दुनिया में बाढ़ के आने का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है , जिस देश में देखो वहां बाढ़ रौद्र रूप मैं तबाही ला रही है, पर ऐसा क्यों है क्या आपने कभी यह सोचा है ?
दरअसल पूरे विश्व में हम समुंदर से घिरे पड़े हैं और यह समुंदर धीरे-धीरे करके इस जमीन को अपने आगोश में ले रहा है, और उसका कारण है उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के चुंबकीय क्षेत्रों का अपनी जगह से खिसकना, जी हां यह काफी तेजी से हो रहा है उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव का अपनी जगह से खिसकने का मतलब है पृथ्वी ठीक स्थिति में नहीं है, आप भी जानते होंगे हमारे उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में चुंबकीय क्षेत्र में बर्फ के बड़े-बड़े पहाड़ मौजूद है, जिन्हें हम आईस ग्लेशियर कहते हैं और यह बर्फ के पहाड़ इसी वजह से बनते हैं क्योंकि उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में सूर्य की रोशनी सीधी नहीं पहुंच पाती, और हम इसी वजह से अलग-अलग मौसमों का अनुभव कर पाते हैं,
आप खुद ही सोचिए अगर उत्तरी ध्रुव या दक्षिणी ध्रुव किसी देश के ऊपर पहुंच जाए तो वहां बर्फ के बड़े बड़े पहाड़ बन जाएंगे और आम आदमी के लिए वहां जीना नामुमकिन हो जाएगा, ऐसा क्यों हो रहा है इसकी वजह है हमारे द्वारा हर रोज किया जा रहा कार्बन उत्सर्जन, पेड़ों का रोज कटना, पर्यावरण में प्रदूषण फैलाना, और प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करना जिस वजह से ग्लोबल वार्मिंग मतलब पर्यावरण में बदलाव हो रहा है, आप यह मत समझे कि इसका असर आप पर नहीं होगा धीरे-धीरे करके पर्यावरण में जो बदलाव हो रहा है, वह हर देश में महसूस किया जा रहा है, अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, रूस, चीन, अफ्रीका, भारत यह देश है जहां धीरे धीरे करके पर्यावरण में बदलाव आता जा रहा है, जैसे जहां जिन देशों में तापमान कम रहता था अब उन देशों में भी 40 से 50 डिग्री तक तापमान जा रहा है, और गर्मी बढ़ने के साथ-साथ पानी के स्रोत भी सूखने लग जाते हैं,
इसका मतलब है मनुष्य अपने आप उस और चल पड़ेगा, जहां पानी का स्रोत मौजूद है चाहे वह किसी और देश में ही क्यों ना हो, और इसी वजह से शुरू होता है युद्ध, प्राकृतिक संसाधनों के लिए,
युद्ध सामान्य होने वाला है और इसकी शुरुआत हो चुकी है मिडिल ईस्ट देशों से, उसके बाद अफ्रीका, और फिर एशिया, ऐसे करके पूरे विश्व में साफ पानी और जीवन जीने लायक वातावरण के लिए मनुष्य एक जगह से दूसरी जगह विस्थापित होने लगेगा, अभी हम लोग सिर्फ चुनिंदा मुद्दों पर ही लड़ रहे है, पर एक मनुष्य के शरीर के लिए क्या जरूरी है यह हमें तब पता चलेगा जब हमारे पास वह प्राकृतिक संसाधन मौजूद नहीं होंगे, यह स्थिति विश्व में आने वाली है कई शहरों में जहां पहले पानी अच्छी मात्रा में मौजूद हुआ करता था, धीरे-धीरे करके गांव से जो पलायन हुआ, शहरों की ओर, और उस बढ़ती आबादी की वजह से प्रकृति के संसाधन कम पड़ने लगे जिससे आज कई शहरों में पानी की कमी हो गई है, ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हमने प्रकृति का सम्मान नहीं किया, कभी प्रकृति से जितना हमें मिला है हमने कभी उसे दिया नहीं
कई लोग सोचेंगे हम क्या दे सकते हैं प्रकृति को ?
ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर , पेट्रोल डीजल से चलने वाली गाड़ियों का इस्तेमाल कम से कम करके, और हो सके तो इलेक्ट्रिक गाड़ी
को इस्तेमाल करें, साफ पानी चाहे वह बारिश का ही क्यों ना हो उसको घर के कामों में इस्तेमाल करना, जिसमें हम साफ पानी बहा देते हैं ऐसे केमिकल का कम से कम इस्तेमाल करना जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हो, बांध निर्माण के लिए नदियों के रुख को मोड़ना जिससे जंगलों का सूख जाना इसकी बजाय ज्यादा से ज्यादा परमाणु संयंत्र लगाना जिससे बिजली पैदा की जा सके , लकड़ी से बने हुए फर्नीचर के बजाय प्लास्टिक या फिर स्टील का इस्तेमाल करना, जो कि दोनों ही लंबे समय तक चलते हैं, खराब प्लास्टिक जिससे रीसाइकिल करके नया सामान बनाया जा सके उसी प्लास्टिक का इस्तेमाल करना, ऐसे कई कार्य हैं जिन्हें हम रोज करके अपने जीवन में और इस समाज में बदलाव ला सकते हैं,
मानव शरीर आएगा चला जाएगा दुनिया से, पर यह शरीर ही अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस धरती पर खूब प्रकृति का दोहन करता है, और गंदगी से इस धरती को भर देता है, आप अपने जीवन काल में अगर इतना सा भी बदलाव ला सकें, तो आप कुछ समय के लिए ही उन बाकी लोगों से अलग नजर आएंगे जो आपकी तरह नहीं सोचते, क्योंकि आपके शरीर के नष्ट हो जाने के बाद जो हमारी आने वाली पीढ़ियां है और जो लोग नया जन्म लेंगे इस धरती पर हम उनके लिए यह कचरा छोड़कर जा रहे हैं, ताकि उन्हें साफ करना पड़ेगा,
धरती के साथ-साथ हमने अंतरिक्ष में पृथ्वी की बाहरी परत में भी (डिबरी) जिन्हें हम कूड़े का ढेर कहते हैं जो कि अनेक
सेटेलाइट का मलबा है, यह भी बढ़ता ही जा रहा है और यह अंतरिक्ष का कूड़ा कभी भी धरती पर आकर किसी भी घर के ऊपर गिर सकता है, यह खतरनाक भी है क्योंकि हमें नहीं पता कि उस मलबे का आकार क्या है, और अगर यही स्थिति रही तो भविष्य में अंतरिक्ष में पहुंचने में किसी भी रॉकेट को बहुत ज्यादा दिक्कतें आएंगी,
आप खुद ही सोचे कि आप उस कूड़े के ढेर को देखकर कैसा महसूस करते हैं, जिसमें आपके द्वारा फेंका गया टॉफी बिस्कुट नमकीन या किसी भी तरह का कोई पैकेट होगा, जो उस कूड़े के ढेर की शोभा बढ़ा रहा होगा, आपको आज कोई नहीं देख रहा है और ना ही कल कोई देखेगा, आपके कूड़े से आपको नहीं पहचाना जाएगा बल्कि जो आपका स्वभाव है कूड़ा फैलाना उससे आपको पहचाना जाएगा ! आप यह मत समझिए कि जो कूड़ा फैलाता है, चाहे वह किसी देश का राष्ट्रपति भी हो और उसके फैलाए गए कूड़े को एक अनपढ़ इंसान साफ करता है, तो वह अनपढ़ आदमी उस राष्ट्रपति से कई गुना समझदार है, और भले ही वह अनपढ़ हो पर उस समाज को यह बताने की कोशिश कर रहा है कि आप कूड़ा ना फैलाएं!
"आप समझदार हैं, अगर फिर भी आप कूड़ा फैलाएं
तो समझ लीजिए ,आप इस दुनिया में बेकार है "
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