगदान था,
हमारे देश में एक वर्ग ऐसा भी है, शायद वह गरीब वर्ग अब खत्म हो चुका है, क्योंकि उन गरीब लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है,
आप सांस ले रहे हैं खुल के सांस लीजिए क्योंकि ये ऑक्सीजन आपको फ्री में मिल रही है, शायद आप अगर कहीं बीमार पड़ गए तो आपको फ्री में ऑक्सीजन ना मिले इस महामारी के दौर में शायद जैसी आज की स्थिति है, मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले दिनों में हर नागरिक को जो कि ऑक्सीजन की जरूरत के लायक है उसको अक्सीजन मुहैया कराई जाए, वरना जो स्थिति आज है उससे भी कई गुना बदतर स्थिति हम आने वाले समय में देखने वाले हैं,
यह स्थिति सिर्फ एक देश की स्थिति नहीं विश्व की है पर हमने दूसरों से नहीं समझा नहीं सीखा और आज हम उसी स्थिति की ओर धकेले जा रहे हैं,
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