सीने में आग जलनी चाहिए,
मेरे अंदर ना सही पर तेरे अंदर वो आग रहनी चाहिए,
बतला दे समाज के हर उस तबके को तू
आवाज़ उठाना जानता है, पहचानता है आखिर कौन है तू
ये आग जब भड़केगी, गुस्सा चरम सीमा पे होगा
जल पड़ेंगी लाशें, अंगारो में चलना होगा
गुलामी की सोच जब ख़त्म होगी सवाल पूछे जाएंगे,
उग्र आंदोलनों के ज्वलंत मुद्दुओं को फिर से हम उठाएंगे,
सच्चाई छुपाये नही छुप सकती, असल मुद्दे दबाये नही दब सकते,
कोई कितना भी क्यों ना बिक जाए,
सच्चाई कहे बिना वे भी रह नही सकते,
मुद्दे अनेक रोजाना, गरमा गरम बहसों में पक जाते हैं
कितनी भी राजनीति क्यों ना कर ले कोई युवा,
बुजुर्ग राजनीतिज्ञों से लड़ते लड़ते वे भी थक जाते हैं,
चिंगारी सुलगेगी यह आग जलेगी,
विद्रोह की आवाज जो हर चौराहे में फैलेगी
विद्रोह विश्वास से, विद्रोह एकमत आवाज से
झूठ से पर्दा उठाने के लिए, कहता है युवा विद्रोह की आवाज से
अंतहीन लालच की गहराई में समाए हुए इंसान को
अंतहीन बुराई के अंधेरे को लपेटे हुए इंसान को
नहीं दिखेगा सच उन्हें, जो समेटे हैं इंसानी विचारधारा को
सोचकर बदलकर चार कदम चलकर,
विद्रोह की आवाज में अपनी आवाज मिलाकर,
इस झूठ को बंद कर
हम सच्चाई के साथ हैं, हम सच की आवाज हैं,
कई सारे झूठ की परतों में छुपे हुए राज है,
फिर भी हम सच के साथ हैं,
आखिर कब तक आम जनता को झूठ के वादों की झड़ी लगाकर के नेता लोग हर चुनाव में बेवकूफ बनाते चले जाएंगे, इंसान की ताकत है ज्ञान वह जितना ज्ञान अर्जित करता है उतना ही वह सवाल पूछने की क्षमता रखता है, अगर आपको यह पहले से पता हो कि आखिर जो व्यक्ति चुनाव से पहले आपको कुछ देना चाह रहा है और चुनाव के बाद वह अपनी हसरतों को आपके माध्यम से हासिल करना चाहता है,
आज भी जनता उस भीड़ का हिस्सा बन चुकी है जो सिर्फ चुनाव के दौरान जो उन्हें मिल रहा है समेटते चले जाओ, और 5 साल के लिए किसी को भी वोट देकर उस गहरी गुफा में फिर सो जाओ, यह लोग बाकी आम जनता पर एक तरह से बोझ बनकर जी रहे हैं,
जब आप किसी नौकरी के लिए आवेदन करते हो या फिर जब आप मजदूरी करने के लिए किसी ठेकेदार को ढूंढते हो, वह सबसे पहले यह जानना चाहेगा आपके बारे में कि आखिर आपपे कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज तो नहीं है,
परंतु वही जब हम दूसरी ओर एक राजनेता की राजनीति से संतुष्ट हो जाते हैं, हम यह देखना भूल जाते हैं कि आखिर उस राजनेता को यहाँ तक पहुंचने में कितनी बड़ी आपराधिक छवि बनानी पड़ी, हां सभी राजनेता ऐसे नहीं होते पर क्या हमें पता होता है कि आखिर हमारे क्षेत्र के विधायक की छवि कितनी साफ है और कितनी धुंधली है,
आप खुद अनपढ़ अपने अपने ऊपर बैठे हुए मंत्री को भी बना दिया अनपढ़, शायद मेरी बातें पढ़कर, आपको कुछ होश या समझ आए,
हम गलती नेताओं की निकालते हैं आखिर गलती हमारी भी तो है, हमारी भीड़ के कुछ लोग ऐसे लोगों को चुन के सत्ता के गलियारे तक पहुंचा देते हैं, और बाद में जब वह काम नहीं करते तो हम यह कहते हैं कि अगली बार हम किसी और को बनाएंगे पर यहां हमें ही नहीं पता होता कि वह जो भीड़ है जो आम जनता के बीच है वह सिर्फ और सिर्फ चुनाव के समय अपना हित साधने में जुड़ जाती है,
आप विश्व में किसी भी कोने में क्यों ना हो ऐसी व्यवस्था आपको जरूर नजर आएगी, कृपया खुद से पूछे और सोचें ये सवाल करें जरूर,
जिनको देश की चिंता होती है हर 5 साल मैं एक बार सवाल नहीं पूछता, वह रोज उस सरकार से सवाल पूछता है जिसको उसने चुन के वहां सत्ता तक पहुंचाया है, अगर आप भी सवाल पूछना भूल चुके हैं तो खुद से एक बार सवाल जरूर करें कि आखिर आप जो बदलाव देखना चाहते थे क्या वह आखिर हुआ?
दोस्तों अंधभक्ति अपने चरम पर है कृपया किसी भी राजनीतिक दल के अंधभक्त ना बने, स्वयं के विचारों से अगर आप सहमत हो तभी सवाल पूछना शुरू करो, आपको राय देने वाले बहुत मिल जाएंगे दुनिया में पर आपकी राय पर कोई सहमत हो यह काफी मुश्किल होता है इस दुनिया में,
एक टिप्पणी भेजें
एक टिप्पणी भेजें
if you give some suggestion please reply here