तू मंदिर राग अल्पता है, तेरे आंसू से झलकता है,
राजनीति में जो फसता है, वो देख तेरे पर हंसता है
उम्मीद पे दुनिया कायम है, जल्लादों के हाथ मुलायम है,
इंसाफ मिले इस उम्मीद से, सब अपने पटल पर कायम है ,
जब एक मां के आंसू छलकते हैं, यह दर्द दिलों में बसते हैं
इंसाफ मिले इस उम्मीद से, उस अंतिम सांस तक रुकते हैं
यह धीमी व्यवस्था है, एकमात्र रास्ता है
इंतजार की घड़ियां बदल जाती है, क्योंकि
यहां समय सस्ता है
सबूत है गवाह है , इंतजार एक वजह है,
देरी से ही सही न्याय से सजा है,
अपनाना हमने आदतों से सीख लिया है,
बचने के रास्ते बंद करने पड़ेंगे, क्योंकि
इन गुनहगारों ने भी बचना सीख लिया है,
कुछ वकील गुनहगारों का पक्ष लेते हैं,
पर गंभीर अपराध हो तो भी,
वे उसे बचाने पर तुले रहते हैं,
यह न्याय के मंदिर की पहचान है,
गुनेहगार का रसूख कितना ही बड़ा हो,
न्यायपालिका के सामने सब एक समान है,
सजा के हकदार वे सभी है जिन्होंने इन्हें गुनहगार बनाया
सजा मिलेगी उन्हें तभी इंसाफ होगा
और आने वाले समय में कोई गुनाह करें,
वो गुनाह माफ नहीं होगा,
हमारे धीमी न्याय व्यवस्था की वजह से कितने सारे मुद्दे हैं जो कई सालों से चले आ रहे थे जैसे मंदिर, निर्भया, और ऐसे ही कई सारे केस न्याय व्यवस्था के कारण देरी से आए उन्नाव का भी उदाहरण आप ले सकते हैं देश में हमें इस तरीके की न्यायपालिका को बदलना पड़ेगा और इसको बदलने के लिए सरकार को कदम उठाने पड़ेंगे यह धीमी न्याय व्यवस्था है
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