आज तक कोई ऐसा मनुष्य नहीं हुआ जिसको अपने जन्म से ही सब कुछ याद हो, एक छोटे बच्चे की धरती में जन्म लेने के बाद उस पर धर्म का प्रभाव पड़ता है, चाहे वह किसी भी धर्म जाति में जन्म ले रहा हो, मानव शरीर तो सबका एक जैसा है फिर क्यों इतना भेदभाव होता है यह आप समझने की कोशिश करें,
धर्म की रक्षा करना हमारा धर्म है यह हम सब जानते हैं और यह होना भी चाहिए, पर सवाल जब अस्तित्व में आए क्या आप कौन हैं क्या आप धर्म के प्रति अपनी कट्टर विचारधारा रखते हैं? अगर हां तो फिर दूसरे धर्म के लोगों की कट्टरता से आपको नफरत क्यों है? यहां कट्टरता का मतलब है धर्म की रक्षा करना और धर्म के खिलाफ बोलने वालों के खिलाफ कार्यवाही करना,
और अगर आप सभी मनुष्य को एक समान समझते हो मतलब यह धर्म जाति से ऊपर उठकर, तो आप यह जानोगे कि सभी आपको एक समान नजर आएंगे, अगर आप मनुष्य की दृष्टि से देख रहे हो तभी और अगर आप धर्म की दृष्टि से देखोगे तो आपको लोग अलग-अलग वस्त्र पहनावे और अपनी अलग-अलग भाषाओं से नजर आएंगे, लोगों के अंदर यह मानसिकता भरी हुई है, आप रूढ़िवादी सोच सकते हो अच्छा है पर बदलते हुए समाज में आप उन लोगों से पिछड़ जाओगे जो इन चीजों से ऊपर उठकर समाज में सिर्फ लोगों की मदद करने का भरोसा रखते हैं,
अगर आप समझदार हैं पढ़े लिखे हैं तो आप किसी के पीछे नहीं भागेंगे ना मेरी बात सुनेंगे ना किसी और की बातों पे भरोसा करेंगे, जब तक आप खुद से उन चीजों को यकीन ना करें, मनुष्य ज्ञान जितना ज्यादा बढ़ता है वह उतना ही तेजी से इन प्रगतिशील विकास के रास्ते पर जाता है, वह धर्म जाति, संप्रदाय इन चीजों में नहीं फंसता, फसता सिर्फ वही है जिसको इन चीजों का ज्ञान नहीं होता वह एक व्यक्ति को ही अपना परमात्मा मान बैठता है वह यह समझ बैठता है कि इसके द्वारा कहे गए हर शब्द सही है, मैं भी मनुष्य हूं आप भी मनुष्य हैं गलती सभी से होती है और मनुष्य उस गलती को छुपाने की कोशिश भी करता है,
मैं आपसे सवाल पूछना चाहूंगा अगर मैं आपको कहूं कि आपको अमीर बने रहने के लिए कुछ काम करने होंगे, जैसे झूठ बोलना लोगों को धोखा देना अपनी बातों में फंसाना, तो शायद कुछ मात्र चुनिंदा लोग इसके लिए ना कह दे, पशु हां बोलने वाले होंगे उनका प्रतिशत लगभग 95 फ़ीसदी होगा, क्योंकि अब मनुष्य धरती पर सिर्फ पैसे कमाने की सोच रखता है वह समाज की भलाई के लिए नहीं सोचता,
आप उन लोगों को आसानी से पहचान सकते हो जो गरीबों के लिए हमदर्दी दिखाते हैं पर असल में गरीबों के हमदर्द बिल्कुल नहीं होते, वह लोगों के दिमाग में अपनी छवि बना बैठते हैं कि वह भी गरीबों के मसीहा हैं, पर असल में राज कुछ और है अगर वह राजनेता होगा तो वोटों मांगने के लिए हमदर्दी दिखाएगा, अभिनेता होगा तो फिल्म के प्रचार के लिए गरीबों से हमदर्दी दिखाएगा, व्यापारी होगा तो सामान बेचने के लिए गरीबों से हमदर्दी दिखाएगा, एक डॉक्टर होगा तो गरीबों से हमदर्दी दिखाने के बहाने अपनी प्रसिद्धि बढ़ाएगा, अगर एक वकील होगा तो गरीबों का मसीहा दिखाने के बहाने सिर्फ चुनिंदा गरीब वर्ग के केस्को लड़ेगा जो कि समाज में प्रचलित हो चुका है, अगर वह पत्रकार होगा तो वह गरीबों का मसीहा बनने के लिए सिर्फ चुनिंदा गरीबों के चेहरे दिखाएगा, मैं जानता हूं आप भी जानते हैं सभी ऐसे नहीं है पर कुछ चुनिंदा लोग ऐसे हैं जो गरीबों का चेहरा सामने रखकर अपने व्यापार, अपनी प्रसिद्धि, अपने फायदे का सौदा करते हैं,
एक गरीब के साथ ऐसा क्यों होता है यह आप जानने की कोशिश करें, मनुष्य के जन्म लेने के बाद उसके अंदर कई सारी भावनाएं उत्पन्न हो जाती है, कुछ लोगों के अंदर उम्र के साथ-साथ वहां मौजूद रहती है और कुछ लोगों के अंदर वह खत्म हो जाती है, जैसे अगर कोई व्यक्ति अपने सामने रोज किसी लाश को शमशान मैं जलता हुआ देखता होगा तो वह रोएगा नहीं, क्योंकि उसकी दिनचर्या का काम बन चुका है रोज लाश जलाने का, पर जिसके परिवार की लाश जल रही होती है, उनकी भावनाएं उनके चेहरे से ही व्यक्त हो जाती है,
हमारे हम सब लोगों के अंदर कुछ भावनाएं मौजूद हैं, जिनका फायदा यह लोग उठाते हैं खासकर उन लोगों से ज्यादा ही हमदर्दी बटोरते हैं जो कि किसी भी भावना में आहत होकर अपने आप को तोड़ लेते हैं, असल में यह आपकी भावनाओं से खेलते हैं क्योंकि इन्हें पता है आप इनके लिए सिर्फ कमाई का जरिया हो, इसका संबंध आपके रोजमर्रा के जीवन से भी है क्योंकि यह आपको रोज किसी न किसी, भावनाओं से जोड़ कर रखते हैं
जैसे नफरत की भावना, कट्टरता भरी भावना, धर्म के प्रति झुकाव भरी भावना, अलग-अलग धर्मों में भेदभाव भरी भावना, यह ऐसी भावनाएं है जिनमें लोग जल्दी जुड़ जाते हैं,
चाहे आप शिक्षित हो, चाहे आप अशिक्षित हो, चाहे आप को रोजगार मिला हो, चाहे आप बेरोजगार हो चाहे कोई भी हो चाहे किसान हो आपके अंदर यह भावनाएं भर दी जाती है,
आपको लोगों के दिलों दिमाग में राज करना है तो आपको कुछ चीजें समझनी पड़ेगी, लोगों की कमजोरियों को पहले पहचानो , जैसे धर्म की आग वर्षों से मन में दबाए हर कोई बैठा है, इस आग को ज्वालामुखी बनाने का काम वे लोग करते हैं जो आपके दिल और दिमाग में राज करना चाहते हैं, उनके सही निर्णय आपको भी सही लगेंगे और वह जब कुछ गलत कहेंगे तो आपको भी वह गलत लगेंगे सीधे तौर पर आप उनकी कठपुतली बन जाते हो पर आपको समझ नहीं आता कि आप क्या चाहते हो, आज मनुष्य धर्म के नकाब को इस तरह से उड़े हुए हैं कि उसको अपने और अपने परिवार की, अपने समाज की जरूरतों का ध्यान नहीं रहा है, क्योंकि सभी की सोच एक समान हो चुकी है, अर्थव्यवस्था का जो ढांचा मनुष्य के द्वारा बनाया गया है आज मनुष्य उसी को मानने से इंकार कर रहा है, उसमें जो नाकामी है उसको मानने से इंकार कर रहा है, वह जानता है कि वह ठेकेदार है धर्म का इसलिए भगवान पर भी इल्जाम लगाने से वह नहीं डरता है,
"ACT OF GOD यह शब्द हमने सिर्फ प्राकृतिक आपदाओं में सुने थे पर देश की अर्थव्यवस्था के लिए भगवान जिम्मेदार है यह आपने पहली बार सुना होगा" ।।
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