आरक्षण यह एक हिंदू को दूसरे हिंदू से बांटता है सच्चाई कड़वी है पर सुनने की आदत डालनी पड़ेगी आरक्षण क्या है ? जब हम सब स्कूलों में पढ़ रहे होते हैं हमें नहीं पता था आरक्षण का मतलब, और जब हम कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए जाते हैं तब हमारा सामना होता है आरक्षण से, मेरी तो कोई गलती नहीं थी मैं जिस परिवार में जन्म ले चुका हूं क्या उनकी गलती है? पर वे भी तो सभी लोगो का सम्मान एक भाव से करते हैं... उन्होंने तो किसी को जाती मैं नहीं बांटा तो आखिर सजा हमें इस बात की मिल रही है !
जो पुरानी प्रथा चली आ रही थी जिसमें पिछड़ी जातियों का अपमान होता था, वह आज भी कहीं मौजूद है पर मैं मानता हूं कि अब वह भेदभाव खत्म हो चुका है खासकर शहरों में पर गांव में वह पुरानी प्रथा अभी भी कहीं ना कहीं चली आ रही है, ऐसा क्यों होता है कि हमें स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता कि आरक्षण क्या है ? क्योंकि अगर भेदभाव की परिभाषा बचपन से ही हमारे भीतर गढ़ दी जाएगी तो यह असमानता का भाव काफी मजबूत हो जाएगा,
क्या आरक्षण देना सही है ? समाज में आप उन लोगों को आरक्षण दीजिए जो गरीब है, क्योंकि एक गरीब जब सरकार के द्वारा दिए गए आरक्षण से अपनी गरीबी मिटाता है, वह देश के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है, इसके अलावा कोई परिभाषा नहीं होनी चाहिए इसके अलावा सिर्फ एक मापदंड तय करना चाहिए की जिसके परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक आए उसे ही आरक्षण दिया जाना चाहिए, अब कई लोग इन बातों का समर्थन नहीं करेंगे क्योंकि उनकी राजनीति की रोटी इसी से चलती है, यहां मैं अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक दोनों बता देता हूं, अल्पसंख्यक यहां एक सामान्य जाति का इंसान और बहुसंख्यक पिछड़ी जाति का इंसान,
आप खुद ही समझ लीजिए कि नेता किस और भागेगा क्या वह एक अल्पसंख्यक को पूछेगा, या बहुसंख्यक को ! आप मानिए या ना मानिए पर चुनाव तो उन्हें बहुसंख्यक ही जीताते आ रहे हैं,
अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का अंतर मैंने देश की आबादी के आधार पर कहा है हर राज्य में यह विपरीत भी हो सकता है, आप खुद से सवाल करें और सोचे अगर आपकी गरीबी में आपकी मदद करने के लिए सरकार आपके साथ ना हो ना स्कूलों में, ना कॉलेजों में, ना नौकरी में, और आपकी पारिवारिक स्थिति भी ठीक ना हो तो आप क्या अपने जीवन में आगे बढ़ पाएंगे ? मैं यहां बात कर रहा हूं सामान्य वर्ग के वह सभी गरीब लोग जिन्हें सरकार से उम्मीद तो रहती है पर वह सरकार को दिखाई नहीं देते, EWS कोटा दिया तो गया है पर आप खुद ही सोचिए यह शुरुआत है या नहीं हमने स्कूलों में कॉलेजों में अभी तक इन लोगों के बारे में नहीं सोचा है और सरकार बस अपने वोट की चिंता के लिए लोगों को बांटती जा रही है, आप खुद ही सोचिए उस सुनहरे भविष्य को जिसमें सभी लोग सामान्य वर्ग से आते हो और सिर्फ ज्ञान के आधार पर ही उनका चयन हो, देश तरक्की तभी कर पाएगा
हमने बांट दिया है खुद को धर्मों में, जातियों में, संप्रदायों में, यह हमारी एकता की पहचान नहीं है, हमारी एकता की पहचान है इन सब चीजों से ऊपर उठकर एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का निर्माण करना, हां हिंदू राष्ट्र भी आप कह सकते हो पर वह तभी संभव हो पाएगा जब सभी लोग एक दूसरे को सामान्य नजरों से देखें, इस आरक्षण के कई रंग है लोग आज आरक्षण के अंदर भी आरक्षण मांगते हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि वे दूसरों की कदर करना नहीं जानते यह उनका हक नहीं है, यह सिर्फ एक तानाशाही रवैया है, मांगे पूरी ना होने पर सरकार को धमकी देना जिससे सरकार इन लोगों की बात सुनकर सिर्फ एक दिन में ही कई सारे निर्णय ले लेती है, तो आप समझ सकते हैं कि उनकी ताकत यह सरकार तक को दबाने में कामयाब हो जाते हैं,
सरकार से मैं यही कहूंगा कि आप यहां सभी जातियों को तो ऊपर लाने की कोशिश कर रहे हो पर कुछ लोगों को पीछे छोड़ रहे हो, और भविष्य में कहीं वह इतना ना पिछड़ जाए कि आगे ही ना पाए, जो लोग यह मानते हैं कि आरक्षण उनका जन्मसिद्ध अधिकार है तो उनको यह समझना पड़ेगा देश की प्रगति में आरक्षण की कोई जगह नहीं होनी चाहिए !
आपने कुछ नए तरह का आरक्षण सुना होगा, जैसे प्रमोशन में आरक्षण, आपको मे एक उदाहरण के रूप में बताता हूं जैसे A और B एक ही सरकारी कंपनी में काम करते हैं दोनों के द्वारा बराबर मेहनत की गई, पर B को आरक्षण प्राप्त था और A सामान्य जाति का था, यहां B को सीधे तौर पर चयनित कर लिया जाएगा, और उसका प्रमोशन A से जल्दी हो जाएगा यह आरक्षण भेदभाव को और बढ़ावा देगा !
जो लोग यह मानते हैं कि आरक्षण से सब कुछ सामान्य हो जाएगा वह गलत है, इससे अलग वर्गों में बटने का खतरा और बढ़ जाएगा, आप खुद ही न्यूज़ चैनल या कहीं भी किसी मंत्री के द्वारा अगर भूल से भी आरक्षण के विरोध में बात की जाती है तो एक तबका सरकार को उसी वक्त आगाह कर देता है, यह धमकी होती है कि आरक्षण के विरोध में आप कुछ ना करें, वरना नतीजा अच्छा नहीं होगा, इसी वजह से सरकारें डरती है
अगर आज सरकार यह कह दे कि सभी लोग सामान्य वर्ग में आएंगे जाति प्रथा खत्म हो चुकी है, तो हर वर्ग का इंसान इसका विरोध करेगा और सबसे ज्यादा वह आरक्षित वर्ग करेगा जिसके हित आरक्षण से जुड़े हैं, संविधान निर्माता कर्ता हमारे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा भी यही कहा गया था आरक्षण सीमित समय तक रहे तो वह सबसे बेहतर है, मुझे नहीं पता वह सीमित समय की परिभाषा क्या है पर जो समय की मांग है उसमें बदलाव होना ही चाहिए
ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहे धन्यवाद
अगर आपको मेरा ब्लॉक पसंद आया हो तो कृपया मेरे इस ब्लॉग पेज को बुकमार्क करें एवं अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में भी शेयर करें धन्यवाद
एक टिप्पणी भेजें
एक टिप्पणी भेजें
if you give some suggestion please reply here