निर्दयता से भी निर्दई इंसान है,
आज नहीं कलयुग से इसकी पहचान है,
इसका धर्म ना ईमान है, ना ही यह कोई इंसान है,
गरीबों का खाता है चूना लगाता है,
सिस्टम की गलती है, जो इनका पेट भर जाता है,
इनकी वह पहचान है, जो राक्षसों का भी अपमान है,
सजा के यह काबिल है, क्योंकि यह जाहिल है,
ये खुद का पेट भरते हैं, किसी से ना डरते हैं,
ईमान इनका पैसे भरोसे, लालच पर यह मरते हैं,
ना आपकी गलती ना ही सिस्टम की गलती
इनके आगे किसी की ना चलती
गलती है पहचान की , गलती है ईमान की
लालच बुरी बला है, फिर भी गलती है इंसान की
एक लालची दूसरे लालची पर भारी है
क्यों यही कलयुग के अंत की लाचारी है
ये युग भी चला जाएगा, मनुष्य नहीं बदल पाएगा
खुद के सर्वनाश की हम कामना करते हैं,
एक दूसरे को मारने के लिए रूप बदलते हैं,
यह हथियार आखिर किस काम आएंगे,
इंसान को इंसान मारेगा तभी तो विजय पाएंगे
खुद को तो जानो कभी तो पहचानो, बुरा ना मानो
पर लालची तुम भी हो यह तो मानो
गरीब तो गरीब है तुमसे क्या उम्मीद है,
प्रवचनों से आंख नहीं खुलती,
भगवान से उम्मीद रखोगे, तो किस्मत नहीं बदलती
मसीहा लोगों के बीच से ही उठता है
तभी तो वह भगवान में बदलता है
यही तो समय से चलता है
उम्र के साथ-साथ उम्मीद, एवं वक्त भी बदलता है ,
वक्त भी बदलता है !!
आपने देखा था करोना काल में कई लोगों ने गरीबों का हिस्सा लूट लूट के खाया है, जिससे वह सिर्फ अपना पेट भर सके, इंसानियत इन लोगों के अंदर मर चुकी है, सिस्टम इनके आगे फेल हो चुका है, यह इतने लालची हो चुके हैं कि किसी मरे हुए इंसान का निवाला भी यह छोड़ नहीं सकते ,
यह तो एक नमूना मात्र था , अगर मान लिया जाए देश में अकाल स्थिति आती है, तो इनकी उग्रता इतनी बढ़ जाएगी इंसान इंसान को ही खत्म कर देगा , हर देश अपने हिसाब से कई सारे हथियार खरीद रहा है, उसका दुश्मन और कोई नहीं इंसान ही है, आने वाले समय में और तरक्की होगी और नए हथियारों की भी नुमाइश होगी।
मुझे आपसे यही उम्मीद है कि आपके अंदर कम से कम एक गरीब का निवाला छीनने की ख्वाहिश तो नहीं होगी, अगर आप उसे कुछ देते हैं तो वह ज्यादा बेहतर है, बगैर किसी दिखावे के दिखावा करके मदद तो हर कोई कर सकता है पर असली मदद दिल से होती है, अगर आपका दिल साफ है तो आपकी मदद बेकार नहीं जाएगी !!
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