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व्यक्तिगत विचार Personal thoughts


इंसान कोई भी कार्य जन्म लेते ही नहीं सीख सकता, हम हर कार्य को करने से पहले उसे समझते हैं कि वह कार्य कैसे करा जाता है, पर आज के दौर में आप से यह अपेक्षा रखी जाती है की आपको वह कार्य पहले से आता हो, भले ही आपको उस कार्य की कार्यप्रणाली भी ना पता हो
 आजकल मनुष्य ना सिर्फ धन से जलता है बल्कि ईर्ष्या करता है दूसरे से ज्ञान के मुकाबले में वह यही चाहता है कि दूसरा व्यक्ति उससे कम उस कार्य का ज्ञान रखता हो, कुछ गुरु आज के दौर में यह चाहते हैं कि उनका शिष्य उनसे आगे ना निकल जाए क्योंकि अगर वह उनसे आगे निकल गया तो शायद एक दिन वह उनकी जगह ले लेगा...

 जो सीखना चाहते हैं वह सीखते रहते हैं, अगर कहीं पर भी कोई दूसरा व्यक्ति उनके कार्य में रुकावट पैदा कर रहा है तो वह सिर्फ सीमित समय  तक ही यह सब कर पाएगा, जो सीखने की इच्छा  रखते हैं वह आखिर में उस सीमा को पार कर ही जाएंगे,
 हमें समझना होगा कि हमारे जीवन में हमारे लिए कौन अपना है और कौन पराया, लोग झूठी मुस्कान के साथ आपके साथ व्यवहार करते हैं दिखावा करते हैं कि वह आपके हितेषी हैं वह आपका ख्याल रखते हैं, वह आपकी चिंता करते हैं, पर अंदर ही अंदर वह आपसे जलते हैं...

 अब किसी भी नए समुदाय नए लोगों से मिलोगे, शुरुआत में वह दोस्ती करने का दिखावा करते हैं, वे आपको परखते हैं और आप भी उन्हें परखोगे, धीरे-धीरे वो आप को समझते हैं और आप उन्हें समझने लगते हो जो आपको हितेषी लगेगा उसी के साथ आप अपनी बातें आगे साझा करते हुए चले जाते हो, और जो हमेशा आपकी बुराई या फिर आपके स्वभाव पर नजर रखता है वह आपकी आंखों में जरूर खटकेगा
 हम अलग-अलग लोगों और उनके स्वभाव के प्रति अपने स्वभाव को बदलने की कोशिश करते हैं, हम हमेशा चाहते कि हम उनके व्यवहार में ढल जाए ताकि वह जिस तरीके से अपने व्यवहार में हमें सम्मान देता है, हम भी उसे उसी की तरह सम्मान दे, पर इसी आचरण और व्यवहार को बदलते बदलते हम खुद ही बदल जाते हैं, हमारा आचरण हमारा व्यवहार हमें दूसरों से अलग बनाता है अगर हम दूसरों के आचरण में ढलकर अपने आप को बदलने की कोशिश करेंगे तो हमें अपना अस्तित्व महसूस होगा ही नहीं,
 लोगों की पहचान होती उनके आचरण उनके स्वभाव से उनके व्यवहार से जो कि वह जाहिर करते हैं दूसरों के प्रति,

 कुछ लोग मिनटों में दूसरों को समझ जाते हैं और कुछ लोग कई साल लगा देते हैं दूसरों को समझने में, क्योंकि उनका भरोसा जो है वह कितनी देर दूसरों पर टिकता यह निर्भर करता है उनकी समझ पर, जो लोग जल्दी दूसरों की बातों पर भरोसा कर लेते हैं वह जिंदगी में कई गलतियां करते हैं, हम समझते हैं इस समाज रूपी चेहरे को भी पर हम उन गलतियों को दोहराते चले जाते हैं,

 कुछ लोग अनजाना बनने की कोशिश करते हैं कुछ लोगों के आगे यह समझते हैं कि उनकी चालाकी कभी भी इस व्यक्ति के सामने नहीं आ पाएगी क्योंकि यह नादान है यह नासमझ है इसे दुनिया का क्या पता, और वह हमेशा यह समझते रहते कि हमने अपनी बातों में फंसाकर इस व्यक्ति को जो हमारी सोच थी उसमें शामिल कर लिया है, पर जो इन लोगों को समझता है क्यों आखिर इतनी मीठी मीठी बातें करके हमेशा मेरे से ऐसा व्यवहार जाहिर करते हैं वह भी जानता है कि यह जो भी व्यक्ति मुझे नादान समझ रहा है वह खुद नादान है मेरे विचारों से, आखिर में क्या सोच रहा हूं उसके प्रति उसे नहीं पता, वह मुझे सिर्फ नादान समझ रहा है पर आखिर मैं क्या कर रहा हूं मैं उसके व्यवहार को समझ रहा हूं कि आखिर इसका असली रूप क्या है...


 दूसरों को नारायण समझने की भूल कभी मत करो वे  भी आपको समझने और परखने की कोशिश कर रहे हैं,  

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