2020 के इस वर्ष को हम हमेशा याद रखेंगे, कोरोनावायरस उस से संक्रमित हुए लोग और इस संक्रमण से गई गई कई जिंदगियां, कोरोनावायरस ने हमारे आम जीवन को इस तरह से बदल दिया कि आम इंसान अब अपनी स्वास्थ्य के ऊपर भी सोचने पर मजबूर हो चुका है, जिसको कभी समय नहीं मिलता था खुद के स्वास्थ्य के लिए,
तालाबंदी यानी कि LOCKDOWN से हमने यह सीखा और यह समझा कि हमें अपने आप को कैसे सुरक्षित रखना है हमें अपने आप को बचाना है, दूसरे संक्रमित हुए लोगों से शुरू शुरू में ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई काल्पनिक घटना घट रही हो पर धीरे-धीरे करके यह हमारे आम जीवन में ढल सा गया,
लाखों लोगों ने अपने परिवार के कई सदस्यों को खोया यह सारी की सारी बातें इतिहास में दर्ज हो जाएंगी और भविष्य में मानव ऐसी किसी भी विश्व स्तरीय आपदा से निपटने के लिए अपने आपको तैयार जरूर करेगा
हम सबको 2020 का वर्ष सबसे ज्यादा याद रहेगा और उसका कारण है भी, तालाबंदी और उससे हुए आर्थिक नुकसान कई लोगों की नौकरियां चली गई कई लोगों को दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं हुआ और कहीं तो इस बीमारी की वजह से ही कई लोगों को अपने अपनों से दूर होना पड़ा,
कई देशों में लोगों के द्वारा इस बीमारी को गंभीर तौर पर लिया गया और कई देशों में वहां के नागरिकों के द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लिया गया जिसकी मुख्य वजह वहां के प्रतिनिधि भी थे, ब्राजील देश एक सुनहरा उदाहरण है आप सभी के लिए, अगर कोई आपके सामने कभी 2020 का जिक्र करेगा तो सबसे पहले तालाबंदी यानी कि lockdown की बात भी होगी, हम अपने ही घर में कैद हो गए थे यह कोई मजबूरी नहीं थी यह हमारे लिए जरूरी था, और कोई भी वस्तु अनंत नहीं है, सभी के विकल्प मौजूद हैं और इलाज भी,
किसी भी लाइलाज बीमारियां संक्रमण से बचाने के लिए, अलग-अलग देशों की सरकारों के द्वारा लिए गए निर्णय वहां की आम जनता के बीच उम्मीद एवं विश्वास उत्पन्न करती है, आने वाले समय में मानव सभ्यता के लिए और भी घातक संक्रमण और बीमारियां तैयार बैठी है, और उनका मूल लक्ष्य है कि मानव सभ्यता को जड़ से मिटा देना,
आज की विकसित तकनीक में हम अभी भी अपने आप को पिछड़ा सा महसूस करते आ रहे हैं, हमें नहीं पता कई ऐसी बीमारियों का या कई ऐसे संक्रमण का जो आने वाले समय में मानव को चुनौती देंगी, लॉकडाउन / तालाबंदी एक अनोखा प्रयोग था और आने वाले समय में शायद ऐसे प्रयोग दोबारा से देखने को ना के बराबर मिले,
हम याद रखेंगे 2020 को इसलिए भी जो अमीर देश थे उन लोगों ने अपने नागरिकों की रक्षा करने के लिए, वैक्सीन का प्रबंध पहले से ही करना शुरू कर दिया था, और यह चुनौती साबित हुई उन विकासशील और गरीब देशों के लिए,
यहां मानवता का ख्याल रखने के लिए कोई आगे नहीं आया यहां सिर्फ पैसों के दम पर जिन देशों के पास ताकत थी वैक्सीन उत्पादन करने की, और जिन देशों के पास पैसा था वे देश अपने नागरिकों को सुरक्षित करने में जल्दी कामयाब हो गए, कोरोनावायरस महामारी का प्रसार दिसंबर के अंत से शुरू हो गया था, और धीरे-धीरे करके कई देशों ने अपने यहां लॉकडाउन लगाना शुरू कर दिया था, कई लोग जिनको इससे कई तरीके से आर्थिक नुकसान हुआ वहीं से सफल से ज्यादा असफल मानते हैं, क्या हमारे पास लॉकडाउन का विकल्प उस समय मौजूद था?
इस महामारी को फैलने से रोकने में सबसे ज्यादा असमर्थता जताने वाला एक संगठन सबसे ज्यादा चर्चित रहा, विश्व स्वास्थ्य संगठन नाम से ऐसा प्रतीत होता है कि विश्व को सुरक्षित रखने का बेड़ा इन्होंने ही उठाया है, पर जब असल महामारी अपने चरम पर पहुंची तो इनको भी समझने में कई महीने लग गए, खास बात यह है कि ऐसी मिली जुली महामारी पहले भी कई बार आ चुकी है पर तब भी गंभीरता से इन विषयों की ओर विचार नहीं किया गया,
जहां दोषी वह सभी लोग हैं जिन्होंने इस महामारी को फैलने दिया, जिन लोगों के पास ताकत थी अगर वह विफल हो चुके हैं आपको सुरक्षित रखने में, तो इसका अर्थ है कि आने वाले समय में इससे भी ज्यादा भयानक महामारी में वे कुछ भी नहीं कर पाएंगे,
जिनके पास सामर्थ्य था वे अपना सामर्थ्य खो चुके थे, जो सामर्थ्यहीन थे उनके भरोसे वे आम जनता को छोड़ चुके थे"
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