मैं आपसे पूछूंगा कि जो आप निर्णय लेते हैं क्या खुद की सोच से लेते हैं, सभी मानेंगे कि हां हम अपनी सोच से लेते हैं, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं उनकी जो सोच है वह भी किसी ने उनके दिमाग में डाली है, "इनसेप्शन मूवी" आपने देखी होगी उसमें किस तरीके से एक इंसान के दिमाग में नई सोच बनाई जाती है, और वह आदमी जब सपने से उठता है तो वह उस सपने को सच मान बैठता है !
हमारे साथ ऐसा नहीं है हमें किस तरीके से बदला जा रहा है वह मैं आपको बताता हूं, आप रोज टीवी देखते हैं, ऑफिस जाते हैं, उसके बाद घर आकर अपना काम करते हैं, आप जो कोई भी हो आपकी सोच दूसरे के द्वारा बदली जाती है, जैसे आप किसी रेस्टोरेंट में गए और आपको मान लीजिए पिज्जा खाने का मन हो रहा है, पर दुकानदार आपको कहता है कि बर्गर पर कुछ डिस्काउंट है, आज कुछ लोग हां बोल देंगे और कुछ अभी तक ना ही मैं रहेंगे,
उसके बाद बारी आती है अगर आप अपने दोस्तों के साथ गए हैं, वह आपसे जबरदस्ती करेंगे, पर फिर भी अगर आपने बोला कि मुझे पिज्जा ही खाना है, तो सब आपको इस नजर से देखेंगे कि आप उनके लिए अनजान हो, और आपको समझेंगे कि यह समाज से बिल्कुल अलग इंसान है, यह किसी की सुनता नहीं है और यहां पर आप हार मान बैठते हो, और कुछ देर बाद आप भी उन लोगों के साथ बर्गर खा रहे होंगे!
हमें जो दिखाया जाता है उसे हम स्वीकार करते हैं, और जो प्रश्न हमारे मन में उठते हैं ना उनके जवाब कभी नहीं मिल पाते , हम उन सवालों को अपना लेते हैं, जो दूसरों ने आपके दिमाग में डाले होते हैं, आप किसी से कोई सवाल नहीं कर पाते क्योंकि आपके पास खुद के सवाल रहते ही नही, इसका सटीक उदाहरण आप देख सकते हैं, जब भी आप कभी कोई परीक्षा देने जाते हैं चाहे वह स्कूल की हो या फिर कोई भी ,
सवाल उस इंसान के द्वारा बनाए गए होते हैं जो आपको जानता तक नहीं है, पर वह उस किताब से उन सवालों को बना रहा होता है जिसे आपने भी पढ़ा होता है, उसके मन के सवाल आपको नहीं पता और ना ही वह उन सवालों को लिख पाता है क्योंकि उसने जितना समझा है , अभी तक खुद को वह उतना ही लिख पाता है
आप में से कई लोग ऐसे होंगे जो कि किसी भी सवाल को एक नजर से नहीं देखते , आजकल समाज में लोग किसी भी मुद्दे को एक ही नजर से देखते हैं, चलिए कुछ मैं आपको बातें बताता हूं जैसे हम किसी को फॉलो करते हैं, ना तो उस इंसान की सोच हम पर हावी रहती है जैसे किसी, अभिनेता, राजनेता, व्यापारी, नेता , आप किसी के भी विचारों को अगर मानते हैं मतलब अगर वह सही कह रहा है, तो आप भी सही बोलेंगे और वह गलत कह रहा है तो आप भी गलत बोलेंगे, तो समझ लीजिए आपकी खुद की सोच खत्म हो चुकी है, और आप गुलाम बन कर जी रहे हैं,
जब मनुष्य किसी की सोच से इतना प्रभावित हो जाता है तो उसे गलत भी सही लगता है, उसके जीवन का आकार बदल जाता है कई सारे लोग बचपन से किसी ना किसी छवि से प्रभावित रहते ही रहते हैं, वह सही भी है आप किसी की अच्छी बातों को अपने जीवन में अपनाते हो तो अच्छी है, पर अगर आप किसी के विचारों को अपने जीवन में अपनाना शुरू कर दो तो, आपके विचार खत्म हो जाते हैं, आप गली, सड़कों , किसी भी सार्वजनिक स्थानों पर, हर जगह कहीं ना कहीं किसी ना किसी को किसी सोच में व्यस्त जरूर देखोगे
जब हम किसी के विचारों को अपनाते हैं , हमें पता नहीं चलता, आपको उदाहरण में दे देता हूं कि आप अपने विचार से सोचते हो कि नहीं?
"आप कुत्ते हो" अगर यह शब्द में कहूं आपको या किसी को भी, तो वह पहले क्रोधित तो होगा ही , और कईयों का स्वभाव ऐसा होगा कि पहली ही बारी में इसको जवाब दे दे अच्छे से, और और कुछ लोगों का स्वभाव यह होगा कि इसने पहली बार बोला है चलो माफ कर देते हैं, ऐसा हम अक्सर क्यों करते हैं, क्या वे लोग कमजोर है जो माफ कर देते हैं, मैं आपको बता दूं दोनों ही अपनी मानसिकता से कमजोर है, वे यह जानने की कोशिश नहीं करते इसने यह क्यों बोला होगा और इसका मकसद क्या था, यह सिर्फ पूछने की हिम्मत 2 या 3 प्रतिशत लोग ही कर पाते हैं, और ऐसा इसलिए है क्योंकि हम जिस माहौल में रहे हैं, उस माहौल के तरीके से हम अपनी मानसिकता बना बैठते हैं, आप जिस जगह से आए हैं वहां का माहौल कैसा है यह निर्भर करता है आप के स्वभाव से, और आप खुद की सोच कभी बदल नहीं पाती ,
कई बातों पर आपने गोर किया होगा, कई बातें आपके किसी काम की नहीं होगी, पर अगर आप खुद की मानसिकता को बढ़ावा देना चाहते हैं, तो सवाल दोनों तरफ से करें, अगर आप किसी एक पार्टी को चाहते हैं, सवाल दोनों तरफ से करें, अगर आप एक राजनेता को पसंद करते हैं, सवाल दोनों तरफ से पूछें , और अगर आप किसी अभिनेता को चाहते हैं, तो सवाल दोनों तरफ से करें, सवाल दोनों तरफ से मेरा मतलब है कि अच्छे सवाल और बुरे सवाल, कहने को बहुत कुछ इसमें में पर समझने को थोड़ा बहुत !
ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहे धन्यवाद
Nice
जवाब देंहटाएंAdorable
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