मंजिलो की खोज में राह बढ़ती चली गयी
अपने आप को ढूंढ़ते ढूंढ़ते , ज़िन्दगी बदलती चली गयी
राह आसान दूर से दिख गयी , पर
कदमो के छाप ढूँढ़ते रह गए हम
किसी ने राह में एक चिंगारी जलाई
और राह में मंज़िल की एक झलक फिर दिखाई
मुझे राह आसान है या मुश्किल फर्क नहीं दिखा
चलता रहा में मंज़िल की और ,
चाहे कितनी भी कठिनाई से में मिला
अपनों को छोड़ में उस मंज़िल के नज़दीक हूँ
जिसे औरों को पहचानने में कीमंती वक़्त लगा।
राह आसान होती है, जब मंज़िल में सहारा मिले
रूठे हुओं को मनाने , और सफलता से दिल खिले
झूठे लोगो को अपनी तरक्की भी झूठी लगेगी
क्युकी जब कोई सच्चा खड़ा होता है समाज में तो ,
झूठ की बोली लगेगी।
में वही हूँ बस हर मोड़ पर उसका इंतजार करता हूँ ,
इन्तेहाँ की हद तक बेसब्र हूँ उसे पाने के लिए !
अपने कार्य को करते जाएं, हमेशा कभी ना कभी आपको उसका फल जरुर मिलेगा, जब हम किसी मंजिल में चलते हैं तो उसकी कठिनाइयां हमें धीरे-धीरे पता लगनी शुरू होती हैं, राह मैं अनेक मुश्किल आएंगी
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