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अफ़्रीकी देशों में अस्थिरता Instability in African countries

अफ्रीकी देशों में गरीबी दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा क्यों है ? क्या आपके मन में भी यह सवाल उठता है, कोई भी कंपनी अफ्रीकी देशों में निवेेेश क्यों नहीं करती है ? 
इसका मुख्य कारण है अफ्रीकी देशों की सरकारों की अस्थिरता, सोमालिया एक बहुत बड़ा उदाहरण है, जहां अलग-अलग संगठनों द्वारा अपने अपने क्षेत्र पर राज किया जाता है, आखिर अफ्रीकी देशों की स्थिति सिर्फ इसी वजह से हुई है इसकी एक वजह और है, अमेरिका और रूस के शीत युद्ध में यह देश भी गरीब होते चले गए यहां रूस समर्थित और अमेरिका समर्थित सरकारों ने समय-समय पर राज क्या है, जिस वजह से इनका झुकाव दोनों महा शक्तियों की ओर चला गया और यह अपने देश में विकास नहीं कर पाए, कुछ देश ऐसे हैं जो अपने आप को बाहर पाने में सक्षम हो चुके हैं , और उनकी आर्थिक स्थिरता धीरे-धीरे करके सामान्य होती जा रही है ,

अब हम बात करते हैं अफ्रीकी देशों में अकूत खनिज भंडार जिस पर हर देश की नजर है, हीरे की खदान है , प्राकृतिक तेल, गैस  के भंडार हैं, यूरेनियम, प्लैटिनम तांबा और लोहा ऐसे कई तरह के भंडार अफ्रीकन उपमहाद्वीप में मौजूद है, जो इन देशों को अमीर बना सकता है, पर इसका असर विश्व के बाजारों और अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा जैसे कि तेल का अधिक उत्पादन अगर अफ्रीका के देशों द्वारा किया जाता है तो इसका असर उन देशों पर पड़ेगा जो कि तेल निर्यात करते हैं, जैसे कि गल्फ देश (मध्य पूर्व के देश जिन्हें हम कहते हैं) जिनमें सऊदी अरब,  कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान ऐसे कई मुस्लिम देश हैं,  इनके अलावा रूस अमेरिका यह भी विश्व में सबसे ज्यादा तेल निर्यात करते हैं, और अगर अफ्रीका में सब कुछ शांत रहा तो यह इन देशों के लिए नुकसानदायक है इसी वजह से वहां अलग-अलग गुट जो तैयार रहते हैं उनकी वित्तीय सहायता इन्हीं देशों के द्वारा की जाती है, ताकि वे अपने देश में ही ग्रहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न कर दें 

आप सभी को पता है यूरेनियम का सबसे ज्यादा निर्यातक है ऑस्ट्रेलिया, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी नहीं चाहेंगे कि यूरेनियम के दाम कम हो, आपको पता होगा किसी वस्तु की कीमत ज्यादा तब होती है जब उसकी बाजार में पहुंच कम होती है जैसे कि यूरेनियम अगर अफ्रीका में भी यूरेनियम का उत्पादन कहीं ज्यादा हो जाए तो इसका असर यूरेनियम के मूल्य पर पड़ेगा, सब देश अपने हित की रक्षा करने के लिए ही ऐसे कदम उठाते हैं, और छोटे देशों को कुचलते रहते हैं, वेनेज़ुएला एक बहुत अच्छा उदाहरण है, आपके सामने जो कि तेल उत्पादन में विश्व में तीसरे नंबर पर आता था  पर अमेरिका के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से वेनेजुएला की आर्थिक स्थिति खराब होती चली गई और अब कोई भी देश वेनेजुएला से तेल खरीदने के लिए तैयार नहीं है,

 
अफ्रीकन देशों में आपको गरीबी ज्यादा इसलिए नजर आती है क्योंकि वहां की अस्थिर सरकारों ने हमेशा अपने हित के लिए ही कार्य किया है, और अलग अलग महाशक्तियों के झुकाव के कारण जितनी भी बड़ी कंपनियां है वह वहां से कच्चा माल आयात करती है, और उन देशों में भेजती है जहां उन्हें इसका उत्पादन करना है जैसे भारत, चीन या अन्य एशियाई देश, अगर आप विश्व के नक्शे को देखेंगे तो आपको नजर आएगा कि अफ्रीका महाद्वीप एक ऐसी जगह पर स्थित है जहां से रूस और अमेरिका और कई अन्य देशों तक पहुंच बराबर होती है जहां बंदरगाह और व्यापार करना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है, सस्ते मजदूरों की भी व्यवस्था वहां मौजूद है पर दिक्कत सिर्फ एक बात की है कि अस्थिर सरकार की वजह से कोई भी कंपनी वहां अपना व्यापार नहीं बढ़ाना चाहती , विश्व में सबसे ज्यादा कोई प्राकृतिक संसाधनों का धनी है वह है अफ्रीका का उपमहाद्वीप, जहां प्राकृतिक संसाधनों का अकूत भंडार है, और इन्हीं देशों की वजह से कई कंपनियां फायदे का सौदा किया बैठे हैं क्योंकि कच्चे  माल की उपलब्धता कम दाम में होती है , अफ्रीका मैं धीरे-धीरे करके विकास अब होना शुरू हुआ है ! और भविष्य में भी अफ्रीका  की महत्वता सबसे ज्यादा रहेगी !

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