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भ्रम a myth


भ्रम की स्तिथि है , आज क्या तिथि है 
याद नहीं मुझे वो नगमा , याद नहीं मुझे वो तराना 
बातें रहेंगी अक्सर की हुई किताबों में 
याद रहेगी संजोकर वो यादें,  यादों में 

भड़कती हुई आग में धड़कती हुई एक धड़कन 
ये प्यार का नगमा है,  या डर का सदमा 
में देख कुछ और  रहा हु , और लिख कुछ और 
एक कविता शुरू की थी उपन्यास में ख़तम हुई 

जीवन में अक्सर ये सोचा करता हु 
भ्रम की स्तिथि दोनों और है , फिर भी उनपर मरता हु 
एक तरफ़ा आकर्षण आपको ले डूबेगा 
ये पनडुब्बी नहीं टाइटैनिक है ,
एक बार डूबेगा तो  पूरा ही टूटेगा 

भ्रम की ये स्तिथि है , आज क्या तिथि है 

आवाज़ के दम पर आवाज़ बुलंद करोगे 
हौसलों में उड़ान ना हो तो , अपने साथ औरो को भी ले डूबोगे। 



कई बार हम अपने ख्यालों में इतना खो जाते हैं कि हमें पता ही नहीं होता हमारे आसपास क्या चल रहा है और और वह ख्याल कई वजह से भी हो सकते हैं परेशानी चिंता खुशी या फिर दुख 





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