निकल पड़ा हूं मैं अब ना मुझ को रोकना
ये कसमें , ये रस्मे , ये वास्ते अब ना मुझपे थोपना
छोड़ निशान अपने अब मैंने यही कहा है
मंजिल जितनी भी दूर हो
पर रास्ता यही चुना है , रास्ता यही चुना है
अभिमान था घमंड था अपने आप में प्रचंड था
विशाल था महान था सपनों का घमंड था
देखा जब उन सितारों को आसमान पे
वो घमंड था था था..... वो प्रचंड था था था......
मैं सत्य में प्रकाश डालू , झूठ में तेजाब डालूं
जलने वाले जलेंगे चिंगारी को लो में बदलेंगे
मैं सुनता था उनकी जो न सुनते थे मेरी
जब भी मैं बोलूं तो कहते " क्यों सुने हम तेरी "
दिमाग है तो आवाज सुन दिमाग की
भूले से भी ना सुन कभी किसी बदहवास की
आवाज है , आगाज है , अंजाम है
हर किसी के जहन में एक ना एक मुकाम है
सर उठा कदम बढ़ा देख अपने आसपास
चारों तरफ से उठी आवाज ,पहचान अपने साथ-साथ
जलता हूं जलूंगा जब तक जिंदा रहूंगा
राह मैं हर किसी से बस यही कहूंगा
तूने अपना जीवन जिया है सिर्फ खुद ही के लिए
यह एहसान तूने किया है सिर्फ अपने लिए
कर एहसान कीमत ना उसकी जान बढ़ाएगा तेरी शान
जो मांगे वो तरसे जो भूले वह रब से मांगे अपनी जान
उम्र का असर हुआ खेल का कहर हुआ
जो अपने थे उन पर भी परायो का असर हुआ
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