अगर किसी 2 देशों में युद्ध शुरू हो जाता है, तो उसका परिणाम सिर्फ तबाही नहीं लाता हजारों लाखों लोगों को बेघर कर देता है, और फिर शुरू होता है शरणार्थियों का पलायन,
यह साजिश भी हो सकती है या फिर इन शरणार्थियों के पीछे कोई बड़ी ताकत भी हो सकती है जो इनके जीवन के साथ खेल रही होगी,
यह शब्द आने वाली पीढ़ी में सामान्य तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा, क्योंकि जिस तरीके से दिन-प्रतिदिन अनेकों देश हथियार संग्रह करते जा रहे हैं, और नए हथियारों में प्रयोग करते जा रहे हैं, इसका सीधा सा अर्थ है एक इंसान को दूसरे इंसान से गुलामी करवाना,
अनेकों शरणार्थी अपने एक देश छोड़कर दूसरे देशों में जाने के लिए मजबूर साबित हो जाते हैं, उसका कारण उस जगह की भौगोलिक स्थिति का बदलना या फिर वहां प्राकृतिक आपदाएं आना या फिर इस तरीके से बदलाव आना की आम जनजीवन के रहने योग्य वह जगह ना हो, और अगर फिर भी वह जगह इन सब चीजों से बच जाए तो वह एक मानव से नहीं बच सकती, बेहद विकसित और कारगर हथियारों से किसी भी खेतिहर जमीन को बंजर बनाया जा सकता है,
आने वाले युगों में बदलाव हम देखने वाले हैं जैसे जिन देशों में पानी के प्राकृतिक संसाधन मौजूद नहीं है या फिर जो है वह धीरे-धीरे करें खत्म होते जा रहे हैं, या फिर तेल संपन्न देश जोकि कच्चा तेल बेच कर कुछ भी पा सकते हैं,
शरणार्थियों को शरण देने से पहले एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के हालातों को देखकर मानवता के आधार पर उसे शरण देता है, एक राज्य उसे उसकी जाति के आधार पर उसे उस राज्य में शरण देता है, और एक देश उस व्यक्ति को शरण देने से पहले उसका धर्म देखता है, यह अद्भुत है क्योंकि देश को चिंता है कि उसके देश के नागरिकों के अधिकार कोई दूसरे धर्म के व्यक्ति के हिस्से में ना चले जाएं, एक देश को चिंता यह भी रहती है कि शरणार्थी उनके आम नागरिकों के संसाधन पर बोझ ना बने और अगर शरणार्थी दूसरे धर्म का है तो उसे बेहद कम अधिकार उस देश में दिए जाएं,
विश्व के ज्यादातर देश कुछ इसी तरीके से शरणार्थियों को उनकी जनसंख्या के आधार पर शरण देने या न देने पर विचार करते हैं,
क्या दूसरे ग्रह से आने वाला व्यक्ति किसी देश के लिए शरणार्थी हो सकता है ? दरअसल यह सवाल आप लोग खुद से भी पूछिए और सोचिए अगर कोई दूसरे ग्रह से विकसित सभ्यता का व्यक्ति किसी देश से शरण मांगने के लिए आग्रह करता है तो क्या वह देश उसे शरण देगा ?
आप सभी का उत्तर शायद हां हो, और उस सभ्यता के लोगों को बसाने के लिए अनेकों देश आपस में ही लड़ पड़ेंगे, इन सारे देशों को यह नहीं पता वह कि वह जो विकसित सभ्यता जो दूसरे ग्रह से आई है उसका धर्म क्या है उसकी जाति क्या है और उनका असल मकसद क्या है,
परंतु हम यहां धर्म के आधार पर ही उन शरणार्थियों का मकसद तय कर देते हैं, वैसे अगर आप यह सब काल्पनिक समझते हैं तो दरअसल भविष्य में हमारे द्वारा कई सभ्यताएं खोजी जा सकती हैं,
इस सवाल से मेरा सीधा तात्पर्य यह था कि हम किसी व्यक्ति को शरणार्थी का दर्जा तब तक नहीं दे सकते, और किसी देश में वह तब तक नहीं आ सकते जब तक की उनकी जनसंख्या और धर्म उस देश की सभ्यता से मिलते जुलते ना हो, वे सभी लोग शरणार्थी साबित नहीं हुए वे सभी लोग उस देश के लिए खतरा साबित होंगे, कुछ देश ऐसे हैं जो कि मानवता के आधार पर अनेकों शरणार्थियों को शरण देते हैं, और वह यह नहीं समझते कि धर्म या शरणार्थियों की जनसंख्या से उनके देश पर कोई असर होगा, वह सिर्फ यह समझते हैं कि शरणार्थी भी एक इंसान है, उसे जरूरत है उसके कठिन समय में एक आश्रय की उसके परिवार के रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान की,
किसी देश के लोग को शरणार्थी तभी बनाया जाता है जब बड़े देशों की सत्ताधारी ताकतों के ऊपर राजनीतिक दबाव ज्यादा हो, वे अपनी असीम शक्ति का प्रदर्शन उन छोटे देशों पर करते हैं जो कि अपने आप को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं, और इन बड़े देशों के निर्णय के आगे नहीं झुकते, और इन छोटे देशों की सरकारों के द्वारा लिए गए निर्णय में उनकी आम जनता का भी उन्हें समर्थन मिलता है,
कुछ बड़े देशों के द्वारा लिए गए आतंकवाद के नाम पर बड़े-बड़े गलत निर्णय, और उनका नतीजा भारी भरकम तबाही और आम नागरिकों का पलायन,
शरणार्थी सिर्फ शरण मांगता है, अगर धर्म के आधार पर, जाति के आधार पर, जनसंख्या के आधार पर, बंटवारा होता चला गया तो उस शरणार्थी का लगभग पूरा जीवन पलायन और अलग-अलग देशों में शरण मांगने में ही व्यर्थ हो जाएगा,
कुछ देश ऐसे हैं जहां प्राकृतिक संसाधन जमीन असीमित है पर फिर भी वह शरणार्थियों को धर्म के चश्मे से देखते हैं, सारथी शब्द एक शब्द नहीं है इसके पीछे छुपी है कई सारी कठिनाइयां जो कि एक शरणार्थी को शरण मांगते वक्त झेलनी पड़ती है,
विश्व भर में किसी ना किसी देश में होता हुआ एक नया ग्रहयुद्ध और उसके बाद नए शरणार्थियों के द्वारा नए देशों की ओर पलायन यह सब चलता रहेगा, भविष्य में शरणार्थियों की जनसंख्या बढ़ने वाली है......
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