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लाशों की राजनीति Politics of corpses

आंसुओं से भरी कतार है, लाचार है, बीमार है 
नेताओं को इनसे प्यार है, 
अनगिनत मरते हैं, मौत से गुजरते हैं 
लाचारी से बीमार है, मौत का इंतजार है 

अस्पताल में कमी है, कुछ मौतें थमी है 
कुछ बातें अनकही है, क्योंकि 
सिस्टम फेल यही  है 
वह बेबस है, गरीब है, कमजोर है, 
नेताओं का ध्यान अमीरों की ओर है, 

सरकार है "सवाल सुनने की आदत डालो" 
गरीबों की व्यथा सुनो, और उनकी मदद  करना भी जानो 
सत्ता की बीमारी है, गरीब की लाचारी है 
गरीब बीमार है, एक मौत का और इंतजार है 

यह लाशों  में राजनीति करते हैं, 
सत्ता के रंग बदलते हैं, आखिरी दांव जब चलते हैं 
गुनाहों  में यह पलते हैं, 
काटकर मारकर धर्म में बांटकर, 
लूटते हैं गरीब को छांट कर, 

नई  लाशों का फिर से इंतजार है, 
यही इनके विकास की रफ्तार हैं 
अमीरों में यह पलते हैं, गरीबों से जलते हैं 
लाशों में राजनीति करते हैं, क्योंकि 
यह लाशों के ऊपर चलते हैं !!


एक लाश की कीमत कुछ नहीं आज ,क्योंकि आज हर कोई मर रहा है, 
कोई भुखमरी  से, कोई बेरोजगारी से, कोई गरीबी से और कोई इमानदारी से, 
देश में हम राजनेताओं से क्या उम्मीद रख सकते हैं 
जो जिंदा लोगों की कदर नहीं करते, 
और जब वे लोग लाशों में  बदल जाते हैं, 
उनकी मौत पर भी राजनीति करने से नहीं डरते 
यह आप का सम्मान नहीं कर रहे यह सिर्फ एक लाश को सम्मान दे रहे हैं जिसमें आप अब नहीं हो 
अस्पतालों की हालत बेहद खराब है, 
फिर भी यह राजनीति को तैयार है 
काम से ज्यादा तो इनकी जुबान बोलती है 
जब काम नहीं किया होता तब जुबान ही बोलती है 
...आप समझ जाए जो आपसे बातें ज्यादा करते हैं वह आपका काम कभी पूरा नहीं करते देश की स्थिति भी कुछ ऐसी है 




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