ये अंधा समाज है सिस्टम का ये दाग है
गरीब बेबस है सरकार बेबाक है
कुछ भी कहोगे सत्ता के लिए रहोगे
जनता कुछ नहीं उनके लिए , ये है वोटों के भरोसे
ये सरकार है फिर भी लाचार है
आपके पास क्या हिम्मत होगी जब , ये खुद ही बेकार हैं
बांटने की राजनीति से उठकर चलो
एकता के नजरिए से देख कर चलो
फेंक कर चलो धर्म के नकाब को
ओढ़कर चलो एकता के ख्वाब को
ये तरकीब है चाल है , बिछाया हुआ एक जाल है
भेदभाव की परिभाषा क्यों बदलते हो
गरीब को गरीब और अमीर को अमीर में देखकर जलते हो
रहने दो इनको इनकी खुशहाली में
बदलो ना इनको बदहाली में
गरीब की व्यथा आप क्या जानो
A.C. में रहते हो गर्मी में जीना पहचानो
मजदूर घर से दूर है अथाह समंदर भरपूर है
फिर भी वह प्यासा है पर जीवन की अभिलाषा है
आप उनकी व्यथा से अनभिज्ञ हो
हिंदू मुस्लिम कट्टरता के आप मित्र हो
उन गरीबों के लिए मात्र एक चित्र हो
सिस्टम से आप भी अनभिज्ञ हो
एक टिप्पणी भेजें
एक टिप्पणी भेजें
if you give some suggestion please reply here