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मध्य पूर्व के देशों की तेल पर निर्भरता Middle East countries' dependence on oil

भविष्य में जो चीजें  बदलने वाली उनमें से एक है कच्चा तेल के  उत्पादन में कमी, इसका यह मतलब नहीं है कि विश्व  में कच्चे तेल की कमी हो जाएगी   इसका मतलब यह है कि आने वाले भविष्य में भारत चीन जापान पाकिस्तान बांग्लादेश श्रीलंका ऐसे कई देश है जहां कच्चा तेल भरपूर मात्रा में उत्पादित नहीं होता है इसी वजह से इन देशों में अर्थव्यवस्था कई भागों में बंटी पड़ी है जिन्हें हम सेक्टर्स भी कहते हैं सेक्टर का एक उदाहरण आपको दे देता हूं जैसे फार्मास्यूटिकल सेक्टर , ऑटोमोबाइल सेक्टर , एग्रीकल्चर सेक्टर और ऐसे ही कई अन्य और जिनमें अर्थव्यवस्था आपकी बंटी हुई है,इसका फायदा बहुत है क्योंकि जब भी कभी कोरोनावायरस जैसी महामारी विश्व में फैलती है तो इसका असर किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर सबसे ज्यादा पड़ता है और अगर कोई देश अपनी अर्थव्यवस्था में अलग-अलग सेक्टर पर  निर्भर  रहता है तो उस देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होने के काफी कम आसार होते हैं, वही हम बात करें अगर मध्य पूर्व के देशों की जिन्हें हम middle-east देश भी कहते हैं तो वहां पर 70 या 80% अर्थव्यवस्था कच्चे तेल पर ही निर्भर रहती है कच्चे तेल के निर्यात  से ही विश्व में ज्यादातर देशों के निर्भरता इन मध्य पूर्व देशों से आयातित होने वाले कच्चे तेल पर ही हैं ,और मध्य पूर्व  देश भी अच्छा खासा पैसा कमाते हैं तेल निर्यात करके पर क्या यह हमेशा के लिए रह सकता है ?

आप सोच  सकते हैं कि यह नहीं हो सकता भविष्य में कच्चे तेल का विकल्प हमारे पास मौजूद रहेगा उस समय इन देशों की परिस्थिति क्या होने वाली है , अभी के मौजूदा हालातों  पर चर्चा करें तो करुणा काल के दौरान सबसे ज्यादा असर मध्य पूर्व के देशों  पर हुआ क्योंकि निर्यात के लिए उनके पास कच्चा तेल  मौजूद था पर कोई देश इसे खरीदने  के लिए तैयार नहीं था  इसकी वजह थी कोरोना वायरस संक्रमण अपने चरम पर पहुंच चुका था , और उन देशों के नागरिक अपने घर में लॉकडाउन में सरकार के द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन कर रहे थे और इसी वजह से कच्चे तेल के दाम रोजाना गिरते चले गए आप समझ सकते हैं कि इसका असर किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर कितना बुरा पड़ेगा जो देश कच्चे तेल पर निर्भर नहीं थे वह किसी तरीके से अपनी अर्थव्यवस्था को  बचाने में कामयाब हो गए और जो निर्भर  थे जैसे मध्य पूर्व के कई देश जैसे ओमान, सऊदी अरब, कुवैत, कतर, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात इन देशों की निर्भरता अभी भी कच्चे तेल पर कहीं ज्यादा है, 

अब हम बात करते हैं आने वाले भविष्य में होने वाले बदलाव की , जिसे कई मध्य पूर्व  देश पहले ही पहचान  चुके हैं और वह है तेल की निर्भरता खत्म होना और ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार में आना यह एक संदेश देता है कि इन मध्य पूर्व देशों की अमीरी के दिन लगभग जाने वाले हैं यह एक संकेत है कि जब इलेक्ट्रिक व्हीकल जिसमें  लिथियम आयन बैटरी का प्रयोग किया जाता है और यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है और इस तकनीक का बड़े स्तर पर इस्तेमाल  हो रहा है इससे उन देशों को बहुत फायदा मिलेगा जो कि तेल आयात करते हैं मध्य पूर्व देशों या फिर अन्य देशों से क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कच्चे तेल  के आयात में होने वाले खर्च से संबंधित होता है तो इसका अर्थ यह है कि भविष्य में जो देश कच्चा तेल आयात करते थे उन्हें इलेक्ट्रिक व्हीकल से बड़ा फायदा होने वाला है इन्हीं बातों को समझते हुए मध्य पूर्व के कुछ देश जैसे सऊदी अरब , संयुक्त अरब अमीरात कुवैत जैसे देशों ने भारत अमेरिका यूरोप और कई अन्य देशों के बाजार में हिस्सेदारी खरीदने की शुरुआत कर दी है ताकि भविष्य में होने वाले नुकसान से यह बच सके यह एक अच्छा विकल्प है पर आने वाले समय में जब कई देश कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता खत्म कर देंगे तो इसका असर मध्य पूर्व के देशों पर भी होगा


विश्व में सबसे ज्यादा कच्चा  तेल आयात करने वाला देश चीन है उसके बाद नंबर 2 पर अमेरिका आता है नंबर 3 पर आता है  भारत और नंबर 4 पर जापान, और धीरे-धीरे करके इन देशों में इलेक्ट्रिक व्हीकल आने शुरू हो चुके हैं, जो कि बाजार में ग्राहक को विकल्प दे रहे हैं, भविष्य में तेल पर निर्भरता खत्म कर देना किसी भी देश के लिए मुमकिन है पर अगर वह आज  से शुरु कर रहे हो तभी आने वाले भविष्य को बदल पाएंगे , मध्य पूर्व देशों में तेल का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है पर इन देशों की भी कई समस्याएं हैं जैसे खेती योग्य जमीन ना होना, पानी के स्रोत की कमी होना इस वजह से यह देश ज्यादातर तेल पर ही निर्भर रहते हैं ! आने वाले भविष्य को आप भी समझ सकते हैं क्योंकि आने वाला भविष्य तकनीक में भी बदलाव लेकर आएगा और कच्चे तेल के प्रयोग में भी कमी आएगी, और जो देश कच्चे तेल की वजह से अच्छा खासा मुनाफा कमाते आ रहे हैं भविष्य में उनके लिए खतरे की घंटी है , आप खुद ही सोचिए मध्य पूर्व के  देशों में कच्चे तेल के इलावा  कुछ भी कीमती  नहीं है जिससे यह देश अपनी अर्थव्यवस्था  चला सकें, भविष्य में मध्य पूर्व में भी प्राकृतिक संसाधनों को लूटने की होड़ लग जाएगी जो  धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं उन प्राकृतिक संसाधनों की कीमत भी बढ़ती चली जाएगी !


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