इससे एक बात साफ है, जो जितना ज्यादा सोचता है उसका दिमागी विकास उतना ज्यादा होता है, और जो जितना कम सोचता है उसका दिमाग एक सीमित सीमा तक रह जाता है,
जब हम आसमान की ऊंचाई पर देखते हैं, तो हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि यह ब्रह्मांड कितना बड़ा है, जब हम जमीन में देखते हैं तो हम बात करते हैं कि इस धरती में गहराई तक कितनी परतें हैं, तो हम यहां बात करते हैं उस आदमी की जो इन चीजों को आजतक समझ नहीं पाया है उसकी समझ सीमित हो चुकी है और यह लोग आपके सामने भीड़ में मौजूद रहते हैं और सबसे आगे भी रहते हैं, इन लोगों को आप अपनी बातों में आसानी से फंसा सकते हो बस आपको पहले इन्हें समझना होता है, यह लोग कई तरह के हो सकते हैं अलग-अलग मानसिकता से इनका विकास हुआ होता है, जैसे एक सेल्समैन लोगों का दिमाग पढ़ कर उनको जो चाहिए वह चीज दिलाने की कोशिश करता है वैसे ही इन लोगों की भी क्षमता भी सीमित रहती है, जहां पर आप इनकी मानसिकता को तोड़ मरोड़ के बदल सकते हो, अब जो व्यक्ति ऊपर दी गई तस्वीर में बीच में खड़ा है उसके चारों तरफ एक डिब्बा(box) बना है तो इसका मतलब यह है कि वह व्यक्ति उस डिब्बे(box) के बाहर समझ नहीं पाता है,
इसका सबसे अच्छा उदाहरण आपको देखने को मिल जाएगा राजनीति में, लोग इन सब बातों को भूल जाते हैं कि वे भी एक आम इंसान है, एक आम नागरिक है देश के, आखिर कुछ सालों में ऐसा क्या हो गया कि कई लोगों के अंदर नफरत हिंसा ऐसी चीजें आनी शुरू हो गई? हम क्यों किसी राजनीतिक दल की ओर झुकाव महसूस कर रहे हैं,
दरअसल यह सब शुरू होता है आपकी खाली मानसिकता से जब आप सवाल पूछना छोड़ देते हैं सरकार से और यह समझ बैठते हैं कि हां सब कुछ सही चल रहा है, तो आप वही गलत होते हैं, जब हम अपनी मानसिकता पर जोर नहीं देते हैं तो हमें सब कुछ सही सा लगता है, आप यह मत समझो कि एक राजनेता सच्चा ही होगा झूठ बोलना उसकी आदत का हिस्सा है,
कई लोग विकल्प तलाशते हैं, और कई लोग विकल्प तराशते हैं हमें धर्म की आड़ पर वह सब दिखाया सुनाया जा रहा है जो कि पहले हमने कभी नहीं सुना, ऐसा इसलिए भी है ताकि हमारी मानसिकता में गंदगी भरी रहे और हम अपने पड़ोसी मित्र को जो कि दूसरे धर्म का है उसके लिए हमेशा नफरत भरे विचार की मन में रखे, सरकारे आज है कल नहीं रहेंगी, सत्ता परिवर्तन से हर बार बात बदलेगी, यह आप से कहेंगे कि हम आपके हित की बात करते हैं, असल में यह चाहते हैं कि जो मानसिकता यह चाहते हैं वैसी आपकी बनी रहे,
अगर आप लोग किसी को इमानदार मानते हो, तो मैं क्या हर कोई आपके ऊपर हंसेगा क्योंकि जिस व्यक्ति को ज्यादा लोग जानते हैं वह कभी भी ईमानदार नहीं हो सकता, हां जिसे सिर्फ आप जानते हैं वह शायद आपके नजरिए से ईमानदार हो
"इंसान एक गिरगिट की तरह रंग बदलता है
दूसरों को दबाने के लिए कई तरह की चाल चलता है
मानसिकता को दबाने की कोशिश करता है
यह भी एक इंसान है और इंसान से ही जलता है"
अगर आपका दिमाग उस डिब्बे(box) से बाहर है, और आप यह सब चीजें समझते हो तो मुझे लगता है कि आप भी अपनी मानसिकता को विकसित कर रहे हो, जो आपके सवाल है अगर उनके जवाब आपको मिल जाते हैं तो समझ लीजिए कि आप सही रास्ते पर जा रहे हैं, और अगर नहीं मिले तो यह समझ ले कि आपको विकल्प तलाशना पड़ेगा, हमारे देश का युवा देश में सिर्फ राजनीति करना जानता है और इसी का कारण है कि कॉलेजों मैं जहां छात्रों को रोजगार देने योग्य शिक्षा दी जानी चाहिए, वहां छात्र राजनीति करके उस कॉलेज को बार-बार बंद करवा देते है, हां अपने हक के लिए आप एक यूनियन का गठन कर सकते हैं पर छात्र राजनीति यह बेकार है, क्योंकि इन छात्र युवा नेताओं के साथ वह छात्र भी सम्मिलित हो जाते हैं जिन्हें राजनीति का ज्ञान भी नहीं होता, और वे पूरे वर्ष इन नेताओं के साथ इसी वजह से घूमते रहते हैं ताकि परीक्षा के वक्त यह नेता कुछ सहयोग कर सकें,
देश के जितने भी राजनेता आप देखते हैं, उनमें से ज्यादातर छात्र राजनीति से ही उठ कर आए हैं, पर आप खुद ही सोचिए एक छात्र जो कि राजनीतिक मानसिकता से आगे बढ़ता है, शुरुआत में वह यह सोचता है कि समाज में बदलाव लाऊंगा, पर धीरे-धीरे करके उसकी मानसिकता राजनीति के दांवपेच में इतनी ढल जाती है कि वह जनता के बारे में कभी सोच ही नहीं पाता !
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