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मेरी प्रेरणा my inspiration


(MOTIVATION) प्रेरणा क्या है क्या यह किताब में लिखा हुआ एक शब्द मात्र है, जिसे सुनकर पढ़ कर हम यह समझ बैठते हैं कि हम खुद से (MOTIVATED) प्रेरित हो चुके हैं, दरअसल हमने कभी अपने जीवन को जाना नहीं पहचाना नहीं है और इसी वजह से हम अपने जीवन की अहमियत को भूल चुके हैं,  कई लोग किसी न किसी वजह से आत्महत्या करते हैं पर उसके पीछे क्या वजह है वो वही  बता सकते हैं !

पर मेरा यह मानना है कि जब इंसान की सहनशक्ति खत्म हो जाती है और वो उस पीड़ा को सहने योग्य नहीं रहता तो वो इन चीजों की और रुख करता है कि अपना जीवन समाप्त करें,      पर आप क्या जानते हैं कि आपके जीवन समाप्त करने से कितने लोगों पर संकट आ सकता है,   आपका परिवार जो आप पर निर्भर होता है उससे पूछ कर तो आपने यह निर्णय नहीं लिया पर उन्होंने आपको पाला पोसा बड़ा किया है और हर बीमारी से आप को सुरक्षित रखा आप खुद की तुलना खुदी से करते हो तभी आप मरने के लिए इतना विचलित होते हो ,  आपके द्वारा निर्मित किया गया माहौल आपको  मौत की ओर खींच के ले जाएगा !!

 मैं जब भी कभी इन चीजों से गुजरता हूं और खुद से कहता हूं कि अब बस बहुत हुआ तो मेरे मन में एक ख्याल आता है और मैं यह सोचता हूं कि जिनके पास शारीरिक क्षमता नहीं और शारीरिक रूप से अक्षम  हैं,   जिनको दिव्यांग कहते हैं हम एक बार यह सोच कर देखिए कि वो कितनी मेहनत से अपना जीवन जीने की ख्वाहिश में अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं ,   एवं परिवार की भी जिम्मेदारी संभाले हुए हैं, 
इन्हें देखकर अगर आप यह समझेंगे कि इन्होंने तो अपने आप को ढाल लिया है तो आप गलत है, इनको भी कई ऐसे विचार आते होंगे हमारी बस सोच में एक तरह से पाबंदी सी लग जाती है क्योंकि उस वक्त मन में बस एक ही विचार आता है

 हमेशा  कोई ऐसा कार्य करें जिसमें आपका जीवन और आप का नाम प्रसिद्ध हो जाए,    जैसे सेना में  जाकर देश की रक्षा करना जो सबसे कठिन कार्य है,  मैं यह समझता हूं कि जो लोग हार मान जाते हैं वो शुरू से ही हारे हुए हैं भले ही वो अपने कॉलेज स्कूल या फिर कहीं भी अपनी प्रसिद्धि बनाए रखें , पर अंदर ही अंदर उनके अंदर एक कमी जरूर होती है, वो कमी होती है किसी की बात को दिल से ले लेना या अपने किए हुए कार्यों का फल ना मिलना वे लोग जल्दी निराश हो जाते हैं , और जीवन में यह समझ बैठते हैं कि उनके द्वारा मेहनत की गई सर्वोत्तम है कोई भी कार्य सर्वोत्तम नहीं होता जब तक आप खुद सर्वोत्तम ना हो  

लोगों की परिभाषा बदलती है रूप बदलते हैं रंग बदलते हैं पर विचार नहीं बदलते, किसी के प्रति विचार किसी के व्यवहार  पर आप दूसरों के विचारों को ही अपना लेते हो और खुद को भी उसी में ढाल लेते हो, और  कई बार आपकी सोच पर ही ताला लगाया जाता है क्योंकि उस वक्त आपको बेवकूफ या पागल बोला जाता है , पर आप अपने कार्य में गतिशीलता बनाए रखें और उनकी बातों को दरकिनार रखें 
कई लोगों ने इन चीजों को दरकिनार किया है और आज वो समाज में सम्मान के साथ जी रहे हैं !




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