-->

Ads 720 x 90

राजनीति का षड्यंत्र Politics conspiracy



ये मात्र एक संयोग नहीं हो सकता कि राजनेताओं की बोली एक जैसी हो चुकी है , आज एक दूसरे पर कीचड़ तो खूब उछालते है ये , पर भ्रष्टाचार को दोनों ही छुपाते हैं 

मैं सिर्फ केंद्र पर ही आपका ध्यान आकर्षित करूंगा , हमें क्यों इन दो ही चयन तक सीमित रखा जाता है , क्या नोटा बटन दबाना भी गलत है ? तो हमारे पास विकल्प क्या हैं ?
 कुछ लोग एक पक्ष के होंगे और कुछ दूसरे पक्ष के , पर संयोग तो देखिए इतनी मिलीभगत है इन सब में चुनाव जीतने के बाद सभी आराम से रहते हैं मिलजुल के !
चुनाव आते ही एक दूसरे पर इल्जाम लगाना शुरू कर देते हैं , टेलीविजन में दिखाते हैं कि हम सबसे " अव्वल " हैं पर क्या हो रहा है इस समाज में , क्या हो रहा है इस समाज की जड़ों में !

जो असलियत है उसे ये छुपाना जानते हैं विकल्प ना हो इसीलिए ये हमेशा राजनीति ही करना चाहते हैं , आप मैं हम सब जब भी चुनाव के उस क्षण से गुजरते हैं तो उस भ्रष्ट और कातिल उम्मीदवार को ही वोट क्यों देते हैं , क्या उसका दबदबा समाज में फिर से कायम है या उनको रोकने की हिम्मत किसी में नहीं है , 
ये वो लोग हैं जो सत्ता में आकर हमारे दिए हुए टैक्स को बेकार के कामों में बहाते हैं , मैं आज आपको कह दूं अगर 2019 में कोई तीसरा विकल्प होता तो वो भी अच्छे शत प्रतिशत मतों से लोकसभा में होता तो आप शायद यकीन ना करें , पर एक पढ़े लिखे व्यक्ति को जो समाज में ये सब जानता है उसे तीसरे विकल्प की भी तलाश है "आप कहीं वो तो नहीं "

जो दूसरा विकल्प है वो परिवारवाद की छत्रछाया में पला बढ़ा है उनसे हम ये उम्मीद नहीं रह सकते कि वो स्वतंत्र रूपी कार्य स्वतंत्र देश में कर सकें , आज कोई भी पक्ष में हो या विपक्ष में ज्यादातर लोग इनमें से संलिप्त हैं , भ्रष्टाचार में मेरा आपका हम सब का पैसा हमारे पूर्वजों का कमाया हुआ पैसा जो भी पैसा हम में इन सरकारों को दिया था उस पैसे का हिसाब इनके बस का नहीं है देने का , 
विकास तो हर सरकार ने किया , जब से हमारा देश आजाद हुआ है तब से हर सरकार ने एक ना एक विकास किया है कि "कैसे लोगों को बरगला कर , फुसलाकर , पैसे देकर , दंगे करवाकर , अभिनेताओं को लड़ा कर , दागदार नेताओं को जमीन में उतारकर , जनता को कैसे बेवकूफ बनाया है "

मैं आप हम सब किसी ना किसी की बातों में आकर ये निर्णय ले लेते हैं की चुनाव की परिभाषा ही है " पक्ष या विपक्ष " हम परिवर्तन की राजनीति पर नहीं जाते क्योंकि अगर हम में से कोई एक उठकर चुनाव लड़ने चला गया तो इनकी " नौकरी " दांव पर लग जाएगी , जी हां इनकी ये हर 5 साल की नौकरी है जिसे ये हर तरीके से 70 , 75 साल तक कायम रखते हैं और पहली बात तो ये आपको चुनाव लड़ने ही नहीं देंगे !

दिल्ली एक मात्र बहुत बड़ा उदाहरण है जहां राज्य सरकार के एक छोटे से चुनाव में भी बड़े-बड़े महारथी उतर जाते हैं , इन्हें जनता की कोई फिक्र नहीं है , ये चाहते हैं किसी भी तरीके से सत्ता हासिल करें , मैं कई लोगों को देखता हूं जो दिल्ली की राज्य सरकार से बेहद खुश हैं , क्योंकि जो क्रांति एक पढ़ा लिखा व्यक्ति कर सकता है वो कोई और नहीं कर सकता
 देश में फ्री बिजली का आगाज , जो कि मुझे काफी पसंद आया " लोग जात , पात , धर्म पर लड़ते रहेंगे इन्हें लड़ाने वाले लड़ाते रहेंगे "
मुझे भी खुशी होती है जब कोई सरकार ऐसे कार्य गरीबों के लिए करें क्योंकि कई राज्य सरकारों में तो गरीबों को मुफ्त में जो राशन मिलता है , उसमें भी धांधली हो जाती है देश साक्षरता की ओर बढ़ रहा है धीरे-धीरे करके " कट्टरवादी सोच "  हम पर हावी हो रही हैं , धर्म के नाम पर लोगों को लड़ाया जा रहा है , आप हमेशा पर्दे की पीछे की भूमिका देखिए किस-किस को इससे फायदा है , क्योंकि ये चीजें चुनाव से ठीक 1 साल या 6 महीने या 3 महीने पहले ही शुरू हो जाती है 



देश में कई युवा ऐसे हैं जो सरकार चुनाव इन सब मुद्दों में अपने आप को समय नहीं देना चाहते , वे जिस नौकरी पर हैं बस उसी में व्यस्त रहना चाहते हैं , और चुनाव के दिन जो उन्हें टेलीविजन पर जीतता हुआ दिख रहा होगा उसी पर वोट देकर आ जाते हैं , पर परेशानी इन लोगों को तब महसूस होती है जब ये उस सिस्टम से गुजरते हैं , आज जो हॉस्पिटलों की हालत है वो कुछ सालों से नहीं है ये आजादी के बाद से ही है क्योंकि सरकारें तभी से हमें धर्म जाति के नाम पर बंटवारा करने पर तुली है आज की परिस्थिति से आप रूबरू हैं और ये गलती आपके पहले भी लोग दोहरा रहे थे और आज आप भी दोहरा रहे हो , देश की राजनीति को बदलना पड़ेगा , सत्ता के इस खेल को कुचलना पड़ेगा , चुनाव के समय इनके बड़े-बड़े वादे होते हैं , सत्ता में आने के इनके  इरादे होते हैं,
 इन्हें पता है कोई अगर तीसरा पक्ष आ गया तो वो इनकी बुनियाद को हिला कर रख देगा , कई भ्रष्टाचारी नेता पकड़े जाएंगे तभी इनको डर लगता है , किसी तीसरे पक्ष का आना यह उन्हें पहचानने की कोशिश करते हैं की "क्या यह भी दूसरे पक्ष की  तरह हमारे साथ हाथ मिलाएगा या सच्चाई ईमानदारी के रास्ते पर हमें जेल पहुंचाएगा"

हमेशा अपने विधायक के कामों  को ही देखकर वोट दें चेहरे तो आप " हजार बार तस्वीरों में ही देखते होंगे "



ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहे धन्यवाद 


Related Posts

एक टिप्पणी भेजें

Subscribe my diary poems updates on your email