मुझे ऐसा कहना ना पड़े, पर जो स्थिति देश की है और जिस तरीके से हम इसे संभाल रहे हैं वह बहुत ही बेकार है, इसमें दोनों की गलती है, सरकार और आम आदमी की भी आम आदमी अपनी रोजी-रोटी के लिए सड़कों पर निकल रहा है और उसकी मजबूरी भी है, क्योंकि यहां सरकार हर किसी को फ्री में खाना नहीं खिला सकती, यहां एक गरीब इंसान की स्थिति यह है कि घर में रहे तो भूख से मरे, और बाहर काम पर जाए तो करोना से मरे, दोनों तरफ उसका ख्याल रखने वाला कोई नहीं है, क्योंकि सरकार के द्वारा जो भी दिशा निर्देश दिए गए हैं उसका पालन हर कोई नहीं कर पाएगा,
सबसे बड़ी गलती हमारी पहली यह है कि हम आज भी यह बात कर रहे हैं कि मंदिर कब बनेगा, हमें इस बात पर चर्चा करनी चाहिए कि जो हमारे देश में गरीब इंसान मर रहा है जिसको अस्पताल नसीब नहीं हो रहा है, उसके लिए, उन लोगों के लिए कैसे हम मदद कर सकते हैं, पर कोई सरकार से सवाल इसलिए नहीं पूछेगा क्योंकि सबको आदत पड़ चुकी है, आदत उस खराब सिस्टम की जिसमें हमें खराब स्कूल खराब अस्पताल यह सुविधाएं मुहैया कराई जाती है, इनमें राज्य सरकारों का तो पूर्ण तरीके से दोष है, क्योंकि हर 5 साल बाद यह या तो दोबारा से सत्ता में होंगे, या विपक्ष में होंगे आजतक राजनीति में कोई भी बदलाव नहीं ला पाया है, सब वही दिखावा करते हैं, कि हम शरीफ हैं,
"शरीफ" किसी का सरनेम भी था, से आप मेरा मतलब समझ गए होंगे,
आम नागरिक को सिर्फ यह समझाया जा रहा है कि आप सुरक्षित हैं, आपको मैं बता दूं कि हमारे देश में अस्पताल इतने कम है कि अगर एक लाख कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज रोज आने लगे, तो देश की स्थिति कई देशों से बदतर हो जाएगी, और आने वाले कुछ हफ्तों में ही हम विश्व में पहले स्थान पर होंगे, हमने कुछ महीनों पहले ही टेलीविजन पर यूरोप अमेरिका और अन्य देशों की हालत देखी थी, फिर भी हमने उनसे कुछ सबक नहीं लिया, ऊपर से कुछ निर्णय ऐसे लिए गए, जोकि आम जनता के हित में नहीं थे जैसे पहले ही तालाबंदी कर देना बगैर जाने की इसके असर से कितने मजदूर पलायन करेंगे, सरकार के द्वारा सही तरीके से जन-जन तक जानकारी ना पहुंचा पाना आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां आपको कई लोग ऐसे मिलेंगे जिनको इस संक्रमण के बारे में पता ही नहीं है, इसकी वजह है और अव्यवस्था आज आप टेलीविजन खोल कर देखिए, आपको कोरोनावायरस से संबंधित खबरें बहुत कम दिखेंगी क्योंकि सिस्टम की नाकामियों को छुपाया जा रहा है, और उसकी मुख्य वजह यह है क्योंकि सिस्टम नाकाम हो चुका है,
कोई भी सरकार अपनी नाकामी कभी किसी को नहीं बताती, उनकी नाकामी बताता है मीडिया पर जब मीडिया ही चुप रहे तो फिर आगे कौन पूछेगा, आप में हम सब इन बातों में ध्यान नहीं देते क्यों क्योंकि हमें बस अपने काम से मतलब होता है, हम 5 साल में एक बार वोट देकर आ जाते हैं, और फिर आने वाले 5 सालों में हम सरकार को कोसते भी हैं, दरअसल गलती हमारी ही है हम अपने निर्णय खुद से नहीं ले सकते जो हम दूसरों से सुनते हैं, जो बाहर आवाजें उठ रही हैं, उनको हम सुनकर सच मान लेते हैं, और फिर किसी ना किसी को विजयी बना ही देते हैं,
मैं यह सब क्यों लिख रहा हूं, क्या मुझे किसी की बुराई करने की आदत है, मैं बस समाज के हर नागरिक के लिए सोच रहा हूं जिसमें मैं खुद भी हूं, मैं उन सरकार की तरह नहीं हूं जोकि दवा के बजाय दारु को अहमियत दें, सवाल यह उठता है कि अगर आप भी मेरे जैसा सोच रहे हैं तो आप भी सवाल उठाएं और इन बातों को अब ऊपर तक पहुंचाएं, क्योंकि जब लोगों का रुख किसी एक धारा की तरफ मुड़ेगा, तभी तो सरकार का ध्यान आपकी तरफ आएगा, सरकार जो काम कर रही है वह सरकार को अच्छा लग रहा है, आम जनता को नहीं पता कि हो क्या रहा है उसे बस यह दिख रहा है कि रोज मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है, और अगर ऐसा ही चलता रहा तो वे लोग छूट जाएंगे जिनका इलाज अस्पताल में हो सकता था, पर अस्पताल मैं जगह ना होने के कारण उनका इलाज नहीं हो पाया, और ऐसी स्थिति सिर्फ एक जगह या एक राज्य की नहीं होगी फिर यह पूरे देश भर में हो सकती है,
कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाने पड़ेंगे जैसे जिन जिन इलाकों में कोरोनावायरस है वहां सरकार के द्वारा सख्त पाबंदी लगानी पड़ेगी, हां मैं मानता हूं इससे उन लोग को बहुत दिक्कत होने वाली है, पर जब तक कोरोनावायरस की वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक देश के आम नागरिकों को बचाने के लिए हमें उनका इलाज उन्हीं जगहों पर करना पड़ेगा जहां यह संक्रमण मौजूद है, और सरकार को मुफ्त में मास्क् का वितरण करना चाहिए जो मुझे लगता है संभव नहीं है , क्योंकि कई कंपनियों का यह आय का साधन है , दूसरा इसका फैलाव का कारण है मनुष्य से मनुष्य पर, तो जब तक यह कोरोनावायरस है, हर हर चौराहे पर जैसे विज्ञापन लगे होते हैं उनमें इन सब दिशानिर्देशों के बारे में होना चाहिए लिखा हुआ, जिससे कि एक सामान्य इंसान आराम से इसको समझ सके और इससे बचाव के लिए खुद को तैयार रखें, और हमें एक बार फिर से तालाबंदी को लगाना पड़ेगा, क्योंकि अन्य देश में भी सरकारों द्वारा कठोर कदम उठाने के बाद ही स्थिति में कुछ बदलाव आया, और हमारे देश को भी कुछ समय चाहिए जो तैयारी हम पहले नहीं कर पाए वह हमें अब करनी चाहिए !!
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