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विज्ञान एक अभिशाप या वरदान Science a curse or boon

क्या यह मुमकिन हो सकता है ? विदेशों में बैठे हैंकरो के द्वारा सेटेलाइट कंट्रोल करना और उसको किसी देश पर गिरा देना, न्यूक्लियर परमाणु रिएक्टर को हैकिंग के द्वारा कंट्रोल करना, किसी भी देश की कानून व्यवस्था से छेड़छाड़ करना, किसी भी देश के ट्रैफिक को नियंत्रण करना, किसी देश के नए हथियार के ऊपर कार्य करने और उनके द्वारा की गई रिसर्च को बाहरी हैकरों द्वारा चुराना, क्या यह मुमकिन हो सकता है ?
अगर आप सोचते हैं हां यह हो सकता है तो आप यह भी जान ले कि आप जहां भी अपनी प्राइवेसी अपना डाटा सुरक्षित रखते हैं वह कभी भी सुरक्षित जगह नहीं है, ऐसा नहीं है हैकरो को आपकी जानकारी से कोई मतलब नहीं है, हैकर को ज्यादा फायदा जहां दिखता है वह उसी जगह हाथ आजमाता है, आपका नसीब अच्छा है क्योंकि आप भी मेरी तरह मध्यम वर्ग से हो,

अगर आप यकीन करते हैं कि एक हैकर आपके डाटा को आसानी से हैक कर सकता है, तो यह भी समझ ले कि इस धरती पर तकनीक से संबंधित हर वस्तु इंसान द्वारा बनाई गई है, और एक इंसान के द्वारा बनाई गई वस्तु का तोड़ सिर्फ दूसरा इंसान ही जान सकता है, आप जिस मशीन में किसी के लिए वोट करते हो, आप जिस मशीन से पैसे निकालते हो, या आप जिस मशीन पे भरोसा करके अपनी सारी जानकारी बाहर की दुनिया से छुपाकर रखते हो, हर तरफ किसी ना किसी की नज़र है,
 आने वाले भविष्य में ऐसी मशीनें आ जाए जो कि इंसानी दिमाग से ज्यादा सोचने समझने में कामयाब हो सके, और जहां तक मुझे लगता है कि इंसान अपने दिमाग से कहीं ज्यादा विकसित मशीन बनाने में शायद कामयाब हो जाए, वह दिन आप समझ लीजिए उस दिन से मशीनों का राज इस धरती पर कायम हो जाएगा,

हम अपने विकासशील से विकसित की ओर जाते हुए भविष्य की कल्पना करते हैं, परंतु देश तभी विकसित हो पाएगा जब हम खुद विज्ञान को ज्यादा से ज्यादा महत्व  दे, विकसित देश हमेशा नई नई तकनीक पर काम करते रहते हैं और उन्हें महंगे दामों पर विकासशील और गरीब देशों को महंगे दामों पर बेचते हैं, परंतु आप में से कई लोग इतना नहीं समझते होंगे जो ऊपर की परत में यह लोग दिखावा कर रहे हैं असल में इनके पास इससे भी ज्यादा विकसित तकनीक मौजूद है, और वह तकनीक यह तभी जाहिर करेंगे जब कोई विश्व युद्ध जैसी या फिर विश्वयुद्ध की स्थिति उत्पन्न हो जाए, क्यों कई देश अपने वैज्ञानिकों से नए नए हथियारों के लिए रिसर्च करवाते रहते हैं, और उनकी सुरक्षा में भी करोड़ों रुपए खर्च करते हैं,?

हमने विज्ञान का एक छोटा सा रूप परमाणु के रूप में जाना है जो कि बेहद घातक है, इसके आधार से आप पता नहीं लगा सकते कि विज्ञान कितना बड़ा है, हमें देखना होगा अपने ब्रह्मांड में जहां विज्ञान का अकूत भंडार भरा पड़ा है, और मनुष्य उस विज्ञान को जानने के लिए बस कुछ ही वर्ष दूर रह गया है, 
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वैज्ञानिकों की रिसर्च का ही नतीजा था कि परमाणु, मिसाइल, टैंक, और ऐसे अनेक हथियार पहली बार आम लोगों के बीच रखे गए, और इससे वह तबाही हुई जिसका नतीजा आज आप जानते ही होंगे, आज के दौर का विश्व युद्ध उससे कहीं ज्यादा खतरनाक इसलिए है, क्योंकि आज के दौर में किसी को नहीं पता कि किस देश के पास कौनसे  हथियार मौजूद है जिससे कि वह दूसरे देश का चंद घंटों में सफाया कर दे,   
और इसी को जानने के लिए एक देश दूसरे देश के गुप्त दस्तावेजों को खोजने में जुटा रहता है, चाहे वह जासूस बनके हो चाहे वह हैकर बनकर हो,

अब इसकी दूसरी तरफ में आपको आम जीवन में होने वाली परीक्षा से रूबरू कराता हूं, हम कोई ना कोई एग्जाम/ परीक्षा देने कहीं ना कहीं जाते रहते हैं, क्या हमारे बीच में मौजूद कुछ लोग ऐसे हैं जो नकली है ? 
यह शायद एक काल्पनिक विचारधारा भी हो सकती है या फिर यह पूर्ण सत्य भी हो सकता है, एक इंसान की शक्ल दूसरे इंसान से कहीं ना कहीं किसी न किसी हद तक मिलती-जुलती होती है, और इसका फायदा उठाते हैं ऐसे लोग जो कि अमीर लोगों से पैसे लेकर गरीब बच्चों के द्वारा उन अमीरों के बच्चों के एग्जाम/परीक्षा को पास करने में मदद करते हैं, 
परीक्षा की तारीख, परीक्षा का समय, और परीक्षा की जगह तीनों एक नहीं होती है, हम कितने भी जांच-पड़ताल कर ले एक व्यक्ति के लिए अगर एग्जाम/ परीक्षा देने वाले का चेहरा हूबहू असली व्यक्ति से मिलता जुलता है तो यह बेहद कठिन हो जाएगा पता लगाना, और अगर वह व्यक्ति कुछ वर्षों तक नौकरी भी कर लेता है उसके बाद वह उस असली व्यक्ति को उस जगह पर बिठा देता है, तो यहां पता कैसे चलेगा कोन असली था?

क्या यह सारी बातें काल्पनिक ही हो सकती है या फिर इनका असल जीवन से संबंध भी हो सकता है ?, मैंने इस सवाल का जवाब आप लोगों के ऊपर छोड़ आए कि आप लोग को क्या लगता है?, मेरे विचारों से सहमत और असहमत  अगर आप हैं तो अपने विचारों को भी बताएं और यह बताएं कि आप क्यों सहमत हैं असहमत हैं ......

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