दरअसल यह जो चुनाव की जीत थी इसका मतलब था कि B को देश में विकास नहीं करना था B को लोगों की मानसिकता में विकास करना था और इसका कारण भी है हर 5 साल बाद खुद की सरकार को बनाए रखना, यह कैसे होता है आप एक आम वोटर हैं यह समझने की कोशिश करें, हर 5 साल में हम सरकारों को काम के हिसाब से वोट देते हैं 2014 के चुनाव में C के द्वारा किया गया भ्रष्टाचार उसी की कब्र खोदने में काम आया पर 2019 के चुनाव में हमने क्या सोचकर B की वापस सरकार में बिठा दिया ? पहला है कि हमारे पास कोई तीसरा विकल्प नहीं था , दूसरा है कि सरकार के द्वारा कुछ काम अच्छे भी किए गए और लोगों ने भी माना 5 साल काफी नहीं होते किसी भी सरकार के लिए, तीसरा बी के जितने भी लक्ष्य थे वह 2023 और 24 तक के थे तो आप समझ सकते हैं कि B ने पहले ही भविष्य तय कर लिया था, और चौथा B ने अपना चेहरा इतना ज्यादा मजबूत कर लिया था कि उसके सामने कोई नहीं टिक सकता था , पांचवा मीडिया की हर खबर में अपनी बात पहुंचाना जिससे कि जनता को B पर ही भरोसा रहे,
अब आप समझिए चुनाव की परिभाषा धीरे-धीरे करके बदलती जा रही है, पहले जो नेता आपके सामने चुनाव से पहले एक एक वोट के लिए आपके सामने हाथ फैलाते थे, वह अब एक बड़े चेहरे के पीछे छुप चुका है यह वह बड़ा चेहरा है जो आपको हर गली हर चौराहे के बड़े बड़े बैनर्स में दिखेगा, और इन लोगों को अब अपनी बात रखने की जरूरत भी नहीं होती, क्योंकि लोगों के दिमाग में यह भरा जा रहा है, आप B के किसी भी आदमी को वोट दें, वोट सीधे B को जाएगा, और इसका फायदा और नुकसान क्या है वह आप समझ जाइए, आपके क्षेत्र का मंत्री जिसे आप जानते हो और जो समाज में लोगों की मदद करता आ रहा है, वह उस क्षेत्र को अच्छे से जानता है पर B के द्वारा चुना गया उस क्षेत्र के लिए नेता जो उस क्षेत्र को नहीं जानता है और वहां के क्षेत्रफल को भी नहीं समझता है , वह बस B की मदद से उस पद को इस्तेमाल कर रहा है , B वो व्यक्ति है जो अपने पार्टी के शिखर पर बैठा है और उसकी साफ छवि के पीछे कई राजनेता ऐसे चुन लिए जाते हैं, जो आपराधिक छवि से भरपूर है ,ऐसा इसलिए है क्योंकि उन लोगों को भरोसा है यह आदमी B से विकास का काम जरूर करवाएगा
आपके दिमाग में है ऐसी छवि डाली जा रही है, पहला कि आपके पास विकल्प तो है ही नहीं आप B के अलावा किसे सुनोगे , और यहीं से जागता है घमंड, घमंड जो एहसास कराता है अमर होने का, और कुछ भी कर गुजर जाने का हां मैं मानता हूं कि विपक्ष बहुत कमजोर है पर आने वाले चुनावों में हमें कोई तीसरा विकल्प ढूंढना ही पड़ेगा वरना जैसी दुर्दशा विपक्ष की है वैसी जनता की होने में देर नही लगेगी,अभी जो B सोच समझ के लोगों को भ्रमित कर रहा है, पर चुनाव आते-आते यह सब बातें धूमिल सी होती चली जाएंगी, जो यह कट्टरता का दिखावा हो रहा है यह सिर्फ कुछ चुनिंदा लोगों के द्वारा ही कराया जा रहा है, जो पढ़ा लिखा है समझदार है वह सब जानता है, सरकार अपनी नाकामी ऐसे ही मुद्दों के पीछे छुपाती है और जनता उसे आसानी से समझ नहीं पाती,
आप खुद ही सोचिए ऐसे प्रवक्ताओं को न्यूज़ डिबेट में लाया जाता है जो सरकार की कामयाबी नहीं बता पाते, इसके उलट वह विपक्ष से ही पूछने लग जाते हैं कि आपने क्या किया,
और न्यूज़ रिपोर्टर जो की रिपोर्टिंग करता है, और स्टूडियो में बैठा हुआ एंकर यह दोनों ही एक तरफ से ऐसी मानसिकता से लपेटे हुए हैं की यह सरकार से सवाल नहीं पूछ पाते या तो यह किसी वजह से बंधे हुए हैं और या तो इनकी जुबान पैसों से दबी हुई है, अगर सरकार के खिलाफ बोलना गलत है, इन राजनीतिक पार्टियों को भी समझना पड़ेगा कि हमारा स्वतंत्र देश है, और हर 5 साल बाद सत्ता परिवर्तन होता रहता है, सरकार के काम पर लोग ज्यादा विश्वास करते हैं, अगर विपक्ष ही खत्म कर दिया जाएगा तो सरकार काम करें या ना करें पर सवाल पूछने वाला कोई नहीं होगा...
एक टिप्पणी भेजें
एक टिप्पणी भेजें
if you give some suggestion please reply here